न्यू ईयर पार्टी में 15 टन बिरयानी खाई:फूड पहुंचाने के लिए फर्राटा भरते डिलीवरी बॉय, कोई बेहोश तो किसी की गई जान

31 दिसंबर 2022 को जोमाटो और स्विगी ने फूड ऑर्डर सप्लाई करने में अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। जोमाटो पर सबसे ज्यादा बिरयानी के ऑर्डर आए। जोमाटो कंपनी के CEO दीपेंदर गोयल के मुताबिक, 2022 के आखिरी दिन 16,514 ऑर्डर केवल बिरयानी के मिले, जिनका वजन करीब 15 टन यानी एक ट्रक के बराबर होगा। इतना ही नहीं 31 दिसंबर को जोमाटो ने 20 लाख से ज्यादा ऑर्डर डिलिवर किए।

नए साल पर ऑनलाइन फूड डिलीवरी की बाढ़ सी आ गई। पार्टी फूड ऑर्डर के लिए जोमाटो और स्विगी ने 5 लाख से ज्यादा ऑर्डर्स पूरे किए।

स्विगी ने 3.5 लाख बिरयानी और 2.5 लाख पिज्जा के ऑर्डर देश के कई शहरों में पहुंचाए। स्विगी को इसके बाद 1.56 लाख बिरयानी के और ऑर्डर्स मिले।

साफ जाहिर है जश्न के दौरान बिरयानी कस्टमर्स की पहली पसंद रही।

डॉमिनोज इंडिया ने 61,287 पिज्जा डिलिवर किए। सोचिए कि इन पिज्जा के साथ कितने ऑर्गिनौ और चिली फ्लेक्स के पैकेट भी गए होंगे। स्विगी के अनुसार, करीब 14 हजार पैकेट नाचोज, 15 हजार लेमन और 15 हजार सोडा भी डिलिवर हुए। इसके अलावा स्विगी ने भी 31 दिसंबर की शाम 6:33 बजे तक चिप्स के 1.76 लाख पैकेट डिलिवर किए।

जोमाटो ने कहा है कि बीते वर्षों के मुकाबले इस बार फूड डिलीवरी में 47 फीसदी इजाफा हुआ। जोमाटो के CEO दीपेंदर गोयल के मुताबिक, कोरोना के चलते पिछले तीन साल में कारोबार ने जो मंदी झेली, उसकी भरपाई साल के आखिरी दिन हो गई।

पिछले साल के आखिरी दिन, जोमाटो को हर मिनट 186 बिरयानी के ऑर्डर मिले। वहीं, इसी दौरान स्विगी को 137 ऑर्डर मिले। स्विगी के CEO श्रीहर्षा मजेठी ने बताया कि 31 दिसंबर को 1,22,000 यूजर्स उनके ऐप पर लाइव थे, यानी फूड आइटम्स ढूढ रहे थे। उनका कहना था, हम अपने कस्टमर्स को बेहतरीन सुविधाएं वक्त पर मुहैया कराने में कामयाब रहे।

जोमाटो के CEO खुद 4 ऑर्डर डिलिवर करने गए, जिसमें से एक ऑर्डर बुजुर्ग दंपती के लिए था, जो अपने पोते-पोतियों के साथ नए साल का जश्न मना रहे थे। फूड डिलीवर करने के बाद जोमाटो के CEO ने ट्वीट किया, ‘मैं ऑफिस वापस आ गया हूं ।’

ये तो रही रिकॉर्ड कमाई की बात, लेकिन कंपनियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती डिलीवरी को लेकर ही आती है।

चलिए अब बात करते हैं डिलीवरी को लेकर बढ़ती चुनौतियों की-

बीते 26 दिसंबर 2022 को नोएडा में जिला जज के स्टीकर वाली एक तेज रफ्तार कार ने फूड डिलीवरी करने जा रहे बाइक सवार परवेंद्र कुमार को टक्कर मार दी। इसमें बाइक सवार डिलीवरी बॉय ने अस्पताल में दम तोड़ दिया। 26 दिसंबर को ही दिल्ली मेट्रो स्टेशन जसोला विहार और शाहीन बाग के बीच ट्रैक पर ब्लड सैंपल ले जा रहा ड्रोन पक्षी से टकराकर गिरा तो 1 घंटे तक मेट्रो सेवा ठप हो गई।

इस तरह के हादसों से जुड़े और भी मामले दिल्ली, जोधपुर, इंदौर सहित कई शहरों में देखने को मिलते हैं। ऐसे हादसों की वजह चाहे कुछ भी रही हो लेकिन हाल के समय में चीजों की क्विक डिलीवरी का बढ़ता चलन कई तरह की चुनौतियां और जोखिम भी लेकर आया है।

मोबाइल ऐप और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के निर्देशों के बीच कई महारथी सामान पहुंचाने की जद्दोजहद में सड़क पर उड़ते नजर आते हैं। आखिर, उन्हें 10 मिनट के अंदर डिलीवरी जो करनी है। झटपट सर्विस देने वाली कंपनियों का ‘टाइम’ ही नया टारगेट है।

आइए पड़ताल करते हैं इस पूरे डिलीवरी सिस्टम के बारे में, जिसका इस्तेमाल आपने भी कभी न कभी जरूरत पड़ने पर किया होगा या कर सकते हैं।

न कोई बातचीत न शोर-शराबा, बस डिलीवरी बॉय दिखेंगे दौड़ते-भागते

एक ऐसी शॉप जहां पर कस्टमर खुद चलकर नहीं आता, बल्कि सामान डिलीवरी बॉय के जरिए ग्राहक तक पहुंच जाता है। आमतौर पर इस तरह की शॉप को डार्क स्टोर कहा जाता है।

दुकान के अंदर ढेरों सामान अलग-अलग खानों में रखा रहता है। सभी खानों पर कोडिंग होती है, ताकि ऑर्डर मिलने पर सामान ढूंढने में समय जाया न हो। डार्क स्टोर में काम करने वाले लोग आपस में बात नहीं करते। क्योंकि सारा काम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस डिवाइसेज के हवाले होता है।

कस्टमर ऑनलाइन ऑडर्स देते हैं और उन ऑडर्स के मुताबिक इन स्टोर्स में सामान की स्लिप, पैकेजिंग और डिलीवरी का काम किया जाता है।

डार्क स्टोर्स को ऑनलाइन डिलीवरी कंपनियां एक तरह से माइक्रो सप्लाई सेंटर के तौर पर स्थापित करती हैं। हां, इतना जरूर है कि आपको डिलिवरी बॉय सामान लेकर दौड़ते-भागते जरूर नजर आएंगे।

30 मिनट से घटकर 10 मिनट में पहुंचा डिलीवरी फंडा

कंपनी की वेबसाइट पर जैसे ही ऑर्डर मिलता है। मशीन तुरंत डिलीवरी बॉय को मैसेज देती है। बिलिंग और पैकिंग में 2 मिनट का समय लगता है। इसके बाद डिलीवरी बॉय अपने मिशन पर निकल पड़ता है।

ऐसे काम में माहिर उपेंद्र प्रजापति बताते हैं कि कुछ ऐसे कस्टमर होते हैं जिनके बारे में पहले से ही अंदाजा लग जाता है कि वे क्या ऑर्डर देने वाले हैं।

उस स्थिति में कस्टमर जब तक पेमेंट कर रहे होते हैं, तभी उनका ऑर्डर कंप्यूटर से हमें मिल जाता है। हम मशीन के मैसेज देने भर का इंतजार करते हैं। बस हमें अपने काम पर ही फोकस करना होता है। अगर थोड़ा भी दिमाग इधर-उधर हुआ तो समझ लीजिए टाइम ओरिएंटेड टारगेट पर नहीं पहुंच पाएंगे।

दिल्ली-NCR और मेट्रो सिटीज सहित अन्य कई शहरों में होम ग्रॉसरी, हेल्थ, फूड, गिफ्ट आइटम्स के ऑनलाइन ऑडर्स लेकर झटपट डिलीवरी करने वाली कंपनी डंजो डेली के CEO कबीर बिस्वास के मुताबिक, हम 10 मिनट के अंदर सामान पहुंचाते हैं, लेकिन जिन इलाकों में डिलीवरी 19 मिनट के अंदर पहुंचाई जा रही है, वहां के कस्टमर्स को भी हमसे कोई शिकायत नहीं।

2025 तक 15 गुना बढ़ेगा मार्केट, कंपनियां लगा रहीं पैसा

कंपनियां डिलीवरी के मार्केट में बढ़ चढ़कर दांव लगा रही हैं। जनवरी 2022 में स्विगी ने इंस्टामार्ट के लिए करीब 570 करोड़ रुपए जुटाए। जोमाटो पहले से ही कंज्यूमर गुड्स डिलिवर करने वाली कंपनी ब्लिंकिट में 10 करोड़ रुपए निवेश कर चुकी है। ब्लिंकिट ही पहले ग्रोफर्स के नाम से जानी जाती थी।

अनुमान है कि जोमाटो इसमें और पैसे लगा सकती है। गूगल के इनवेस्टमेंट वाली डंजो ने भी रिलायंस के साथ करार किया है और करीब 1,640 करोड़ रुपए का निवेश जुटाया है।

टाटा की बिगबास्केट भी BB NOW के जरिए देश के सबसे ज्यादा शहरों में 10 से 20 मिनट के अंदर ‘चट ऑर्डर, पट डिलिवरी’ करने वाले सेगमेंट में दाखिल हो चुकी है।

कोविड महामारी के दौरान वर्क फ्रॉम होम और आइसोलेशन जैसी सिचुएशन से ऑनलाइन ऑर्डर्स में एकदम से उछाल आया। इसी से ई-कॉमर्स डिलीवरी स्पेस में अचानक भीड़ बढ़ गई।