हॉलीवुड फिल्मों में VFX बनाते हैं सनिल:पापा का बिजनेस, लेकिन कैमरे के लिए नौकरी की, कनाडा में इंस्टाग्राम से फोटो बेचकर गुजारा किया

VFX यानी विजुअल इफेक्ट्स। हॉलीवुड की लेटेस्ट अवतार-2 हो या स्पाइडर मैन, ये फिल्में VFX का कमाल हैं। बॉलीवुड में भी VFX का खूब इस्तेमाल हो रहा है। हैरान कर देने वाली बात है कि 4 सेकेंड के एक VFX वाले शॉट को फिल्माने में एक से डेढ़ हफ्ता तक लग जाता है। और खर्चा? इस चार सेकेंड के शॉट का खर्च 16 लाख रुपए से भी ज्यादा हो सकता है। ये डिपेंड करता है सीन की डिमांड और फिल्म के बजट पर। VFX की दुनिया बहुत अलग है और यहां जो काम कर रहे हैं, वो आला दर्जे के जुनूनी और क्रिएटिव लोग हैं।

आज स्ट्रगल स्टोरी में बात मुंबई के ऐसे ही एक जुनूनी युवा की। जिसने अपने पिता के बड़े बिजनेस को छोड़ VFX और वीडियो एडिटिंग का काम चुना। नाम है सनिल गोटी। उम्र 26-27 साल, लेकिन मार्वल और स्पाइडर मैन-नो वे होम जैसी फिल्मों में VFX का काम कर चुके हैं, अभी कई हॉलीवुड प्रोजेक्ट्स से जुड़े हैं। पढ़ने में अच्छा लग रहा है, लेकिन सनिल का यहां तक पहुंचने का सफर इतना आसान नहीं रहा।

पिता चाहते थे कि सनिल परिवार का बिजनेस संभाले, उसे आगे बढ़ाए। सनिल का मन फोटोग्राफी और वीडियो एडिटिंग वगैरह में था। परिवार का दबाव और खुद का जुनून दोनों में से एक को चुनने के दोराहे पर खड़े सनिल ने दिल की आवाज सुनी और अपने मन की करने निकल पड़े।

ये कहानी जितनी पढ़ने में अच्छी लग रही है, उतनी ही ये उन युवाओं के लिए मोटिवेशन भरी भी हो सकती है…तो आज की स्ट्रगल स्टोरी में कहानी सनिल की, जो अब कनाडा में बस गए हैं और हॉलीवुड की कई फिल्मों और वेब सीरीज में स्पेशल इफेक्ट्स का काम कर रहे हैं…..

पापा चाहते थे फैमिली बिजनेस सभांले, कहीं बाहर नौकरी ना करें

मैं स्कूल में बहुत सीधा था। पढ़ाई में ज्यादा मन नहीं लगता था, लेकिन बोर्ड के लिए मैंने बहुत मेहनत की थी। शुरुआत से ही मैं कंप्यूटर इंजीनियर बनना चाहता था, लेकिन पापा नहीं चाहते थे कि मैं ये पढ़ाई करूं। वो चाहते थे कि फैमिली बिजनेस को संभालूं जो अभी तक वो देख रहे थे।

पर मुझे बिजनेस नहीं करना था क्योंकि वो बहुत बोरिंग लगता था। मैंने उन्हें समझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन पापा नहीं माने। आखिरकार मुझे अपने सपनों को दांव पर लगाना पड़ा और कॉमर्स की पढ़ाई करनी पड़ी।

मैंने कॉमर्स ले तो लिया, लेकिन पढ़ाई में मन बिल्कुल नहीं लगता था। वजह ये थी कि मुझे लाइफ में जो करना था, मैं वो नहीं कर पा रहा था। पापा की ये सोच थी कि जब फैमिली बिजनेस है तो नौकरी क्यों करनी है। उनके बहुत समझाने के बाद भी मेरा मन पढ़ाई में नहीं लगा क्योंकि मेरा लाइफ में एक मोटो था कि जो पसंद हो वही करो।

पापा के प्रेशर की वजह से पढ़ाई के साथ बिजनेस का काम भी सीखा

12वीं के बाद भी मुझे काॅमर्स स्ट्रीम ही चुनना पड़ा क्योंकि उसके अलावा मेरे पास कोई दूसरा ऑप्शन नहीं था। कॉलेज में क्लास खत्म होने के बाद मैं पापा के ऑफिस जाता था, वहां का काम देखता फिर उसके बाद घर। इस दौरान मैं ये नहीं सोच पा रहा था कि आगे जाकर क्या करूंगा। मन बहुत परेशान रहता था। कुछ भी समझ में नहीं आता था कि क्या करूं।

बहुत मनाने के बाद भी पापा ने नहीं दिलाया कैमरा

मुझे लोगों को फोटो खींचते हुए देखना बहुत अच्छा लगता था। एक बार घर पर मेरी मौसी कैमरा लेकर आई थीं, उनके कैमरे से मैंने कई फोटोज क्लिक किए। सच कहूं तो यहीं से VFX की जर्नी की शुरुआत हुई थी।

उस समय कैमरे सस्ते नहीं आते थे। मैंने भी पापा से कैमरे की डिमांड की, पर उन्होंने नहीं दिलाया क्योंकि वो शुरुआत से ही चाहते थे कि मैं उनका बिजनेस संभालूं, लेकिन इधर तो मेरा मन पूरी तरह से फोटोग्राफी में रम गया था इसलिए मैं फोन से ही फोटोज क्लिक करने लगा। कभी कभार दोस्तों से भी कैमरा मांग कर मैं फोटोग्राफी करने चला जाता था। इस तरह मैंने धीरे-धीरे फोटोग्राफी सीखी।

पापा का मेरे सपनों की तरफ पहला सपोर्ट

काॅलेज की पढ़ाई जब पूरी हो गई तो पापा ने कहा- जब तुम्हें बिजनेस में दिलचस्पी नहीं है तो तुम US जाकर पढ़ाई करने के लिए ट्राई करो। मैंने पापा की इस बात पर सहमति जताई, लेकिन उसमें भी दिक्कत यही थी कि कॉमर्स की पढ़ाई की थी तो उसी फील्ड में ही आगे जाना पड़ता, लेकिन मुझे उस फील्ड में आगे नहीं जाता था, मुझे फोटोग्राफी या ग्राफिक डिजाइनिंग में जाना था।

मतलब कुल मिलाकर मैं कुछ क्रिएटिव करना चाहता था। इसके बाद मैंने US जाने के लिए सभी एंट्रेंस फॉर्म भरे, लेकिन उसी दौरान मैंने पापा से वीडियो एडिटिंग जैसी चीजों में जाॅब करने के लिए भी पूछा। उन्होंने मेरी इस बात पर हामी भर दी।

पहली नौकरी और उसके लिए जद्दोजहद

इसके बाद मैंने जाॅब के लिए 4 जगह इंटरव्यू दिए। कुछ दिनों बाद मुझे एक जगह से ऑफर आया कि मैं जॉइन कर सकता हूं। मेरा काम वहां पर ग्राफिक डिजाइनिंग और वीडियो एडिटिंग का था। हालांकि मुझे वीडियो एडिटिंग नहीं आती थी, लेकिन काम के दौरान ही ऑनलाइन देख-देख मैंने वीडियो एडिटिंग सीख ली।

ऑफिस में जब काम खत्म हो जाता था तो मैं बचे हुए टाइम में यू-ट्यूब से देखकर वीडियो एडिटिंग सीखता था और खुद का वीडियो बनाता था। इस तरह मुझे इस दौरान जो प्रोजेक्ट मिला था वो सक्सेसफुल हो गया था।

बहुत मनाने के बाद भी पापा ने नहीं दिलाया कैमरा

मुझे लोगों को फोटो खींचते हुए देखना बहुत अच्छा लगता था। एक बार घर पर मेरी मौसी कैमरा लेकर आई थीं, उनके कैमरे से मैंने कई फोटोज क्लिक किए। सच कहूं तो यहीं से VFX की जर्नी की शुरुआत हुई थी।

उस समय कैमरे सस्ते नहीं आते थे। मैंने भी पापा से कैमरे की डिमांड की, पर उन्होंने नहीं दिलाया क्योंकि वो शुरुआत से ही चाहते थे कि मैं उनका बिजनेस संभालूं, लेकिन इधर तो मेरा मन पूरी तरह से फोटोग्राफी में रम गया था इसलिए मैं फोन से ही फोटोज क्लिक करने लगा। कभी कभार दोस्तों से भी कैमरा मांग कर मैं फोटोग्राफी करने चला जाता था। इस तरह मैंने धीरे-धीरे फोटोग्राफी सीखी।

पापा का मेरे सपनों की तरफ पहला सपोर्ट

काॅलेज की पढ़ाई जब पूरी हो गई तो पापा ने कहा- जब तुम्हें बिजनेस में दिलचस्पी नहीं है तो तुम US जाकर पढ़ाई करने के लिए ट्राई करो। मैंने पापा की इस बात पर सहमति जताई, लेकिन उसमें भी दिक्कत यही थी कि कॉमर्स की पढ़ाई की थी तो उसी फील्ड में ही आगे जाना पड़ता, लेकिन मुझे उस फील्ड में आगे नहीं जाता था, मुझे फोटोग्राफी या ग्राफिक डिजाइनिंग में जाना था।

मतलब कुल मिलाकर मैं कुछ क्रिएटिव करना चाहता था। इसके बाद मैंने US जाने के लिए सभी एंट्रेंस फॉर्म भरे, लेकिन उसी दौरान मैंने पापा से वीडियो एडिटिंग जैसी चीजों में जाॅब करने के लिए भी पूछा। उन्होंने मेरी इस बात पर हामी भर दी।

पहली नौकरी और उसके लिए जद्दोजहद

इसके बाद मैंने जाॅब के लिए 4 जगह इंटरव्यू दिए। कुछ दिनों बाद मुझे एक जगह से ऑफर आया कि मैं जॉइन कर सकता हूं। मेरा काम वहां पर ग्राफिक डिजाइनिंग और वीडियो एडिटिंग का था। हालांकि मुझे वीडियो एडिटिंग नहीं आती थी, लेकिन काम के दौरान ही ऑनलाइन देख-देख मैंने वीडियो एडिटिंग सीख ली।

ऑफिस में जब काम खत्म हो जाता था तो मैं बचे हुए टाइम में यू-ट्यूब से देखकर वीडियो एडिटिंग सीखता था और खुद का वीडियो बनाता था। इस तरह मुझे इस दौरान जो प्रोजेक्ट मिला था वो सक्सेसफुल हो गया था।

मैनेजर से लड़ाई हुई तो नौकरी से निकाल दिया गया

कुछ टाइम बाद मुझे इस जॉब से निकाल दिया गया क्योंकि वहां के मैनेजर से मेरी लड़ाई हो गई थी। वजह ये थी कि वो ढंग से बात नहीं करते थे और बेवजह इल्जाम लगा देते थे।

जब खुद के पैसों से जरूरत पूरी की

इसके बाद जब दूसरी जाॅब के लिए अप्लाई किया तो मैंने उन वीडियोज को भी इंटरव्यू के दौरान दिखाया जो मैंने पहली जाॅब में खाली टाइम में बनाया था। मेरे उस काम से वो लोग बहुत इम्प्रेस हुए और इस तरह दूसरे जाॅब की शुरुआत हुई। शायद वो वीडियोज ही थे जिनकी बदौलत मुझे दूसरी नौकरी मिली।

सच बताऊं तो मुझे जाॅब इसलिए करनी थी कि उससे जो भी कमाई होती, उससे मैं खुद के लिए एक कैमरा खरीद सकता। इसलिए मैंने हर महीने सैलरी में से थोड़ी-थोड़ी सेविंग की और उससे कैमरा खरीद लिया। कैमरा खरीदने के बाद मैंने पापा को भी ये बताया कि आप देखो मैंने खरीद लिया।

मेरे इस काम से पापा बहुत खुश हुए। कैमरे की तरह ही ऐसी बहुत सारी चीजें थीं जो पापा ने खरीद कर नहीं दी तो मैंने उन सब चीजों को भी सेविंग्स से खरीद लिया।

सपनों पर लगा ग्रहण, लेकिन फिर उम्मीद की किरण

इसके बाद मैंने एक स्टार्टअप में जॉब की। इस स्टार्टअप की शुरुआत दूसरे ऑफिस के CEO ने की थी। इस टीम में 5 लोग थे जिनमें से एक मैं था। इस काम से हम सभी को बहुत उम्मीदें थीं, लेकिन वो स्टार्टअप कुछ लीगल वजहों के कारण ज्यादा टाइम तक नहीं चल सका। हम सभी 5 लोगों के पास नौकरी नहीं रही। इसके बाद मैंने एक महीने तक काम से ब्रेक लिया।

फिर मुझे एक दिन लिंक्डइन पर मैसेज आया। उन्होंने मुझे एक मैगजीन कंपनी में वीडियो एडिटिंग की पोस्ट के लिए जाॅब ऑफर किया। इसमें मैंने अप्लाई किया और उसके एडवर्टाइजमेंट डिपार्टमेंट में जाॅब मिल भी गई। मैंने वहां पर सीखा कि वीडियो एडिटिंग के बाद VFX क्या होता है और उसका लेवल क्या होता है।

पापा से मिली पहली खुशी का किस्सा

यहां पर मुझे एक टास्क मिला जिसमें मुझे शाम के 6 बजे से लेकर अगले दिन सुबह 6 बजे ये देखना था कि VFX का काम कैसे होता है। मैंने वहां पर पूरी रात रुक कर काम देखा। मेरा पूरा रुझान VFX की तरफ हो गया। हालांकि इसके बाद भी मैंने नहीं सोचा कि इंडिया से बाहर जाकर कुछ करूं।

इसी दौरान पापा ने कहा- तुम्हें जो करना है वो करो, लेकिन जल्दी, वर्ना देर हो जाएगी। पापा की इस बात से मैं बहुत सरप्राइज हुआ क्योंकि इससे पहले वो मेरे काम को ज्यादा नहीं समझते थे। उन्होंने कहा कि जाॅब छोड़कर मैं अपने पैशन को फॉलो करूं।

कोविड टाइम में कनाडा का सफर, नौकरी मिलने में लैंग्वेज बनी बाधा

पापा के इस सुझाव के बाद मैंने VFX से संबंधित चीजों के बारे में रिसर्च की। इस दौरान मुझे पता चला कि कनाडा में VFX की पढ़ाई अच्छी होती है और वहां पर स्कोप भी ज्यादा है। वहां के एक कॉलेज के बारे में पता किया और उस कॉलेज के लिए अप्लाई कर दिया। किस्मत से वहां पर मुझे एडमिशन भी मिल गया।

इस दौरान पापा का माइंडसेट पूरी तरह से बदल गया था। उन्होंने मेरी चीजों को समझना शुरू कर दिया था जिससे मुझे बहुत खुशी मिलती थी। इसके बाद मैं कनाडा गया और वहां पर एक साल पढ़ाई की। इस दौरान भी मैंने बहुत स्ट्रगल किया।

वो समय कोविड का था तो पार्ट टाइम जॉब का कोई ऑप्शन नहीं था। मॉन्ट्रियल जहां मैं पढ़ाई कर रहा था, वो एक फ्रेंच सिटी थी और मुझे फ्रेंच नहीं आती थी। फ्रेंच नहीं आने की वजह से भी जॉब नहीं मिल रही थी।

मैं सुबह 10 बजे से लेकर शाम को 6 बजे तक कॉलेज में पढ़ाई करता था, उसके बाद मैं देर रात तक फोटोज क्लिक करता था और रात में ही एडिट करके उसको अपने सोशल मीडिया पर पोस्ट करता था। इस दौरान दोस्तों का बहुत सपोर्ट मिला।

गुजारा करने के लिए क्लिक की हुई फोटोज बनीं सहारा

इस दौरान जाॅब नहीं थी, लेकिन लोग मेरे काम को देखकर सोशल मीडिया पर मुझे मैसेज करते थे कि मैं उनका एक प्रोजेक्ट लूं और बदले में मैं जितना चार्ज करूंगा, उसकी वो पेमेंट कर देंगे। इसी तरह के काम से महीने का खर्च निकल जाता था।

कुछ समय बाद मुझे मॉन्ट्रियल के फुटबॉल क्लब से भी ऑफर आया जिसमें वो मेरी क्लिक की हुई शहर की तस्वीर मांग रहे थे। इस काम से भी मैंने पैसा कमाया जो महीने का खर्च चलाने में बहुत काम आता था। साथ ही एक आर्ट गैलरी से भी मेरी क्लिक की गई तस्वीरों की डिमांड की गई, जो अभी भी उस आर्ट गैलरी में मौजूद है।

कुछ समय बाद एक ऐसा भी वक्त आया कि मेरे पास बहुत ही कम सेविंग्स बची थी। सब कुछ रेंट और खाने में ही चला जाता था और कहीं काम भी नहीं मिल रहा था। उस समय कोविड खत्म ही हुआ था इसलिए कहीं भी हायरिंग नहीं हो रही थी। मैंने बहुत जगह अप्लाई किया, लेकिन हर जगह से निराशा ही हाथ लगी।

उस वक्त मेरे पास एक बिल्ली भी थी। दरअसल वो बिल्ली मेरे रूम पार्टनर की थी, लेकिन वो कनाडा से हमेशा के लिए कहीं बाहर जा रहा था इसलिए उसने बिल्ली मुझे दे दी। उससे मुझे भी खास लगाव था क्योंकि मुझे जानवरों से बहुत प्यार है, लेकिन तंगी इतनी थी कि मुझे उसे किसी और को देना पड़ा जिससे मुझे बहुत बुरा लगा।

मार्वल स्टूडियो में बतौर VFX आर्टिस्ट काम किया

जाॅब नहीं मिलने की वजह से मैं कुछ समय के लिए डिप्रेशन में रहा। हालांकि कुछ समय बाद मुझे जॉब मिल गई और मैं टोरंटो चला गया। वहां पर मुझे VFX इंडस्ट्री में काम मिला। लोगों को मेरा काम पसंद आया जिसके बाद काम के बहुत सारे ऑफर्स मिलने लगे। मैंने स्पाइडर मैन- नो वे होम, मिस मार्वल और पिनोच्चियो में काम किया। फिल्मों के अलावा vikings series और कई सारी सीरीज में भी काम किया। कुछ नए प्रोजेक्ट्स में भी काम कर रहा हूं, लेकिन अभी नाम नहीं बता सकता हूं।

4 सेकेंड के एक VFX वाले शॉट को फिल्माने में एक हफ्ता तक लगता है

सनिल ने बताया कि अगर एक मिनट का शॉट हो तो उसे बनाने में लगभग एक महीना लग जाता है। एक आर्टिस्ट को 4-5 शाॅट दिए जाते हैं, लेकिन वो एक मिनट जितने लंबे नहीं होते हैं। एक शाॅट लगभग 4-5 सेकेंड का होता है। एक शॉट को बनाने में लगभग एक हफ्ता लग जाता है और एक साथ तीन-चार शाॅट पर काम होता है। इस काम में बहुत टाइम लगता है और कभी-कभी बने हुए VFX में भी बदलाव करना पड़ता है। एक शाॅट के लगभग 50 वर्जन बनते हैं।