बिहार के बगहा में अमित शाह की सभा:400KM दूर पूर्णिया में महागठबंधन की रैली, नीतीश-तेजस्वी आएंगे

गृहमंत्री अमित शाह आज बिहार के बगहा में सभा को संबोधित करेंगे। उधर शाह की सभा से 400 किलोमीटर दूर पूर्णिया में महागठबंधन की महारैली हो रही है। इसमें जनता दल यूनाइटेड (JDU) नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता और डिप्टी CM तेजस्वी यादव संबोधित करेंगे।

इनके अलावा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य भी नीतीश-तेजस्वी की मंच पर मौजूद होंगे। छत्तीसगढ़ के रायपुर में कांग्रेस का राष्ट्रीय अधिवेशन होने के कारण उनके पार्टी से कौन से बड़े नेता शामिल होंगे यह अभी साफ नहीं हुआ है।

अमित शाह को जवाब देंगे
तेजस्वी यादव ने पूर्णिया रैली का फैसला उसी दिन ले लिया था, जिस दिन अमित शाह ने मीटिंग के लिए पूर्णिया को चुना था। सीमांचल में बीजेपी विरोधी पार्टियों का जुटान 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को देखते हुए हैं। भाकपा माले ने विपक्षी पार्टियों का जुटान 18 फरवरी को पटना में किया था।

इसमें नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव सहित कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद मौजूद रहे। लेकिन यह जुटान इस बात पर फंसा दिखा कि पहले आई लव यू कौन बोलेगी कांग्रेस या नीतीश कुमार।

सलमान खुर्शीद ने मंच से कहा था कि नीतीश जी मैं कांग्रेस आलाकमान तक आपकी बात पहुंचाऊंगा। आपके लिए वकील का काम करूंगा। जो आप सोच रहे हैं कांग्रेस भी वही सोच रही।

बात बस इतनी सी हैं कि पहले आई लव यू कौन कहे। इन सब के बीच नीतीश कुमार ने कांग्रेस को अल्टीमेटम भी दे दिया। उन्होंने कहा कि आप देख लीजिए, कई विपक्षी पार्टियों से हमारी बात हो गई हैं। बस आप लोगों का ही इंतजार हैं।

महागठबंधन के अंदर चल रहा चेक एंड बैलेंस

बिहार में नई सरकार के गठन के बाद से ये चर्चा हो रही हैं कि नीतीश कुमार केंद्र की राजनीति करेंगे और तेजस्वी मुख्यमंत्री बनेंगे। विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने की मुहिम में नीतीश कुमार को लालू प्रसाद का साथ चाहिए। लालू प्रसाद भी चाहते हैं कि तेजस्वी मुख्यमंत्री बनें।

आरजेडी के कई विधायक तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर चुके हैं। महागठबंधन के अंदर कांग्रेस के साथ खास तौर से आरजेडी ने उप चुनाव में क्या किया यह किसी से छिपा नहीं। अब लोकसभा चुनाव में कांग्रेस किस तरह से रिएक्ट करती इसका इंतजार करना पड़ेगा।

राहुल गांधी अपनी यात्रा के जरिए खुद को और कांग्रेस को मजबूत कर चुके हैं। बिहार कांग्रेस में नया प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह को बनाया जा चुका हैं।

इनकी छवि धन-बल से मजबूत एक धाकड़ नेता की है। दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस और माले लगातार कॉर्डिनेशन कमेटी बनाने की मांग करती रही और आरजेडी सहित जेडीयू इसको क्यों अनसुना करती रही। ये कांग्रेस और माले खूब समझती हैं। ओवर ऑल यह कि महागठबंधन के अंदर ही चेक एंड बैलेंस का खेल चल रहा है।

MY पर नजर, AIMIM फिर से ताकवर न बन जाए

सीमांचल की राजनीति पर गौर करें तो लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल का दबदबा लंबे समय तक रहा है। आरजेडी के MY समीकरण को यहां से ताकत मिलती रही। लेकिन ओवैसी ने आरजेडी की ताकत को कमजोर कर दिया है। नतीजा यह हुआ कि अमौर सीट से अख्तरुल ईमान, बायसी से सैयद रुकनुद्दीन अहमद, जोकीहाट से शाहनवाज आलम, कोचाधामन से मोहम्मद इजहार असफी, बहादुरगंज से मोहम्मद अंजार नईमी चुनाव जीते। तेजस्वी यादव ने इसका बदला लिया और अख्तरुल ईमान को छोड़ बाकी चारों विधायकों को अपनी पार्टी में शामिल कर लिया। आरजेडी फिर से सबसे बड़ी पार्टी बन गई।

सीमांचल के चार लोकसभा में स्थिति बुरी

सीमांचल में किशनगंज, कटिहार, अररिया और पूर्णिया चार लोकसभा क्षेत्र हैं। यहां आरजेडी की स्थिति बुरी हुई है। पूर्णिया में जेडीयू के संतोष कुशवाहा ने कांग्रेस के उदय सिंह को हराया था। कटिहार में जेडीयू के दुलाल चंद गोस्वामी ने कांग्रेस के तारिक अनवर को हराया था। अररिया में बीजेपी के प्रदीप सिंह ने आरजेडी के सरफराज आलम को हराया था। किशनगंज में कांग्रेस के मो. जावेद ने जेडीयू के महमूद अशरफ को हराया था। अब बिहार की राजनीति बदली पिछली बार से अलग है।

कांग्रेस, आरजेडी और जेडीयू एक साथ है। दूसरी तरफ है बीजेपी। इसलिए 2024 के लोकसभा चुनाव में महागठबंधन की पार्टियों की बीच सीटों का बंटवारा ज्यादा बड़ा चैलेंज है। 2019 के लोकसभा चुनाव के समय में कांग्रेस, आरजेडी और रालोसपा का गठबंधन था, इसी के साथ भाजपा, जेडीयू और रामविलास पासवान की पार्टी लोजपा दूसरी तरफ थी।देश के गृह मंत्री अमित शाह पिछले साल 23 सितंबर को पूर्णिया और 24 सितंबर को किशनगंज में जनसभा को संबोधित कर 2024 लोक सभा चुनाव के लिए बिगुल फूंक चुके हैं।

अब पूर्णिया से नीतीश-तेजस्वी हुंकार भरने वाले हैं। आरजेडी के प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन पूर्णिया में महागठबंधन की रैली अभूतपूर्व होगी। देश को भाजपा मुक्त बनाने का संदेश यहां से जाएगा। महागठबंधन में चट्टानी एकता कायम है। यह देश सभी लोगों का है। 2024 का आगाज पूर्णिया की रैली से होगी। भाजपा को केन्द्र की कुर्सी से उखाड़ फेंकने का शंखनाद होगा।

सीमांचल में वोटों का गणित

सीमांचल के लोकसभा क्षेत्रों पर नजर डालें तो किशनगंज लोकसभा में सर्वाधिक 67 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं। इसके बाद कटिहार में 38 फीसदी, अररिया में 32 फीसदी, पूर्णिया में 30 फीसदी वोटर हैं। बिहार में मुसलमान वोटर 16 फीसदी हैं।