पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट की किसान रैलियों के माध्यम से अपनी ताकत दिखाने की ताजा पहल ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही नहीं कांग्रेस नेतृत्व की भी बेचैनी बढ़ा दी है। राजस्थान में कांग्रेस की अंदरूनी सियासत को लेकर लंबे अर्से से जारी अनिर्णय की स्थिति के बीच पायलट की रैलियों में जुट रही भीड़ से पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर अनिर्णय का जल्द पटाक्षेप करने का दबाव बढ़ गया है। इसके मद्देनजर नेतृत्व परिवर्तन विवाद अनुशासन भंग करने के आरोपी गहलोत समर्थक तीन मंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई कर पायलट और उनके समर्थकों की नाराजगी थामने के विकल्प पर अंदरूनी चर्चाएं शुरू हो गई है।
नागौर के बाद मंगलवार को हनुमानगढ़ जिले में सचिन पायलट की किसान रैली के बड़े राजनीतिक शो में भले ही पूर्व डिप्टी सीएम ने कांग्रेस की रीति-नीति के साथ राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा के एजेंडे को जमीन पर कार्यान्वित करने की बात कही मगर उनका सियासी निशाना जाहिर तौर पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की घेरेबंदी पर साफ दिखा।
पायलट के समर्थक चाहते हैं कि आगामी चुनाव में कांग्रेस लेकर आए नया चेहरा
समझा जाता है कि इस पहल ने कांग्रेस नेतृत्व तक यह संदेश पहुंचा दिया है कि हाईकमान के निर्देशों के बावजूद विधायक दल की बैठक रोकने और अलग बैठक करने वाले गहलोत सरकार के मंत्री शांति धारीवाल, महेश जोशी और विधायक धर्मेंद्र राठौर पर कार्रवाई नहीं की जाएगी तो फिर इसका भी ऐलान हो। जाहिर तौर पर ऐसी घोषणा का मतलब नेतृत्व के लिए अपनी किरकिरी कराना होगा। वैसे पायलट और समर्थकों की यह पहल केवल तीन मंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए ही नहीं बल्कि इसका असली लक्ष्य राजस्थान के अगले चुनाव में कांग्रेस के नए नेतृत्व के चेहरे को लेकर है।
राजस्थान कांग्रेस में गहलोत के बाद सचिन पायलट हैं सबसे प्रमुख दावेदार
1993 से बीते 30 साल के दौरान हर पांच साल बाद सत्ता पलटी है और इस हिसाब से अगले चुनाव में पार्टी की चुनौती गंभीर है। हालांकि पायलट समर्थकों की दलील है कि बीते तीन दशकों में वसुंधरा या गहलोत के नेतृत्व के ईद-गिर्द रही सूबे की सियासत में नए चेहरे के जरिए पांच साल में सत्ता बदलने की परिपाटी को बदला जा सकता है। कांग्रेस में स्वाभाविक रुप से अगली पीढ़ी के नेतृत्व के रूप में सचिन पायलट सबसे प्रमुख दावेदार हैं और इसलिए उनके समर्थक भी 11 महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए इसमें जोर लगाने से पीछे नहीं रहना चाहते। बीते चार साल से गहलोत के निशाने पर रहे पायलट को उनके विरोधी केवल गुर्जर समुदाय के नेता बताकर उनकी काट करते रहे हैं।
किसानों और युवाओं तक पहुंच रही कांग्रेस: सचिन पायलट
लेकिन जाट बहुल नागौर और हनुमानगढ़, जाट और राजपूत प्रभाव वाले झूंझनू, आदिवासी वर्ग के वर्चस्व वाले पाली जिले को किसान रैलियों के लिए तो जयपुर में युवा महासम्मेलन के बहाने भीड़ जुटाने का दांव चल पायलट ने अपने विरोधी खेमे की इस धारणा को तोड़ने का दांव चल दिया है।
गहलोत सरकार के साथ राजस्थान कांग्रेस में किसान रैलियों की वजह से मची हलचल के बारे में पूछे जाने पर सचिन पायलट ने दैनिक जागरण से कहा कि राहुल गांधी की 18 दिनों तक यहां हुई भारत जोड़ो यात्रा के संदेशों को सूबे के लोगों के बीच पहुंचाना उनका मकसद है। उन्होंने कहा कि जाति-धर्म, प्रांत और भाषा को केवल दो ही चीजें किसानी और जवानी लांघ सकती है और इसलिए वे किसानों और युवाओं के बीच जाकर कांग्रेस के संदेश को मजबूती से पहुंचाने की पहल कर रहे हैं।