जर्मन चांसलर बोले-जयशंकर की बातों में दम:भारतीय विदेश मंत्री ने कहा था- यूरोप की समस्या दुनिया की समस्या नहीं, माइंडसेट बदलना जरूरी

जर्मनी के म्यूनिख शहर में हो रही सिक्योरिटी काउंसिल में चांसलर ओलाफ शोल्ज ने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के 9 महीने पुराने ‘यूरोपियन माइंडसेट’ वाले बयान पर सहमति जताई है। उन्होंने कहा- जयंशकर की विचारधारा में बदलाव की बात में दम है।

दरअसल, जून 2022 को विदेश मंत्री एस जयशंकर यूरोप के स्लोवाकिया दौरे पर पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने कहा था- यूरोप को इस मानसिकता से बाहर निकलना होगा कि यूरोप की समस्याएं दुनिया की समस्याएं हैं, लेकिन दुनिया की समस्याएं यूरोप की समस्याएं नहीं हैं।

इसका जिक्र करते हुए जर्मन चांसलर ने कहा- विदेश मंत्री जयशंकर के इस बयान को म्यूनिख सिक्योरिटी काउंसिल की रिपोर्ट में शामिल किया गया है। इस बात में दम है। क्योंकि अगर बड़ी ताकतें इंटरनेशल रिलेशन्स को अपने मुताबिक ढालना चाहती हैं तो केवल यूरोप की समस्या नहीं है।

मिलकर काम करना होगा : शोल्ज
जर्मन चांसलर शोल्ज ने कहा- हमें साथ मिलकर सभी देशों के हितों में काम करना होगा। साथ ही सभी देशों की चिंताओं को दूर करना होगा। मैं वास्तव में इन क्षेत्रों में मिलकर काम करना चाहता हूं। इससे भुखमरी और गरीबी जैसी चुनौतियों का समाधान खोजा जा सकता है। कुछ चुनौतियां रूस-यूक्रेन जंग के साथ-साथ क्लाइमेट चेंज और कोवड-19 के कारण भी सामने आई हैं।

पहले भी अमेरिका और यूरोप को घेर चुके हैं जयशंकर

भारत ने गेहूं निर्यात पर बैन लगा रखा है। चीन ने भारत के इस फैसले का समर्थन किया था। दुनियाभर मे इसे लेकर दुष्प्रचार किए जा रहे हैं। जून 2022 में इस पर जयशंकर ने बताया कि भारत ने इस साल अब तक 23 देशों को गेहूं का निर्यात किया है। मैं पूछता हूं अमेरिका और यूरोपीय देश ईरान के तेल को बाजार में नहीं आने दे रहे हैं?

वे क्‍यों नहीं वेनेजुएला को बाजार में अपना तेल बेचने दे रहे हैं। अमेरिका और यूरोप ने हमारे पास तेल के जो भी स्रोत हैं, उसे निचोड़ लिया है और कह रहे हैं कि ठीक है दोस्‍तों बाजार नहीं जाते हैं। आप हमारे पास आइए हम सबसे अच्छी डील देंगे। मैं नहीं समझता हूं कि यह एक ठीक रवैया है।

तेल खरीद पर अमेरिका और यूरोप को जवाब दिया
इससे पहले, अमेरिका में 2+2 वार्ता के दौरान भी जयशंकर ने तेल खरीदने को लेकर अमेरिका को घेरा था। जयशंकर ने कहा था कि भारत रूस से जितना तेल महीने भर में नहीं खरीदता, उससे अधिक तेल यूरोप रूस से एक दोपहर में खरीद लेता है। उन्होंने इस दौरान कहा था- यदि आप रूस से भारत की ऊर्जा खरीद पर बात करना चाहते हैं तो मेरा सुझाव है कि आपको यूरोप पर ध्यान देना चाहिए।