क्वालिटी एजुकेशन तक कॉमन आदमी की पहुंच ना होना भारत की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। सरकार द्वारा कई पहलों के बावजूद निम्न-आय वाले परिवारों के बच्चों के लिए बेहतर सुविधाएं और शिक्षा देने वाले निजी स्कूल आज भी अफोर्डेबल नहीं हैं।
लेकिन निराश होना कोई समाधान नहीं।
आइए, आज हम जानते हैं कि भारत का कॉमन आदमी कम खर्च में कैसे क्वालिटी एजुकेशन प्राप्त कर सकता है।
कॉमन मैन के लिए अफोर्डेबल और अच्छी शिक्षा का सोल्युशन
1) गवर्नमेंट स्कूल्स
गवर्नमेंट स्कूल मुफ्त शिक्षा प्रदान करते हैं और गरीब परिवारों के लिए सबसे सुलभ विकल्प हैं। हालांकि, इन स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता अलग-अलग हो सकती है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) जैसी पहलों का उद्देश्य सरकारी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध करवाना है।
कई गवर्नमेंट स्कूल्स ने एकदम अलग हट कर कार्य किया है। कुछ उदाहरण निम्न प्रकार हैं –
रुक्मिणी देवी पब्लिक स्कूल, दिल्ली: दिल्ली के इस सरकारी स्कूल को अपनी नवीन शिक्षण विधियों के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मान्यता मिली है, जिसमें टेक्नोलॉजी और परियोजना-आधारित शिक्षा का उपयोग शामिल है। स्कूल ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) की परीक्षा में 100% सफलता दर हासिल की है और इसे भारत के सर्वश्रेष्ठ सरकारी स्कूलों में से एक के रूप में स्थान दिया गया है।
द गवर्नमेंट मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल, सेक्टर 16, चंडीगढ़: चंडीगढ़ के इस सरकारी स्कूल ने CBSE परीक्षाओं में 100% सफलता दर और उच्च अंकों के साथ लगातार उत्कृष्ट परिणाम प्राप्त दिए हैं। स्मार्ट क्लासरूम, ई-लर्निंग संसाधनों और एक विद्यार्थी-केंद्रित दृष्टिकोण और नवीन शिक्षण विधियों का उपयोग करने की वजह से इस स्कूल को जाना जाता है।
दिल्ली सरकार के स्कूल: दिल्ली सरकार ने सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए कई पहलें की हैं। सरकार ने स्मार्ट कक्षाओं और ई-लर्निंग संसाधनों के प्रावधान सहित बुनियादी ढांचे और प्रौद्योगिकी में निवेश किया है। दिल्ली सरकार के स्कूलों ने पिछले कुछ वर्षों में अपने सीबीएसई परीक्षा परिणामों में महत्वपूर्ण सुधार हासिल किया है। कई स्कूलों ने 100% पास दर हासिल की है।
कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय: ये सरकारी स्कूल वंचित समुदायों की लड़कियों को मुफ्त शिक्षा प्रदान करते हैं। स्कूलों को साक्षरता दर में सुधार और शिक्षा में लैंगिक अंतर को कम करने के मामले में अच्छे परिणाम प्राप्त हुए हैं। इन स्कूलों की कई छात्राएं उच्च शिक्षा हासिल करने और विभिन्न क्षेत्रों में नौकरी करने के लिए जा चुकी हैं।
जवाहर नवोदय विद्यालय: ये सरकारी स्कूल ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों को मुफ्त शिक्षा प्रदान करते हैं। शैक्षणिक प्रदर्शन में सुधार और ड्रॉप-आउट दरों को कम करने के मामले में स्कूलों ने प्रभावशाली परिणाम दिए हैं। इन स्कूलों के कई छात्र उच्च शिक्षा हासिल कर रहे हैं और विभिन्न क्षेत्रों में जॉब कर रहे हैं।
यदि आप भी अपने बच्चे को इसी तरह के किसी गवर्नमेंट स्कुल में पढ़ाएं तो आप मुफ्त में क्वालिटी शिक्षा पा सकते हैं।
2) स्कॉलरशिप्स (छात्रवृत्तियां) और NGO
भारत सरकार और कई NGO कम आय वाले परिवारों के छात्र-छात्राओं को बेहतर सुविधाएं और एजुकेशन देने के लिए स्कॉलरशिप प्रदान करते हैं। ये छात्रवृत्ति ट्यूशन फीस, किताबें और अन्य खर्चों को कवर कर सकती हैं। कुछ स्कॉलरशिप्स निम्न प्रकार हैं –
नेशनल मीन्स-कम-मेरिट स्कॉलरशिप: यह स्कॉलरशिप समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के उन छात्रों के लिए उपलब्ध है, जिन्होंने आठवीं कक्षा पास की है और सरकारी या निजी स्कूल में अपनी पढ़ाई करना चाहते हैं। छात्रवृत्ति ट्यूशन फीस, किताबों और अन्य खर्चों को कवर करने के लिए आर्थिक सहायता देती है।
अन्य योजनाओं में दिव्यांग छात्रों के लिए राष्ट्रीय छात्रवृत्ति योजना, अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति/ अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों के लिए पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना, अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति/ अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों के लिए प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना, कॉलेज और विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए केंद्रीय क्षेत्र छात्रवृत्ति योजना, RPF/RPSF के लिए प्रधानमंत्री छात्रवृत्ति योजना आदि हैं।
यह केवल कुछ प्रमुख योजनाओं की लिस्ट है। इसके अलावा राज्य स्तर पर भी कई योजनाएं हैं, जिन्हें आप अपने स्तर पर पता कर सकते हैं।
भारत में कई एनजीओ वंचित समुदायों के बच्चों तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पहुंचाने के लिए काम करते हैं। ये संगठन मुफ्त शिक्षा, स्कूल के बाद के कार्यक्रम और परामर्श प्रदान करते हैं। इनमें से कुछ टीच फॉर इंडिया, प्रथम, अक्षय पात्र फाउंडेशन, CRY (चाइल्ड राइट्स एंड यू), स्माइल फाउंडेशन आदि हैं।
3) ऑनलाइन शिक्षा
टेक्नोलॉजी के उदय के साथ ऑनलाइन शिक्षा प्लेटफॉर्मों में वृद्धि हुई है, जो मुफ्त या कम लागत वाली शिक्षा प्रदान करते हैं। गरीब माता-पिता अपने बच्चों की शिक्षा के पूरक या वैकल्पिक शिक्षा विकल्प प्रदान करने के लिए इन प्लेटफार्मों का उपयोग कर सकते हैं।
SWAYAM भारत सरकार की एक पहल है, जो इंजीनियरिंग, मानविकी और सामाजिक विज्ञान सहित विभिन्न विषयों में मुफ्त ऑनलाइन पाठ्यक्रम प्रदान करती है। ये हिंदी और अंग्रेजी में पाठ्यक्रम प्रदान करता है और छात्र अपनी शिक्षा को बढ़ाने के लिए वीडियो व्याख्यान, इंटरैक्टिव क्विज और असाइनमेंट का उपयोग कर सकते हैं।
इन प्लेटफॉर्म्स में इसके अलावा फिजिक्सवाला, Unacademy, Adda247, Toppr, HindiGYAN, खान एकेडमी, edX आदि शामिल हैं।
4) गवर्नमेंट लाइब्रेरीज (सार्वजनिक पुस्तकालय)
लगभग हर अच्छे शहर में एक गवर्नमेंट लाइब्रेरी तो होती ही है, जहाँ से आप नॉमिनल फीस में रजिस्ट्रेशन करवा कर बड़ी संख्या में किताबों तक पहुंच सकते हैं। बड़े शहरों जैसे मुंबई, दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई आदि की गवर्नमेंट लाइब्रेरीज में तो दुर्लभ पुस्तकें भी मिल सकती हैं।
हालांकि हो सकता है कि कुछ छोटे शहरों की लाइब्रेरीज में मैनेजमेंट उतना अच्छा नहीं हो। कभी-कभी आपको किताबों को ढूंढने में घंटों का समय लग सकता है या फिर किताबें थोड़ी पुरानी हो सकती हैं, फिर भी ये नॉलेज चाहने वाले लोगों के लिए यह एक मूल्यवान स्त्रोत है।
इस क्षेत्र के सबसे बड़े पुस्तकालयों में राष्ट्रीय पुस्तकालय कोलकाता, स्टेट सेंट्रल लाइब्रेरी हैदराबाद, दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी नई दिल्ली, डेविड सैसून लाइब्रेरी मुंबई आदि हैं।
इंदौर की सेंट्रल लाइब्रेरी तो वेल-मेन्टेनेड हैं और लाइब्रेरी के बाहर अच्छा-खासा गार्डन है। मैगजीन्स और अखबारों के लिए अलग-अलग कमरे हैं। सारा केटलॉग कम्प्यूटराइज हैं तो किताबें तुरंत मिल जाती हैं। डिजिटल बुक्स पढ़ने के लिए कंप्यूटर लैब जैसा एक सेक्शन अलग से हैं। लाइब्रेरी की कैंपस में ही एक कला प्रदर्शनी हॉल और ऑडिटोरियम भी है।