यूपी सरकार में परिवहन मंत्री दया शंकर सिंह का पत्नी स्वाति सिंह से तलाक हो गया। लखनऊ की फैमिली कोर्ट ने दोनों के तलाक की मंजूरी दे दी है। स्वाति सिंह ने 30 दिसंबर 2022 को फैमिली कोर्ट में वाद दाखिल करके तलाक की अर्जी दी थी। अपर प्रधान न्यायाधीश देवेंद्र नाथ सिंह ने विवाह को समाप्त करने का फैसला दिया है। इस फैसले के साथ ही 22 साल की दोनों की शादी खत्म हो गई।
स्वाति सिंह और दयाशंकर सिंह यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में खूब सुर्खियां बटोरी। पति-पत्नी एक ही सीट सरोजनीनगर से अपनी दावेदारी पेश कर रहे थे। आपसी टकराव में स्वाति सिंह का टिकट कट गया और दयाशंकर सिंह को भाजपा ने बलिया सीट से उतार दिया।
स्वाति का ऑडियो हुआ था वायरल, बहुत खराब आदमी से मेरी शादी हुई
वैसे तो दोनों ने लव मैरिज की थी, लेकिन कई मौकों पर दोनों के बीच मनमुटाव की खबर आती रही। साल 2008 में स्वाति सिंह पति के खिलाफ मारपीट का FIR दर्ज कराया था। इसके अलावा स्वाति सिंह का एक ऑडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें वो ये कहती हैं कि दयाशंकर सिंह उनसे बहुत मारपीट करते हैं। बहुत खराब आदमी से मेरी शादी हो गई है।
स्वाति सिंह ने साल 2012 में तलाक के लिए कोर्ट पहुंची थीं। लेकिन मंत्री बनने के बाद केस की पैरवी बंद कर दी। 2018 में फैमिली कोर्ट ने दोनों पक्षों के कोर्ट नहीं पहुंचने पर केस बंद कर दिया था।
बात 2016 की है। दयाशकंर सिंह ने बसपा सुप्रीमो मायावती को लेकर विवादित बयान दिया। दयाशकंर ने मायावती पर टिकट बेचने का आरोप लगाते हुए उनके लिए अपशब्द बोला। इसके बाद हर तरफ बयान की आलोचन होने लगी और भाजपा से दयाशंकर सिंह पर कार्रवाई की मांग उठने लगी। उस समय नसीमुद्दीन सिद्दीक़ी बसपा के राष्ट्रीय महासचिव थे।
वो अपने कुछ समर्थकों के साथ लखनऊ के हजरतगंज चौराहे पर विरोध-प्रदर्शन करने पहुंचे। प्रदर्शन के दौरान उन्होंने दयाशंकर वाली गलती दोहराते हुए उनकी मां, पत्नी और बेटी को घसीट लिया। स्वाति सिंह नसीमुद्दीन के बयान पर गुस्सा हो गईं। दयाशंकर अपने बयान के चलते बैकफुट पर चले गए थे। लेकिन जवाब में आई नसीमुद्दीन की टिप्पणी पर स्वाति सिंह ने उन्हें आड़े हाथों लिया। उन्होंने मोर्चा संभाल लिया। स्वाति सिंह ने बसपा प्रमुख मायावती को अपने खिलाफ चुनावी मैदान में उतरने की चुनौती दे डाली।
दयाशंकर और नसीमुद्दीन की उस शर्मनाक हरकत पर अलग-अलग तरीके से कार्रवाई हुई। एक तरफ जहां भाजपा ने दयाशंकर को 6 साल के लिए निलंबित कर दिया, तो वहीं दयाशंकर सिंह की मां की तरफ दर्ज कराए गए FIR की वजह से नसीमुद्दीन को जेल जाना पड़ा। भाजपा ने सेफ गेम खेलते हुए दयाशंकर सिंह को पार्टी से निकाला और रिप्लेसमेंट में महिला कार्ड खेलने वाली स्वाति सिंह को ले आए। स्वाति सिंह को भाजपा महिला प्रकोष्ठ का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। इस तरह से स्वाति सिंह राजनीति में आईं। स्वाति सिंह महिला कल्याण विभाग की मंत्री बनी।
दयाशंकर सिंह ने लखनऊ विश्वविद्यालय से छात्र राजनीति में एंट्री की। तब स्वाति सिंह इलाहाबाद यूनिवर्सिटी MBA की पढ़ाई कर रही थी। बताया जाता है कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यक्रमों में अक्सर दोनों लोगों की मुलाकातें होने लगी। परिषद के कार्यक्रमों में दोनों का मेल-जोल बढ़ा और दोनों बलिया के ही रहने वाले थे, इसलिए उनके रिश्ते मजबूत हो गए। कुछ ही समय में दोनों विवाह बंधन में बंध गए। बाद में स्वाति सिंह इन लखनऊ विश्वविद्यालय पीएचडी में दाखिला कराया और यहां से साथ पढ़ाई करने लगे।