WHO on Covid-19: कोरोना वायरस अब ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी नहीं, डब्ल्यूएचओ ने की घोषणा

WHO on Covid-19 विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोविड-19 महामारी को लेकर एक बड़ा ऐलान किया है जो काफी राहत देने वाला है। हालांकि संगठन का कहना है कि अब भी इस वायरस को प्रति सावधानी बरतने की जरूरत है।

WHO on Covid-19: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोविड-19 महामारी को वैश्विक आपातकाल की स्थिति से हटा दिया है। संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी ने कहा कि वायरस बीमारी और इसका प्रसार अब वैश्विक आपातकाल के रूप में योग्य नहीं है। डब्ल्यूएचओ के इस निर्णय के बाद विनाशकारी कोरोना वायरस अब वैश्विक महामारी नहीं कहलाएगा। इस संक्रमण ने महीनों तक दुनियाभर के देशों में लॉकडाउन करने के लिए मजबूर कर दिया था, जिसका असर अर्थव्यवस्था और लोगों के जीवन पर गंभीर रूप से पड़ा।

हालांकि, वैश्विक महामारी की कैटेगरी से डाउनग्रेड करने के बाद WHO ने इस बात के लिए सचेत भी है किया कि भले ही अब एमरजेंसी खत्म हो गयी हो, लेकिन खतरा खत्म नहीं हुआ है। संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी का कहना है कि अभी भी हर हफ़्ते हज़ारों लोग इस वायरस से मर रहे हैं।

डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस ने कहा, “बड़ी उम्मीद के साथ मैं घोषित करता हूं कि कोविड-19 वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल नहीं है। इसका मतलब यह नहीं है कि वैश्विक स्वास्थ्य खतरे के रूप में कोविड-19 खत्म हो गया है।” इस बीच, भारत में शुक्रवार को पिछले 24 घंटों में 3,611 नए संक्रमण के मामले पाए गए।

गौरतलब हो कि, संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी ने पहली बार 30 जनवरी 2020 को कोरोनवायरस को एक अंतरराष्ट्रीय संकट घोषित किया था, तब तक इसे कोविड-19 नाम नहीं दिया गया था और चीन के बाहर कोई बड़ा प्रकोप नहीं दिख रहा था। अब तीन साल से भी अधिक समय के बाद, विश्व स्तर पर वायरस के अनुमानित 764 मिलियन मामले दर्ज किए गए हैं और लगभग 5 बिलियन लोगों को टीके की कम से कम एक खुराक मिली है।

साल 2020 में जब टेड्रोस ने कोविड -19 को एक आपात स्थिति घोषित की थी, तब उन्होंने कहा था कि उनका सबसे बड़ा डर कमजोर स्वास्थ्य प्रणालियों वाले देशों को लेकर है। यहां वायरस फैलने की क्षमता काफी ज्यादा है, जिसे उन्होंने “कम तैयार” बताया था।

हालांकि, कोरोना महामारी के दौरान जिन देशों की हालत सबसे ज्यादा खराब थी, उनमें पहले अमेरिका और ब्रिटेन का नाम आता है, जिन्हें महामारी के लिए सबसे अच्छी तरह से तैयार माना गया था। डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के मुताबिक, अफ्रीका में होने वाली मौतों की संख्या वैश्विक कुल का सिर्फ 3 प्रतिशत है।