कैप्टन भूपेंद्र ने सुनाए CM के 8 साल पुराने किस्से:बोले- डाइनिंग टेबल पर लगते थे शिकायतों के ढेर, अनुभवी कहते ये फेंकने वाली चीजें

हरियाणा के सीएम मनोहर लाल के पूर्व ओएसडी और हिसार भाजपा जिलाध्यक्ष कैप्टन भूपेंद्र सिंह ने एक सरकारी समारोह में उनसे जुड़े 8 साल पुराने किस्से सुनाए। सीएम विंडो की स्थापना का जिक्र करते हुए कैप्टन भूपेंद्र ने बताया कि 8 साल पहले जब मनोहर लाल सीएम बने थे तो पूर्व के मुख्यमंत्रियों की तरह उनके आवास पर सुबह- सुबह ही शिकायतें देने वालों का सिलसिला शुरू हो जाता।

जो कि रात तक चलता। यह लगातार चलता रहता। लोग कागज लेकर हमेशा उनकी प्रतीक्षा में रहते कि ये काम करवा दो।

एक सिस्टम बनाया गया
कैप्टन भूपेंद्र ने कहा कि लोगों को व्यवस्थित करने के लिए एक सिस्टम बनाया गया कि दोपहर को 1 घंटे का समय निकाला जाएगा, जब सीएम सबसे मिलेंगे, लेकिन यह टास्क इतना बड़ा था कि एक घंटे के अंदर क्या पूरा आप दिन लगे रहे तो भी लोग निपटते नहीं थे। एक- एक व्यक्ति के पास रुकने का टाइम सेकिंडों का होता था। उनकी पीड़ा या कष्ट पर भी निर्णय नहीं ले पाते थे।

कागजों का ढेर दिन प्रतिदिन बढ़ने लगा
कैप्टन भूपेंद्र सिंह ने बताया कि थोड़े दिनों बाद कागजों का ढेर दिन प्रतिदिन बढ़ने लगा। सीएम आवास पर डाइनिंग टेबल पर कागजों के ढेर लगने लग गए। तब सबसे वाले ऊपर वाले कागज पर हम लिख देते कि यह फलां दिन का है। रोज ढेर लगने लग गए, ऐसे ही ऑफिस में लगने लग गए। ये तो मैं सीएम निवास की बात करता हूं।

कई शिकायतें रिपीट होने लगीं
भाजपा जिलाध्यक्ष ने बताया कि हमने अनुभवी कर्मचारियों से पता किया कि पुरानी सरकारों में डीलिंग का क्या सिस्टम था। तब वे कर्मचारी हंसने लग गए कि सभी पर एक्शन लेने की जरूरत नहीं है। ये तो फेंकने वाली चीजें है। हमने सीएम को बताया कि हॉल भर गया। कर्मचारी इन्हें फेंकने और नष्ट करने के ऐसे-ऐसे सुझाव दे रहे हैं। उन शिकायतों में से कई शिकायतें रिपीट होने लग गई तो कइयों के मानसिक संतुलन का भी पता लग गया।

एक महीने बाद सीएम हुए चिंतित
कैप्टन भूपेंद्र ने बताया कि एक-डेढ़ महीने बाद सीएम मनोहर लाल चिंतित होने लग गए कि इनमें से एक की भी यदि वास्तविक समस्या हुई और आप लोग बता रहे हो कि इसे फेंक दो, तो मेरी आत्मा नहीं मानेगी। मैं इतने बड़े पद पर बैठा हूं। कोई आदमी इतनी दूर से आ रहा है। तब यह सिलसिला चलता रहा।

सीएम से मिल लेगा, काम हो जाएगा, गारंटी नहीं
इसके माध्यम से अंदाजा लगाया कि हरियाणा के किसी भी छोर से एक आदमी चंडीगढ़ आता है तो वह कम से कम पांच घंटे दूरी तय करके आता है। फिर भी गारंटी नहीं है कि सीएम से मिल भी लेगा और काम भी हो जाएगा। पांच- सात हजार रुपए उसका खर्च आ जाएगा और यह भी नहीं है कि वह मिल भी लेगा। उसके साथ ठेकेदार टाइप के लोग उसका शोषण करने में लगे हुए हैं।

सीएम से बर्दाश्त नहीं हुआ
कैप्टन भूपेंद्र ने बताया कि जब यह सिलसिला चला तो सीएम ने कहा कि यह मेरे से बर्दाश्त नहीं होगा। तब सीएम विंडो का विकास हुआ और फैसला लिया गया कि एक चैनल के हिसाब से इसका निवारण किया जाए। जब सीएम विंडो का आइडिया आया तो कई कहते थे कि ये कौन सी दुनिया चलाने चले हो। आपके पैर उखाड़ देंगे, ये हरियाणा है। ऐसी बड़ी सारी बातें सुनाते थे, आज इस बात को 8 साल हो गए। आज बहुत सारी चीजें सुधार में आईं। एक दिशा मिली।