पानीपत में खुली ‘मोहब्बत की दुकान’:हैंडलूम दुकानदार ने लगाया बोर्ड; राहुल गांधी के डायलॉग से प्रभावित हुआ INLD स्पोर्टर

नफरत के इस बाजार में मोहब्बत की दुकान खोलने आया हूं। भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी का कहा गया यह डायलॉग इन दिनों हर जगह वाहवाही बटोर रहा है। इसी डायलॉग से प्रभावित होकर पानीपत के एक हैंडलूम दुकानदार ने अपनी दुकान के बाहर राहुल गांधी की फोटो के साथ मोहब्बत की दुकान का बोर्ड लगवाया है। जिसके बाद दुकानदार भी पानीपत में ही नहीं, ब्लकि दूसरों जिलों और राज्यों में भी खूब सुर्खियां बटोर रहा है।

दुकानदार बोला- किसी भी राजनीतिक पार्टी से संबंधित नहीं हूं
दुकानदार मोनू ने बताया कि उसकी गोहाना रोड पर पिछले कई सालों से टैक्सटाइल और हैंडलूम आइटम्स की दुकान है। वह हमेशा इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) का स्पोर्टर रहा है। मगर, राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने अलवर में एक बात ऐसी कही, जिससे वह काफी प्रभावित हुआ है। राहुल ने यही बात पानीपत में भी दोहराई थी। उन्होंने कहा था कि नफरत के इस बाजार में मोहब्बत की दुकान खोल रहा हूं।

बोर्ड देखकर मुस्कुराते हैं लोग
उन्होंने कहा कि दुकान के बाहर लगे इस बोर्ड को पर आने-जाने वाले शख्स की नजर पड़ ही जाती है। जिसे देखने के बाद वह शख्स मुस्कुराता जरूर है। इसके बाद वह शख्स मेरी तरफ भी देखकर मुस्कुराता है।बस इसी मुस्कुराहट का नाम मोहब्बत की दुकान है। इन तीन शब्दों के मायने बहुत ज्यादा है। बोर्ड देखने के बाद जो मुस्कुराहट शख्स के चेहरे पर आती है, शायद वह दिनभर वाली भाग-दौड़ में न ला पाता हो।

राहुल को पप्पू कहने वाले खुद ही पप्पू हैं
देश को कई हिस्सों में बांट दिया। रंग-रूप, जाति-पाति, अमीर-गरीब, हिंदू-मुस्लिम, छोटा-बड़ा आदि में हिंदुस्तान के लोगों को आपस में भिड़ाया जा रहा है। जिससे देश के लोग लगातार हिंसक हो रहे हैं।

राहुल गांधी इसी भेदभाव को मिटाने के लिए भारत जोड़ो यात्रा निकाल रहे हैं। उनको पप्पू कहने वाले खुद पप्पू हैं। राहुल गांधी हमेशा हर किसी को जी लगाकर संबोधित करते हैं, जबकि सत्ता में चूर लोग राहुल को विभिन्न तरह के नामों से संबोधित करते हैं।

मोदी अपने मन की बात सुनाते हैं, कभी लोगों की नहीं सुनी
मोदी मन की बात करते हैं। क्या कभी किसी ने लोगों के मन की बात सुनी है। लोग कितने परेशान हैं। किस तरह लोगों को टॉर्चर किया जा रहा है, जबकि राहुल गांधी सड़क पर खड़े होकर लोगों की बात सुनी है। उनसे कोई भी मिलने गया, उन्हें टाइम दिया। उनकी समस्या सुनी। उन्हें गले लगाते हैं। इसी में ही लोगों को अपनेपन का अहसास होता है। ऐसा सत्ता पक्ष में कोई भी नहीं करता है।