शिवसेना पार्टी और चुनाव चिह्न के मामले में CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने गुरुवार को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया। मामले में 5 जजों की बेंच के सामने उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट ने 9 दिन तक अपनी दलीलें दी।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल का विश्वास मत बुलाने का फैसला गलत था, लेकिन उद्धव ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट से पहले ही इस्तीफा दे दिया था इसलिए हम उनकी सरकार को बहाल नहीं कर सकते।
कोर्ट ने कहा- फ्लोर टेस्ट दिया होता तो बात अलग होती
उद्धव ठाकरे की शिवसेना का पक्ष रख रहे अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट से उद्धव सरकार को बहाल करने की मांग की थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उद्धव ने फ्लोर टेस्ट में शामिल होने से पहले ही इस्तीफा दे दिया था। इसका मतलब उन्होंने खुद ही हार स्वीकार कर ली।
CJI ने कहा कि अगर उद्धव गुट फ्लोर टेस्ट में शामिल हुआ होता तो राज्यपाल के फैसले को असंवैधानिक पाए जाने पर हम कुछ कर सकते थे। तब हम फ्लोर टेस्ट को गलत ठहरा सकते थे। अब अगर हम आपकी सरकार को दोबारा बहाल कर दें तो संवैधानिक परेशानियां पैदा हो जाएंगी।
पढ़ें कोर्ट मे उद्धव गुट की दलीलें-
- कपिल सिब्बल (उद्धव गुट के वकील): राज्यपाल सिर्फ पार्टियों-गठबंधनों के बीच के मुद्दे देख सकते हैं। वे किसी गुट को बहुमत के लिए नहीं बुला सकते हैं।
- CJI: अगर विधायकों का कोई समूह समर्थन वापसी का दावा करे तो क्या राज्यपाल सदन के संख्या बल की स्थिति जांचने के लिए नहीं कह सकते?
- सिब्बल: नहीं, 10वीं अनुसूची के बाद ऐसा नहीं कर सकते। मेरा कहना है कि वे किसी गुट के आधार पर विश्वास मत नहीं मांग सकते थे।
- जस्टिस नरसिम्हा: आपका यह तर्क कभी-कभी खतरनाक भी हो सकता है। पार्टी में अक्सर एक नेता की चलती है। उसके अलावा किसी को कोई आजादी नहीं। कई बार पार्टी को एक ही परिवार चलाता है।
- सिब्बल: मैं अपनी शिकायत रख रहा हूं। समस्या यह है कि हम वापस दलबदल युग में जा रहे हैं।
- CJI: आपके अनुसार राज्यपाल उसी स्थिति में फ्लोर टेस्ट बुला सकते हैं, जब कोई दल शिफ्ट होता।
- सिब्बल: बिल्कुल।
- CJI: मान लीजिए सरकार के आधे विधायक कहें कि हमें सरकार पर भरोसा नहीं है। आपके तर्क से, राज्यपाल विश्वास मत नहीं बुला सकते?
- सिब्बल: गवर्नर अनुमान नहीं लगा सकते कि सरकार अल्पमत में है। वे स्पीकर के कार्यों पर अतिक्रमण नहीं कर सकते। वे शिंदे को नहीं कह सकते कि आपको CM बना रहे हैं। कोर्ट उनके आदेश को रद्द करे।
- CJI: आप चाह रहे हैं कि हम सरकार को दोबारा से बहाल कर दें? लेकिन आपने इस्तीफा दे दिया।
- अभिषेक मनु सिंघवी (उद्धव गुट के वकील): उद्धव सरकार का इस्तीफा अप्रासंगिक है।
- जस्टिस शाह: कोर्ट उस CM को कैसे बहाल कर सकता है, जिसने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया?
- सिंघवी: आप किसी को बहाल नहीं कर रहे हैं। आपका यथास्थिति बहाल कर रहे हैं।
- CJI: नहीं, ऐसा करना तब तार्किक बात होगी, जब आपने फ्लोर टेस्ट में भरोसा खो दिया हो।
- सिंघवी- राज्यपाल ने गैरकानूनी तरीके से फ्लोर टेस्ट बुलाया था। उनके गलत कार्य को वैधता नहीं प्रदान की जा सकती।
पिछले साल जून में गिरी थी उद्धव सरकार
दरअसल, महाराष्ट्र में बीते साल जून में शिवसेना के 35 विधायकों ने बगावत कर दी थी। इसके चलते उद्धव सरकार संकट में आ गई थी। राज्यपाल ने उद्धव ठाकरे से बहुमत साबित करने के लिए कहा था, जिसके बाद उद्धव ने इस्तीफा दे दिया था। तब एकनाथ शिंदे ने भाजपा के साथ सरकार बनाई थी।
उद्धव ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। ठाकरे गुट ने जहां शिंदे गुट की बगावत और उनके द्वारा सरकार के गठन को गलत बताया। वहीं, शिंदे गुट ने कहा कि विधायक दल में टूट के बाद राज्यपाल ने फ्लोर टेस्ट का आदेश देकर सही किया। मामले में कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।