महात्मा गांधी से पहले डॉक्टर हेडगेवार स्वतंत्रता के लिए लड़ रहे क्रांतिकारियों के नेता थे। यह दावा किया है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्रीय प्रचारक निंबाराम ने। जयपुर में याजवेंद्र यादव द्वारा लिखी किताब ‘तुष्टिकरण की यात्रा’ के विमोचन के दौरान निंबाराम ने कहा कि स्वाधीनता संग्राम 1857 में शुरू हो गया था। जिसमें सेठ-साहूकारों से लेकर किसान, मजदूर और जनजातीय समाज के तीन लाख से ज्यादा लोगों ने अपनी भागीदारी निभाई थी।
इस संग्राम में महात्मा गांधी 1915 में शामिल हुए थे। जबकि इससे पहले डॉ हेडगेवार ही स्वतंत्रता के लिए लड़ रहे क्रांतिकारियों के नेता थे। जिन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की थी। लेकिन तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया जाता है। निंबाराम ने कहा कि कुछ लोग आज भारत जोड़ने की बात करते हैं। लेकिन मैं पूछना चाहता हूं कि आखिर भारत तोड़ा किसने। हम तो अखंड भारत के पुजारी हैं। लेकिन उस वक्त विभाजन केवल राष्ट्र का नहीं हुआ। बल्कि, राष्ट्रगीत वंदे मातरम का भी हुआ और राष्ट्रीय ध्वज को भी बदल दिया गया। उन्होंने कहा कि याजवेंद्र यादव की यह पुस्तक शोध ग्रंथ है। जिसमें इतिहास की हकीकत बताई गई है।
इस दौरान अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के अध्यक्ष जीव सिंघल ने कहा कि जो झूठ हजार बार बोला जाता है। उसे सही मान लिया जाता है। आज का जमाना सोशल मीडिया का है। जहां एक एक शब्द को वायरल करवा दिया जाता है। पश्चिम के देशों से लिबरल्स को फंडिंग करते हैं। जिससे हमारे देश में नफरत फैलाने की कोशिश की जा रही है। यही कारण है कि जब प्रधानमंत्री ने एनजीओ की ऑडिट करवाने शुरू की। तब देशभर में हाहाकार मच गया था।