डोकलाम विवाद पर भूटान के PM का बदला रुख:लोते थेरिंग ने इसे तीन देशों का सीमा विवाद बताया; इससे बढ़ सकती हैं भारत की दिक्कतें

पड़ोसी देश भूटान के प्रधानमंत्री लोते थेरिंग ने डोकलाम इलाके के विवाद को तीन देशों का विवाद करार दिया है। उनका कहना है कि डोकलाम विवाद को भारत, चीन और भूटान को मिलकर सुलझाना चाहिए, क्योंकि इस विवाद में तीनों ही देश बराबर के जिम्मेदार और हिस्सेदार हैं।

6 साल पहले डोकलाम इलाके में ही भारत और चीन के बीच सीमा विवाद हुआ था और महीनों तक दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने खड़े रहे थे। बहरहाल, थेरिंग का बयान भारत के उस स्टैंड से उलट है, जिसमें वो डोकलाम को भारत और भूटान के बीच का मसला मानता है। खुद थेरिंग भी पहले यही कहते रहे हैं, हालांकि अब उनका रुख भारत के लिए चिंता का कारण बन सकता है।

पहली बार चीन पर भी बोले

  • डोकलाम दरअसल, एक त्रिकोणीय जगह है। इसे ट्राइजंक्शन एरिया कहा जाता है। यहां से भारत का सिक्किम राज्य लगता है। भूटान के प्रधानमंत्री थेरिंग ने बेल्जियम की न्यूज वेबसाइट ‘डेली ला लिब्रे’ को इंटरव्यू दिया है। इसे NDTV ने पब्लिश किया है।
  • इंटरव्यू में थेरिंग ने कहा- डोकलाम मसले का हल सिर्फ भूटान नहीं निकाल सकता। इस मामले से तीन देश जुड़े हैं। और इस मामले में किसी भी देश को छोटा नहीं माना जा सकता। सब बराबर के हिस्सेदार हैं।
  • थेरिंग का यह बयान भारत की चिंताएं बढ़ाने वाला है। इसकी वजह यह है कि भारत डोकलाम में चीन के किसी भी दावे को नहीं मानता। उसके मुताबिक यह भारत और भूटान के बीच का मामला है। चीन का इसमें कोई दखल नहीं होना चाहिए। यह हिस्सा भारत के सिलीगुड़ी कॉरिडोर में आता है, जिसे स्ट्रैटजिक लोकेशन के हिसाब से सेंसिटिव माना जाता है।

भूटान बातचीत के लिए तैयार

  • थेरिंग ने कहा- अगर भारत और चीन बातचीत के लिए तैयार हों तो हम भी इस मामले पर बातचीत करना चाहते हैं। खास बात यह है कि 2019 में थेरिंग ने अंग्रेजी अखबार ‘द हिंदू’ को एक इंटरव्यू दिया था। इसमें उन्होंने कहा था- डोकलाम में कोई भी देश एकतरफा तौर पर बदलाव नहीं कर सकता। इंटरनेशनल मैप्स पर यह जगह बाटांग ला के तौर पर दिखाई गई है। इसके उत्तर में चीन की चुम्बी वैली, दक्षिण में भूटान है, जबकि भारत का सिक्किम पूर्व में है।
  • चीन चाहता है कि इस ट्राइजंक्शन को मैप पर 7 किलोमीटर दक्षिण की तरफ दिखाया जाए। यहां माउंट गिपमोची है। अगर ऐसा होता है तो तकनीकी तौर पर पूरा डोकलाम क्षेत्र ही चीन के कब्जे में हो जाएगा। भारत इसे किसी कीमत पर स्वीकार नहीं करता।
  • 2017 में लेफ्टिनेंट प्रवीण बख्शी (अब रिटायर्ड) ने कहा था- अगर चीन इस ट्राइजंक्शन को अपने हिसाब से शिफ्ट करने की कोशिश करता है तो भारत की सेनाएं ऐसा कभी नहीं होने देंगी। एकतरफा तौर पर कोई कदम उठाया ही नहीं जा सकता। यह मामला सीधे तौर पर भारत और भूटान की सिक्योरिटी से जुड़ा है।
  • 2017 के डोकलाम विवाद के बाद से चीन भूटान की अमो चू नदी घाटी के किनारे कंस्ट्रक्शन कर रहा है। यह हिस्सा डोकलाम के पूर्व में है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन ने यहां कुछ गांव बसाए और सड़कें बनाईं। ये भूटान का हिस्सा है।
  • इस बारे में पूछे गए एक सवाल पर भूटान के प्रधानमंत्री ने कहा- मीडिया में इस तरह की बातें हो रही हैं। हमारे लिए यह इसलिए चिंता की बात नहीं है, क्योंकि चीन ने जहां कंस्ट्रक्शन किया है, वो भूटान का हिस्सा नहीं है। यह इंटरनेशनल बॉर्डर एरिया है। हमें पता है कि हमारी जमीन कहां तक है।

8 महीने पहले तस्वीरें सामने आईं थीं

  • अगस्त 2022 में कुछ सैटेलाइट इमेजेस सामने आईं थीं। इनसे साफ हुआ था कि चीन भूटान के रास्ते भारत को घेरने की तैयारी कर रहा है। इसमें पता चला है कि चीन ने डोकलाम से 9 किमी दूर भूटान के अमो चू घाटी में गांव बसा लिया है। भूटानी इलाके में मौजूद इस गांव का नाम चीन ने पंगडा रखा है।
  • इस गांव के निर्माण की तस्वीरें नवंबर 2019 में आई थीं और अब ये गांव पूरी तरह से आबाद है। लगभग हर घर के आगे कार दिखाई दे रही है। पंगडा के पास ही ऑल वेदर रोड है, जो चीन ने भूटान की जमीन पर कब्जा कर बनाई है। यह रोड तेज बहाव वाली अमो चू नदी के किनारे है, जो भूटान के 10 किमी अंदर है। डोकलाम वही जगह है, जहां साल 2017 में चीन और इंडियन आर्मी का सामना हुआ था।
  • चीन मामलों के एक्सपर्ट डॉ. ब्रह्म चेलानी ने तब कहा था- चीन भूटान के इलाकों में गांव, सड़कों और सिक्योरिटी इंस्टालेशन का निर्माण कर भारत के खिलाफ अपनी सैन्य क्षमता को मजबूत कर रहा है। इन निर्माणों के जरिए चीन देश के रणनीतिक तौर पर अहम चिकन नेक कॉरिडोर के लिए खतरे के तौर पर उभरा है।

अब डोकलाम और इससे जुड़े विवाद के बारे में विस्तार से जानिए
डोकलाम के पठार में ही चीन, सिक्किम और भूटान के बॉर्डर मिलते हैं, इसे ट्राइजंक्शन कहते हैं। चीन यहां जिस इलाके में सड़क का निर्माण कर रहा था, वहां भूटान और चीन अपना-अपना दावा करते हैं। भूटान ने चीन से कंस्ट्रक्शन रोकने की मांग की। भारत इस विवाद में भूटान का साथ देता रहा है। वहीं, चीन इसे ब्रिटिश दौर में हुई ट्रीटी का हवाला देकर अपना इलाका बताता रहा है।

  • ये जगह नाथू ला पास (दर्रे) से बमुश्किल 15 किमी दूरी पर है, जो भारत और चीन को एक-दूसरे से अलग करती है।
  • चीन जहां सड़क बना रहा था, उसी इलाके में 20 किलोमीटर हिस्सा सिक्किम और नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों को भारत के बाकी हिस्से से जोड़ता है।
  • डोकलाम भारत के सिक्किम से चीन के लिए एक पास की तरह है। भारत में इस इलाके को डोकलाम और चीन में डोंगलांग कहते हैं।
  • डोकलाम चीन और भूटान के बीच का विवादित क्षेत्र है। इस पर भारत का सीधे कोई दावा नहीं है, बल्कि भारत इस विवाद में भूटान का साथ देता रहा है।

भारत क्यों दे रहा भूटान का साथ

  • भारत और भूटान के बीच मजबूत राजनयिक संबंध हैं। दोनों ही देश कई मुद्दों पर चीन का विरोध करते रहे हैं। भूटान का चीन के साथ कोई राजनयिक संबंध नहीं है। भूटान अपने क्षेत्र में चीन की घुसपैठ का हमेशा विरोध करता रहा है। इस घुसपैठ के खिलाफ भूटान पहले 1949 ट्रीटी और अब फ्रेंडशिप ट्रीटी के तहत भारत से मदद मांगता रहा है। भारत और भूटान ने अगस्त 1949 में एक ट्रीटी साइन की थी। ये संधि दोनों देशों के बीच शांति और एक-दूसरे के आंतरिक मामलों में दखल न देने के लिए की गई थी।
  • इसके तहत भूटान ने इस बात पर रजामंदी जताई थी कि भूटान अपनी व्यापक संप्रुभता के साथ भारत से फॉरेन पॉलिसी को लेकर मदद ले सकता है। हालांकि इस ट्रीटी के तहत उसे हथियार आयात करने के लिए भारत से किसी तरह की कोई परमिशन नहीं लेनी होगी।