“दोपहर का समय था। मैं ऑफिस में आए फरियादियों की परेशानी सुन रही थी। तभी भीड़ से एक बुजुर्ग महिला मेरे सामने आई और तेजी से अपना हाथ मेरी टेबल पर मारा। मैं चौंक गई, मुझे लगा कि यह महिला किसी बात को लेकर गुस्साई हुई है। मैंने सोचा, पता नहीं अब क्या सुनने को मिलेगा। मैंने पूछा – क्या हुआ अम्मा जी। बुजुर्ग महिला पूरे हक से बोली- आज तुम कुछ नहीं बोलोगी। मैं तुम्हारे लिए मिठाई और साग बनाकर लाई हूं। काम बाद में होगा, पहले आप ये खाइए।”
“मैंने फिर मुस्कुराते हुए उनसे पूछा कि आप ये सब क्यों लाई हैं। महिला ने कहा कि वह एक महीने पहले पानी की समस्या की शिकायत लेकर मेरे पास आई थी। मेरे आदेश के बाद ग्राम प्रधान ने उसके घर पर नल लगवा दिया। वह बहुत खुश थी, उसके कहने पर मैंने मिठाई खाई। अम्मा ने मुझे गले लगा लिया।…हमारी लाइफ में ऐसे कई वाकये हो जाते हैं, जो हमें ताकत और ये भरोसा देते हैं कि हम जो काम कर रहे हैं वह दूसरों के लिए बड़ी अहमियत रखता है।”
ये शब्द रायबरेली की डीएम माला श्रीवास्तव के हैं। माला 2009 बैच की IAS अधिकारी हैं। इसके पहले वह बस्ती, बहराइच और उसके पहले औरैया में तैनात थीं। जिलाधिकारी पद पर माला जिन-जिन जिलों में रहीं, वहां के लोग उनके काम की आज भी बड़ाई करते नहीं थकते। डीएम ऑफिस आने वाला हर फरियादी उनके सामने बेझिझक अपनी बात रखता है। खुद सीएम योगी भी IAS माला के काम की तारीफ कर चुके हैं।