प्रयागराज में बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह रहे उमेश पाल की हत्या का आरोप भले ही पूर्व सांसद एवं माफिया अतीक अहमद और उसके गिरोह पर लगा हो। लेकिन हत्या के बाद हवा में तैर रहे तमाम ऐसे सवाल हैं, जिनका जवाब ढूंढे बिना हत्याकांड का सटीक खुलासा कहीं न कहीं बेईमानी साबित होगी।
एक टैंकर क्लीनर से अपने करियर की शुरुआत करने वाले कृष्ण कुमार पाल उर्फ उमेश पाल आज की तारीख में करोड़ों के मालिक थे। उमेश के पास सफारी, क्रेटा, इनोवा जैसी लग्जरी गाड़ियों का जत्था और 12 से ज्यादा भूखंडों का मालिकाना हक था। पैसा आने के बाद उमेश पाल की राजनैतिक महत्वाकांक्षा भी उड़ान भरने लगी। वह भी विधायकी लड़ना चाहते थे, जिसकी वजह से चचेरी बहन विधायक पूजा पाल (राजू पाल की पत्नी) से भी उनकी अनबन हो गई थी। इसलिए उमेश पाल की पिछली जिंदगी में जब तक पुलिस नहीं झांकेगी, तब तक असलियत सामने नहीं आएगी।
प्रीतम नगर में क्लीनर का काम करते थे उमेश
धूमनगंज थाना क्षेत्र के जयंतीपुर में रहने वाले उमेश पाल तीन भाइयों में दूसरे नंबर के थे। बड़े भाई पप्पू पाल छोटे भाई रमेश पाल हैं। परिवार में उनकी बूढ़ी मां पत्नी और दो बेटे एवं दो बेटियां हैं। चायल विधायक पूजा पाल के चचेरे भाई उमेश पाल को बसपा विधायक राजू पाल की हत्या से पहले तक शायद मोहल्ले वाले भी ठीक से नहीं पहचानते थे। तंगहाली और गरीबी में पले बढ़े उमेश पाल बचपन में प्रीतम नगर में रहने वाले टैंकर चालक सरदार के साथ क्लीनर का काम करते थे।
हत्याकांड का गवाह बनने के बदा 2006 में अपहरण
उनके जानने वालों का कहना है कि शुरू से ही उमेश पाल की आगे पढ़ने की बहुत तमन्ना थी। पैसे कमाने की उनके अंदर धुन सवार थी। उमेश पाल के जीवन में बदलाव विधायक और उनके चचेरे बहनोई राजू पाल हत्याकांड के बाद आया। हत्याकांड के मुख्य गवाह बने उमेश पाल का साल 2006 में धूमनगंज के झलवा इलाके से अपहरण कर लिया गया था।
उमेश पाल ने पूर्व सांसद बाहुबली अतीक अहमद, उसके भाई पूर्व विधायक मोहम्मद अशरफ और अन्य पर अपहरण कर चकिया स्थित अपनी कोठी पर ले जाकर पीटने और गवाही न देने का दबाव बनाने का आरोप लगाया था। 24 फरवरी 2023 को इसी प्रकरण की गवाही के लिए उमेश पाल एमपी एमएलए कोर्ट गए थे। वहां से वापस घर पहुंचे थे, तभी उन्हें गोली मार दी गई।
राजू पाल हत्याकांड का मुख्य गवाह बनने और अपहरण में अतीक अहमद एंड गैंग पर नामजद एफआईआर दर्ज करा कर चर्चा में आए उमेश पाल ने उसी समय से अपना रसूख बढ़ाना शुरू कर दिया। वह जमीन के कारोबार में उतर गए पहले पार्टनरशिप में प्लाटिंग शुरू की, फिर धीरे-धीरे अकेले प्रॉपर्टी का कारोबार करने लगे। कुछ लोगों का कहना है कि प्रॉपर्टी का कारोबार इस समय उमेश पाल का धूमनगंज क्षेत्र में बड़े पैमाने पर चल रहा था।
इसकी वजह से उनका कई लोगों से तनातनी चल रही थी। सत्ता पक्ष से जुड़े होने की वजह से सीधे उनसे कोई टकरा नहीं रहा था। लेकिन कहीं ना कहीं जमीन का विवाद भी सुलग रहा था। उनके जाने वालों का कहना है कि उमेश पाल ने अपहरण के मामले को खूब भुनाया। उसी के बूते उन्होंने जमीन के कारोबार का बड़ा साम्राज्य स्थापित कर लिया था, जो कहीं ना कहीं व्यवसाय दुश्मनी में भी तब्दील हो रहा था।
विधायक पूजा पाल और उमेश के रिश्ते में आ चुकी थी दरार
पैसा आने के बाद उनकी राजनैतिक महत्वाकांक्षा भी बढ़ने लगी। जिसकी वजह से उनकी चचेरी बहन और चायल से सपा विधायक पूजा पाल के बीच रिश्ते में दूरी भी आ गई।नवाबगंज से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीतने के बाद उन्होंने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में वकालत करने वाले उमेश पाल का बचपन भले ही मुफलिसी में बीता हो, लेकिन इस समय वह क्षेत्र के चर्चित शख्सियत में गिने जाते थे। वह फाफामऊ विधानसभा से खुद चुनाव लड़ना चाहते थे। चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने सपा ज्वॉइन की थी।
साल 2022 में सपा छोड़ थामा था बीजेपी का दामन
साल 2017 से 2021 तक खूब प्रचार भी किया था, लेकिन 2022 में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का सिराथू में सभा हुआ। इसमें उमेश पाल बीजेपी में शामिल हो गए थे। उनके जानने वालों का कहना है कि चचेरी बहन सपा में और ये बीजेपी में थे। इस वजह से भाई-बहन में रार आ गई थी।
पूजा पाल जहां निवर्तमान विधायक हैं। वहीं, उमेश पाल भविष्य में विधायक की लड़ने की तैयारी कर रहे थे। कुछ लोगों का तो यहां तक कहना है कि वह राजू पाल हत्याकांड में गवाही देने से भी कतराने लगे थे। सिर्फ अपहरण के मामले में अतीक और अशरफ के खिलाफ मुकदमा लड़ रहे थे।