रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने गुरुवार रात ऐलान किया है कि उनकी फौज 6 और 7 जनवरी को यूक्रेन पर हमले नहीं करेगी। यानी दो दिन रूस की तरफ से सीजफायर रहेगा। पुतिन ने यह फैसला रूस के 76 साल के ईसाई धर्मगुरु पेट्रीआर्क किरिल की अपील के बाद किया है।
वहीं, यूक्रेन ने इस सीजफायर को रूस का प्रोपेगैंडा और दोगलापन बताया है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के सलाहकार मायखेलो पोडोलीक ने ट्विटर पर लिखा- रूस को कब्जे वाले क्षेत्रों को छोड़ना होगा, तभी अस्थायी युद्धविराम होगा।
संगठित होने के लिए सीजफायर चाहता है रूस: यूक्रेन
मायखेलो पोडोलीक ने सीजफायर को पुतिन की एक चाल बताया है। उन्होंने कहा- रूस किसी भी तरीके से लड़ाई की तीव्रता और अपने लॉजिस्टिक केंद्रों पर हो रहे हमलों को कम करना चाहता है। जिससे उसे दोबारा संगठित होने और मजबूत होने के लिए समय मिल सके।
रूस ने पहली बार किया फुल सीजफायर का ऐलान
पिछले साल फरवरी में यूक्रेन पर हमले के बाद ऐसा पहली बार है, जब रूस ने सीजफायर का ऐलान किया है। रूस और युक्रेन दोनों देश ऑर्थोडॉक्स क्रिसमस मनाते हैं। ऑर्थोडॉक्स क्रिसमस पूर्वी यूरोप के देशों जैसे रूस, ग्रीस, इथियोपिया और इजिप्ट में भी मनाया जाता है।
रूस और यूक्रेन एक ही चर्च को मानते हैं
यूक्रेन और रूस दोनों ही रशियन ऑर्थोडॉक्स चर्च के अनुयायी हैं, लेकिन यूक्रेनी चर्च को सोवियत युग में कम्युनिस्ट सरकारों के दमन की यादें ताजा हैं। उन्हें धार्मिक स्वतंत्रता नहीं थी। अब रूसी हमला उन्हें बीते वक्त की याद दिलाता है।
यूक्रेन के ऑर्थोडॉक्स चर्च ने 2019 में रूसी ऑर्थोडॉक्स चर्च से अलग होकर अपने को आजाद कर लिया था। अब यूक्रेन के चर्च को अमेरिका सहित अन्य पश्चिमी देशों से आर्थिक और अन्य मदद मिलती है। ये रूस को मंजूर नहीं है। दुनिया में करीब 24 करोड़ ऑर्थोडॉक्स ईसाई हैं।
देश में विरोध को कम करना चाहते हैं पुतिन
वेस्टर्न मीडिया और पुतिन के देश में विरोधी लगातार ये दावे कर रहे हैं कि रूसी की ज्यादातर जनता यूक्रेन से जारी जंग से थक चुकी है। युवाओं को जबरदस्ती सेना में शामिल किया जा रहा है। रूसी सरकार ये भी बताने को तैयार नहीं है कि अब तक कितने सैनिकों की मौत हुई है या फौज को कितना नुकसान हुआ है।
माना जा रहा है कि इस दो दिन के सीजफायर से पुतिन देश और दुनिया में अपने विरोधियों को यह मैसेज देना चाहते हैं कि वो जंग नहीं बल्कि अमन के पक्ष में हैं और इसीलिए उन्होंने अपनी तरफ से दो दिन का सीजफायर किया है। वैसे, इसमें दो पेंच हैं और उन्हें समझना जरूरी है।
24 फरवरी 2022 को रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था। पुतिन को उम्मीद थी कि जंग कुछ ही दिन में खत्म हो जाएगी, क्योंकि रूस की तुलना में यूक्रेन हर लिहाज से कमजोर देश है। बहरहाल, ऐसा नहीं हुआ। दूसरी बात- पेट्रीआर्क किरिल पुतिन के कट्टर समर्थक हैं और बहुत मुमकिन है कि उन्होंने राष्ट्रपति की सलाह या इशारे पर ही यह कदम उठाया हो। इससे पुतिन ये साबित करने की कोशिश करेंगे कि उन्होंने तो अपनी तरफ से शांति की दिशा में कदम बढ़ाया है।
ये चाल भी हो सकती है
अमेरिका ने हाल ही में यूक्रेन को पेट्रियाट मिसाइलें और एयर डिफेंस सिस्टम दिया है। उसके पास अच्छे ड्रोन भी हैं। इसकी वजह से यूक्रेन ने रूस पर जबरदस्त जवाबी हमले किए हैं। खेरसॉन और दो जिलों पर रूस ने कब्जा कर लिया था। यूक्रेन अब इन्हें वापस हासिल कर चुका है।
इस नजरिए से देखें तो यह पुतिन की चाल भी हो सकती है कि वो अपनी फौज को फिर एकजुट करने के लिए सीजफायर के बहाने वक्त हासिल करें और फिर यूक्रेन पर नए सिरे से जबरदस्त हमले करें। डिफेंस एक्सपर्ट इसे ‘सीजफायर फॉर रीग्रुपिंग स्ट्रैटेजी’ कहते हैं। यूक्रेन भी इसे पुतिन की चाल के तौर पर ही देख रहा है।
ऑर्थोडॉक्स क्रिसमस और कैथोलिक क्रिसमस में फर्क
ऑर्थोडॉक्स क्रिसमस और कैथोलिक चर्च में बुनियादी तौर पर कुछ फर्क हैं। यही वजह है कि जब दुनियाभर में कैथोलिक चर्च दिसंबर में क्रिसमस वीक सेलिब्रेट करते हैं तो ऑर्थोडॉक्स चर्च इससे दूर रहते हैं और वो 7 जनवरी को क्रिसमस मनाते हैं। इनका कैलेंडर भी अलग होता है। जिस तरह कैथोलिक चर्च के प्रमुख को पोप कहते हैं उसी तरह ऑर्थोडॉक्स चर्च के प्रमुख को पेट्रीआर्क कहते हैं। ठीक उसी तरह जिस तरह भारत में धर्माधिकारी होते हैं।
11वीं शताब्दी में ईसाई धर्म दो धाराओं में बंट गया था। एक है रोमन कैथोलिक: जिसे ज्यादातर ईसाई मानते हैं। दूसरा है ऑर्थोडॉक्स: इसे आमतौर पर रूसी ऑर्थोडॉक्स कहा जाता है। 2016 में पोप फ्रांसिस और पेट्रीआर्क किरिल की मैक्सिको में मुलाकात हुई थी। दोनों गले भी मिले थे। कहा जाता है कि करीब एक हजार साल में यह दोनों धर्मगुरुओं (तब से अब तक) की पहली मुलाकात थी।