नई दिल्ली में पाकिस्तान हाईकमीशन (PHC) का स्कूल बंद कर दिया गया है। इस स्कूल में हाईकमीशन के स्टाफ और डिप्लोमैट्स के बच्चे पढ़ते हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि इस स्कूल के स्टाफ को तीन साल से सैलरी ही नहीं मिली थी। इसकी वजह मुल्क में जारी इकोनॉमिक क्राइसिस है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने स्कूल खुला रखने के लिए कई बार सरकार से गुजारिश की। हर बार नाकामी हाथ लगी।
दूसरी तरफ, पाकिस्तान की फॉरेन मिनिस्ट्री ने सफाई दी। कहा- वहां पढ़ने वाले स्टूडेंट्स की तादाद कम हो गई थी। इसलिए स्कूल बंद कर दिया गया।
पहले जानिए, माजरा क्या है
- दो दिन पहले कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि नई दिल्ली में मौजूद पाकिस्तान हाईकमीशन (PHC) ने अपना स्कूल बंद कर दिया है। इस स्कूल में हाईकमीशन स्टाफ और डिप्लोमैट्स के बच्चे पढ़ते थे। यह काम गुपचुप तरीके से किया गया। हालांकि, इंडियन मीडिया को जानकारी मिल गई।
- पाकिस्तान में फॉरेन अफेयर्स के एक्सपर्ट और प्रोफेसर डॉक्टर कमर चीमा ने यूट्यूब शो में खबर की पुष्टि कर दी। बहरहाल, मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया- स्कूल के स्टाफ को तीन साल से सैलरी नहीं मिली थी। उनका गुजारा मुश्किल हो गया था। फॉरेन मिनिस्ट्री ने शाहबाज शरीफ सरकार से मदद मांगी तो उसने इकोनॉमिक क्राइसिस का हवाला देकर पल्ला झाड़ लिया।
- रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि दुनिया के कई देशों में मौजूद पाकिस्तानी हाईकमीशन और एम्बेसीज में भी यही हाल हैं। इससे भी ज्यादा हैरानी की बात तो ये है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के पास दूसरे देशों में चलाए जा रहे ऑपरेशन्स के लिए फंड्स नहीं हैं।
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की सफाई
इंडियन मीडिया में जैसे ही यह मामला रिपोर्ट हुआ तो पाकिस्तान की फॉरेन मिनिस्ट्री एक्टिव हो गई। मंगलवार को इस बारे में सफाई दी गई। कहा गया- ये सही है कि नई दिल्ली में हाईकमीशन के स्कूल को बंद किया गया है। इसकी वजह यह है कि वहां पढ़ने वाले बच्चों की तादाद काफी कम हो गई थी। वैसे भी यहां सिर्फ हमारे स्टाफ के बच्चे पढ़ते थे।
फॉरेन ऑफिस की स्पोक्सपर्सन मुमताज जाहरा बलोच ने पाकिस्तान के टीवी चैनल ‘समा न्यूज’ से कहा- नई दिल्ली में हमारे हाईकमीशन के स्टाफ और उनके बच्चों की जरूरत पूरी की जाएगी। हमने जून 2020 में वहां का स्टाफ कम किया था।
स्टाफ ने खुद खोल दी थी कलई
पिछले साल पहले अमेरिका और इसके बाद सर्बिया में मौजूद पाकिस्तान एम्बेसी के स्टाफ ने अपनी सरकार के झूठ और इकोनॉमिक क्राइसिस की कलई खोल दी थी। तब इमरान खान प्रधानमंत्री थे। अब इन दो मामलों को अलग-अलग समझिए…
- पाकिस्तान के अखबार ‘द न्यूज’ ने पिछले साल अप्रैल में एक रिपोर्ट पब्लिश की। इसमें कहा गया- अमेरिका में पाकिस्तानी एम्बेसी के पास फंड्स खत्म हो चुके हैं। एम्बेसी ने कई महीने से स्टाफ को सैलरी नहीं दी। कुछ कर्मचारी इस्तीफा दे चुके हैं। कुछ को 2500 डॉलर सालाना कॉन्ट्रैक्ट पर नौकरी दी गई थी। ये नौकरी छोड़ चुके हैं।
- पिछले साल ही सर्बिया में मौजूद पाकिस्तानी एम्बेसी के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल पर सैलरी की मांग करते हुए एक वीडियो पोस्ट किया गया था। इसमें इमरान खान के स्लोगन ‘आपने घबराना नहीं’ का मीम और पैरोडी इस्तेमाल की गई थी। कर्मचारियों ने कहा था कि कई महीने से सैलरी न मिलने के वजह से बच्चों को स्कूल से निकालना पड़ा है। पाकिस्तान सरकार ने बचकाना सफाई दी। कहा- एम्बेसी का सोशल मीडिया अकाउंट हैक हो गया है।
शाहबाज शरीफ क्या कर रहे हैं
फरवरी में प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। कहा- मैं और कैबिनेट के बाकी मिनिस्टर्स सैलरी नहीं लेंगे। तमाम केंद्रीय मंत्री बिजली, पानी, गैस और टेलिफोन के बिल जेब से भरेंगे। मंत्रियों के पास मौजूद लग्जरी गाड़ियां नीलाम की जाएंगी। सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट और ब्यूरोक्रेसी से खर्च में कटौती की अपील करते हैं।
बहरहाल, हैरानी वाली बात ये थी कि मुल्क बनने के बाद से अब तक (76 साल) के दौर में करीब आधा वक्त देश चला चुकी ताकतवर फौज के बजट पर शरीफ एक लफ्ज भी नहीं बोले। वो भी तब जबकि उसके पास अरबों रुपए का बजट है।
फॉरेन मिनिस्ट्री को 15% खर्च घटाने का टारगेट
विदेश मंत्रालय से खर्च में 15% की कटौती करने को कहा गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुछ देशों में मौजूद एम्बेसीज को बंद किया जा सकता है। इसके अलावा स्टाफ कम करने और फिजूलखर्ची को सख्ती से रोकने के भी आदेश हैं।