5 फाउंडेशन स्किल्स जो बनाएं कॉम्पिटिटिव एग्जाम आसान
आज मैं सातवीं, आठवीं, नौवीं, दसवीं के एकदम युवा स्टूडेंट्स से बात करूंगा (और उनके पेरेंट्स से भी) जो कॉम्पिटिटिव एग्जाम तैयारी शुरू करने वाले हैं।
क्या आप जानते हैं वो कौनसी 5 फाउंडेशन स्किल्स है जो भारत में कॉम्पिटिटिव एग्जाम में सफलता के लिए सबसे ज्यादा आवश्यक हैं? नहीं? तो आज मैं आपको इसी बारे में बताने जा रहा हूं, कि वो 5 क्या हैं और आप कैसे इन्हें इम्प्रूव कर, किसी भी कॉम्पिटिटिव एग्जाम में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
5 कदम, सफलता की ओर: फाउंडेशन स्किल्स
आप कोई भी कोचिंग क्लास ज्वाइन कर लीजिए, कितनी भी मेहनत कर लीजिए, लेकिन यदि इन पांचों पर बचपन से मेहनत नहीं की गयी, तो सब बेकार जा सकता है। आप 3-4 साल कोचिंग कर के सोचते रह जाएंगे कि क्या गलत हो गया। तो तैयार हैं?
1) रीडिंग एंड कॉम्प्रिहेंशन: पढ़ना और समझना (Reading and Comprehension)
यह किसी भी कॉम्पिटिटिव एग्जाम को क्रैक करने की सबसे पहली और आवश्यक स्किल है।
भारत में कम-से-कम दो या तीन भाषाओँ पर आपकी पकड़ होना चाहिए, पहला इंग्लिश, दूसरी हिंदी और तीसरी आपकी मातृभाषा (मराठी, गुजराती इत्यादि)। लगभग सभी कॉम्पिटिटिव एग्जाम में इंग्लिश या हिंदी भाषा के पेसेजेस दिए होते हैं जिन पर प्रश्न पूछे जाते हैं। इस सेक्शन को ‘रीडिंग कॉम्प्रिहेंशन’ कहा जाता है।
एग्जाम में इस सेक्शन का उद्देश्य आपके पढ़ने, और पढ़ कर समझने की योग्यता को परखना ही होता है। यही कारण है माता-पिता हो या टीचर सभी बचपन से पढ़ने पर इतना अधिक जोर देते है।
किसी भी अन्य स्किल की तरह इस स्किल को भी सही प्रैक्टिस द्वारा हासिल किया जा सकता है। तेजी से पढ़ने के लिए बोल-बोल कर ना पढ़ें, केवल आंखों और दिमाग से काम लें, यानी जो पढ़ रहे हैं उसे उंगलियों से ट्रैक न करें बल्कि इसके लिए अपनी आंखों को ट्रेन करें। कुछ प्रैक्टिस के बाद, शब्दश पढ़ने के बजाय ‘रीडिंग बिटवीन द लाइंस करें’ अर्थात शब्दों और उनके अर्थों में न फंसते हुए पूरे पैराग्राफ का अर्थ पकड़ें।
यहां पढ़ने से अर्थ किसी भी तरीके से पढ़, सुन, देख कर इन्फॉर्मेशन को दिमाग तक पंहुचाने से है। यह आपके दिमाग के लिए प्राथमिक इनपुट की तरह है।
2) नोट्स मेकिंग: नोट्स बनाना (Making notes)
पढ़ी, सुनी और सीखी हुई चीज को आगे रिवीजन और याद रखने के उद्धेश्य से नोट्स बनाना एक बहुत काम की स्किल है। अच्छे नोट्स बनाने के लिए पॉइंटवाइस लिस्ट बनाना सीखें। नोट्स बनाते वक्त ज्यादा क्रिएटिव दिमाग न लगाएं, बस यह ध्यान रखें कि कैसे यह आपको जल्दी से रिकॉल करने में उपयोगी साबित होगा। एक्रोनिम्स, मेमोरी मैप्स इत्यादि का उपयोग मददगार साबित होता है।
किसी भी विषय पर बनाए गए अच्छे नोट्स आपके लिए ‘जीवन भर की संपत्ति’ होते है। अच्छे नोट्स आपके दिमाग में प्राप्त की गई इनफार्मेशन की प्रोसेसिंग में मदद करते हैं।
पॉइंट्स में न लिख पाने की कमजोरी अच्छे-अच्छों को ढेर कर सकती है।
3) थिंकिंग: सोचना (Thinking)
आप सोच रहे होंगे कि ‘क्या? सोचने की कला? ये तो अपने आप होती है न?’
नहीं। पढ़ी-सीखी और नोट्स बनाई गई चीजों पर चिंतन-मनन करना, यह कार्य दूध से मक्खन निकालने की तरह होता है। अर्थात सीखी हुई चीजों पर सोच-विचार कर उन्हें विभिन्न एंगल्स से देखना, उनके विभिन्न पहलुओं का एनेलिसिस करना। आप किसी भी घटना को जितने अधिक पहलुओं के साथ देख सकते है यही वास्तव में आपकी इंटेलिजेंस है।
इस सोचने-विचारने की प्रक्रिया का दूसरा पहलू ‘लॉजिकल थिंकिंग’ हैं, जिसमें गणित और रीजनिंग जैसे सब्जेक्ट्स होते हैं जिन्हें लगभग सभी कॉम्पिटिटिव एग्जाम में पूछा जाता है। जहां मैथ्स, प्रकृति में व्याप्त विभिन्न पैटर्न्स, जैसे ट्रायंगल के पैटर्न ‘ट्रिग्नोमेट्री’, कई अन्य पैटर्न ‘सीक्वेंस एंड सीरीज’ से सम्बंधित होते हैं वही लॉजिक का अर्थ है तथ्यों और साक्ष्यों पर आधारित सोच।
एक अच्छा थिंकर स्वतंत्र होता है, बिना डरे सोचता है, और ऐसा कर प्रसन्न होता है। डरपोक लोग सोचते ही नहीं हैं, सिर्फ रटते हैं।
4) राइटिंग: लेखन (Writing skills)
इस स्किल को डेवलप करने में सबसे अधिक मेहनत, और समय लगता है।
अच्छा लिखने की सबसे पहली शर्त है अच्छा पढ़ना और सुनना। लिखना इस पूरी प्रक्रिया का आउटपुट है। तो आउटपुट तभी अच्छा होगा जब इनपुट, और उस इनपुट का एनेलिसिस (अर्थात सोच विचार) अच्छा होगा।
शुरुआत में, जो भी लिखें, सरल, डेली उपयोग होने वाली भाषा में लिखें। वाक्य और पैराग्राफ छोटे-छोटे बनाएं और टु-द -प्वाइंट लिखें। लिखने के इन नियमों के अलावा और कोई नियम नहीं होते। लेखन की शुरुआत प्राकृतिक रूप से आपके मन में विषय को लेकर जो भी विचार आ रहे हैं उनसे ही करें और फिर कड़ियों को जोड़ते जाएं।
समय के साथ आपकी समृद्ध वोकैबुलरी आपके लेखन को निखारेगी।
5) फोकस, कंसिस्टेंसी और रिवीजन (Focus, Consistency, Revision)
अपने लक्ष्य पर फोकस कर के, नियमित रूप से प्रयास करना, और समय-समय पर पलट कर चीजों को देखना, इंट्रोस्पेक्ट करना, रिवीजन करना, एक तरह से किसी भी क्षेत्र में सफलता की गारंटी है। इसे न केवल कॉम्पिटिटिव एग्जाम बल्कि अपने जीवन के सभी पहलुओं में लेकर आएं।
फोकस बढ़ाने के लिए जापानी बुलेट ट्रेन पायलटों द्वारा उपयोग की जाने वाली ‘प्वांइंटिंग एंड कॉलिंग’ विधि का उपयोग करें। अर्थात जो भी कार्य आप करना चाहते हैं, तो उस ओर ऊंगली से इशारा कर थोड़ी ऊंची आवाज में बोले की ‘मैं यह करूंगा/करूंगी’। उदाहरण के लिए – यदि आप मैथ्स का एक चैप्टर आज पूरा कर लेना चाहते हैं, तो मैथ्स की उस किताब में उस चैप्टर की तरफ ऊंगली दिखा कर थोड़ा जोर से बोले ‘में आज यह चैप्टर पूरा कर लूंगा।’ मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, इस विधि का उपयोग करने से ‘फोकस्ड रहने में’ आपको अपने सबकॉन्शियस माइंड का हेल्प मिलता है।
उम्मीद करता हूं, मेरे द्वारा सुझाए गए उपाय कॉम्पिटिटिव एग्जाम में आपकी सफलता के लिए उपयोगी साबित होंगे।