अमेरिका में कोरोना का नया सब वैरिएंट XBB.1.5 मिला है। ये अब तक का सबसे तेज फैलने वाला वैरिएंट बताया जा रहा है। इसकी रफ्तार पहले के वैरिएंट से 104 गुना ज्यादा तेज है।
कोरोना का ये नया वैरिएंट क्या है, कैसे बना और भारत में इसके फैलने की कितनी संभावना है? इस तरह के 8 सवालों के जवाब भास्कर ने हॉर्वर्ड मेडिकल स्कूल के प्रोफेसर रामशंकर उपाध्याय से पूछे हैं। आइए अब सुपर वैरिएंट से जुड़े सभी सवालों के जवाब जानते हैं….
सवाल- 1: अमेरिका में मिला कोरोना का नया वैरिएंट क्या है?
जवाब: अमेरिका में कोरोना का जो नया वैरिएंट मिला उसका नाम XBB.1.5 है। दरअसल, ये कोरोना के दो वैरिएंट्स के दोबारा मिलने से बना है। अब इस वैरिएंट के बनने की पूरी प्रोसेस को जानिए…
BJ1 और BM1.1.1 नाम के दो कोरोना वैरिएंट आपस में मिले, तो इन दोनों का DNA यानी जेनेटिक मैटेरियल आपस में कंबाइन हुआ। इससे XBB बना। फिर XBB वैरिएंट ने म्यूटेट किया यानी रूप बदला और वह XBB1 बना।
इसके बाद एक बार फिर से XBB1 में G2502V म्यूटेशन हुआ जिसके बाद वो XBB.1.5 वैरिएंट बना है।
सवाल- 2: नया वैरिएंट कैसे हमारे शरीर को अपना शिकार बनाता है?
जवाब: हमारे शरीर में घुसने के बाद सबसे पहले ये वायरस कोशिका के प्रोटीन (HACE रिसेप्टर) पर असर करता है। ये शरीर के अंदर संक्रमण फैलने का पहला स्टेज है। इस वायरस की कोशिका से चिपकने की कैपेसिटी बाकी वैरिएंट के मुकाबले ज्यादा है। यही वजह है कि ये ज्यादा से ज्यादा लोगों को संक्रमित करता है।
ओमिक्रोन का सब वैरिएंट होने की वजह से यह हमारी छाती के ऊपरी हिस्से पर ज्यादा असर करता है लेकिन डेल्टा की तरह ये सीधे लंग्स पर असर नहीं करता है। जब तक ऐसा होता रहेगा तब तक ये वैरिएंट हमारे लिए बड़ा खतरा नहीं पैदा करेगा। हालांकि, इसको लेकर सचेत रहने की जरूरत होगी।
सवाल- 3: कोरोना का नया वैरिएंट दूसरे वैरिएंट्स के मुकाबले कितना खतरनाक है और कैसे?
जवाब: ये वैरिएंट इतना खतरनाक है कि ये हमारे शरीर में वैक्सीनेशन और नेचुरल तरीके से बनी एंटी बॉडीज को बेअसर करके संक्रमण फैलाता है। इतना ही नहीं ये संक्रमण हमारे शरीर में अब तक के सभी वैरिएंट से 104 गुना ज्यादा तेजी से फैलता है। अभी तक हमारे पास कोई ऐसी वैक्सीन या इम्यूनिटी नहीं है जो इस वायरस के संक्रमण से बचा सकता है।
सवाल- 4: वैक्सीन इस वैरिएंट पर कितनी असरदार होगी?
जवाब: दुनिया में जितनी भी वैक्सीन बनी हैं, उनकी कोरोना वायरस संक्रमण से बचाने की क्षमता केवल 30 से 40 फीसदी है। ज्यादातर वैक्सीन कोरोना के पहले वैरिएंट अल्फा वायरस से लोगों को बचाने के लिए बनाई गई थी लेकिन तब से अब तक कोरोना वायरस अपना कई बार रूप बदल चुका है। हालांकि, कुछ वैक्सीन को अपडेट करके BA5 सब वैरिएंट से बचाने के लिए बनाया गया है। इसके बावजूद जैसे-जैसे नए वैरिएंट सामने आ रहे हैं, इन वैक्सीन का प्रोटेक्शन इंडेक्स यानी सुरक्षा देने की कैपेसिटी घटती जा रही है।
सवाल- 5: भारत पर इस वैरिएंट का क्या असर रहेगा?
जवाब: भारत में नया वैरिएंट डेल्टा वैरिएंट से आने वाली दूसरी लहर की तरह तबाही नहीं मचा पाएगा। इसकी वजह यह है कि भारत में वैक्सीनेशन का पहला डोज लगभग 95 प्रतिशत लोगों को लगाया जा चुका है। इसके अलावा 90 फीसदी को डबल डोज वैक्सीनेशन लग चुकी है। ऐसे में संक्रमण फैल भी जाता है तो अस्पताल में भर्ती होने की दर कम रहेगी।
इसके अलावा बूस्टर डोज थोड़ा कम लगा है लेकिन भारत हर्ड इम्यूनिटी, कम्युनिटी इम्यूनिटी, वैक्सीन से मिली इम्यूनिटी की वजह से नए वैरिएंट से निपटने के लिए तैयार है।
सवाल- 6: भारत को नए वैरिएंट के संक्रमण से बचने के लिए क्या करना चाहिए?
जवाब: भारत में इस नए वैरिएंट को फैलने से रोकने के लिए इन 4 स्टेप को तुरंत फॉलो किया जाना चाहिए…
- अभी भारत ने 6 देशों से आने वाले लोगों का 2 फीसदी रैंडम सैंपल लेकर टेस्ट करने का आदेश दिया है। सैंपलिंग को बढ़ाकर 10 फीसदी कर देना चाहिए।
- पॉजिटिव आने वाले सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग भी होनी चाहिए।
- ये सैंपलिंग सिर्फ 6 देशों से आने वाले लोगों तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि सभी देश से आने वाले लोगों के RT-PCR टेस्ट कराए जाने चाहिए।
- लोगों को जागरूक करके उन्हें सही समय पर मेडिकल सुविधा देकर इस महामारी से निपटने में जीत हासिल कर सकते हैं।
इसके अलावा एक्सपर्ट ने कहा कि अमेरिका में चीन से आने वाली फ्लाइट में रैंडम सैंपलिंग की गई तो पता चला कि औसतन 38 फीसदी से 52 फीसदी लोग संक्रमित मिले हैं। ऐसे में ग्लोबल वर्ल्ड के इस दौर में किसी एक देश के बजाय सभी देशों से आ रहे लोगों पर नजर रखने की जरूरत है।
सवाल- 7: क्या वैक्सीन या बूस्टर डोज से ही कोरोना को रोका जा सकता है?
जवाब: कोरोना वायरस कभी खत्म नहीं होगा। हमें इसके साथ जीना सीखना होगा। हर नए वैरिएंट के साथ नया वैक्सीन या बूस्टर डोज इसका सॉल्यूशन नहीं है क्योंकि इससे शरीर में हाइपर इम्यूनिटी पैदा होती है।
हाइपर इम्यूनिटी इंसान के शरीर के लिए संक्रमण से भी ज्यादा खतरनाक है। सबसे अच्छी नेचुरल इम्युनिटी है, जो लंबे समय के लिए हमारे शरीर में मौजूद रहती है। ये बूस्टर डोज से मिली इम्यूनिटी से कहीं ज्यादा बेहतर होती है। बूस्टर डोज केवल उन लोगों के लिए सॉल्यूशन है जो बूढ़े हैं या किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं।