कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा है कि दूसरों के प्रति शत्रुता हिंदू धर्म का तरीका नहीं है। उनके पसंदीदा हिंदू आइकन स्वामी विवेकानंद का हिंदू धर्म समावेशी है, यानी जिसमें सबकुछ समा जाता है। लेखक से राजनेता बने थरूर ने हिंदू धर्म पर दो किताबें लिखी हैं। उन्होंने गुरुवार को कहा कि कई दक्षिणपंथी राजनेता “उनके संदेश की समग्रता” की अनदेखी करते हुए चुनिंदा उद्धरण देकर स्वामी विवेकानंद को उपयुक्त बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
भाजपा नेता चुनिंदा तरीके से कोट कर रहे हैं विवेकानंद को
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि हम देख रहे हैं कि भाजपा में कुछ लोग स्वामी विवेकानंद को चुनिंदा तरीके से कोट कर रहे हैं। वे यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि वे विवेकानंद के रास्ते पर चल रहे हैं। मगर, जिसने भी उनके संदेश को समग्र रूप से पढ़ा है, वह समझ जाएगा कि वह एक सर्व-समावेशी और सभी को गले लगाने वाले विश्वास की बात कर रहे हैं।”
विवेकानंद की नजर में असहिष्णु नहीं है हिंदू धर्म
कांग्रेसी नेता ने कहा कि विवेकानंद की दृष्टि “हिंदू धर्म की नहीं है, जो असहिष्णु है।” 19 वीं सदी के उत्तरार्ध के धार्मिक सुधारक को अपने राजनीतिक आंदोलन में एक आइकन के रूप में “उपयुक्त” करने के लिए दक्षिणपंथी नेताओं ने “कोशिशों” की बात की थी। रामकृष्ण मिशन के संस्थापक स्वामी विवेकानंद की 160वीं जयंती इस साल की शुरुआत में मनाई गई थी।
आस्था को हथियार बना रहे हैं लोग
थरूर ने कहा कि वह यह देखकर हैरान हैं कि लोग हिंदू धर्म के नाम पर ‘अपनी आस्था को हथियार’ बना रहे हैं, जो ‘दूसरों के प्रति शत्रुतापूर्ण और आक्रामक’ हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि “यह केवल हिंदू तरीका नहीं है”। बहुसंख्यक हिंदू आपने विश्वास को ऐसे नहीं देखते हैं थरूरू ने ये बाते एपीजे कोलकाता साहित्य महोत्सव कार्यक्रम से इतर कहीं है। उनके घायल बाएं पैर पर प्लास्टर चढ़ा हुआ था। थरूर ने कहा, “यह वह नहीं है, जो हममें से अधिकांश हिंदुओं को इस देश में सिखाया जाता है, जब हम बड़े हो रहे होते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि बहुसंख्यक हिंदू अपने विश्वास को एक ऐसे रूप में नहीं देखते हैं, जिसे “दूसरे धर्म के लोगों के खिलाफ एक हथियार के रूप में ब्रांडेड किया जा सकता है”। बताते चलें कि लोकसभा सांसद शशि थरूर सबसे ज्यादा बिकने वाले लेखक हैं।