कारगिल दिवस पर लड़ाकू एयरक्राफ्ट और हेलिकॉप्टर्स का फ्लाई पास्ट:राजनाथ बोले- जरूरत पड़ी तो भविष्य में LoC पार करेंगे; जनता युद्ध के लिए तैयार रहे

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को लद्दाख में कारगिल युद्ध में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि दी। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान और तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने भी कारगिल वॉर मेमोरियल पर शहीद जवानों को पुष्पांजलि दी।

शहीदों को सम्मान देने के लिए 4 मिग-29 एयरक्राफ्ट ने फ्लाई पास्ट किया। 3 चीता हेलिकॉप्टर्स ने वॉर फूल बरसाए।

आज कारगिल युद्ध विजय को 24 साल हो गए हैं। 26 जुलाई, 1999 को कारगिल पर हिन्दुस्तान फौज ने तिरंगा लहराया था। इस जंग में भारत के 527 जवान शहीद हुए थे।

राजनाथ सिंह ने कहा, ‘कारगिल युद्ध के दौरान हमने लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) पार नहीं किया था। इसका मतलब यह नहीं कि हम LoC पार नहीं कर सकते थे। हम LoC पार कर सकते थे, हम LoC पार कर सकते हैं, और जरूरत पड़ी तो भविष्य में LoC पार करेंगे। भारत सरकार अपने राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा के लिए कोई समझौता नहीं करेगी।’

उन्होंने आगे कहा- ‘हाल के दिनों में युद्ध लंबे खिंच रहे हैं। आने वाले समय में जनता को सिर्फ इन्डायरेक्ट नहीं बल्कि सीधे तौर पर युद्ध में शामिल होने के लिए तैयार होना चाहिए। जनता को इस बात के लिए मानसिक रूप से तैयार होना होगा कि जब भी देश को उनकी जरूरत पड़े, वे सेना की मदद के लिए तत्पर रहे।’

रक्षा मंत्री बोले-भारत पर थोपा गया था कारगिल युद्ध
राजनाथ सिंह ने कहा कि कारगिल युद्ध भारत पर थोपा गया था। उस समय प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपायी ने पाकिस्तान जाकर कश्मीर समेत अन्य मुद्दों को सुलझाने का प्रयास किया था, लेकिन पाकिस्तान ने हमारी पीठ में खंजर घोंप दिया।

उन्होंने आगे कहा कि कारगिल में भारतीय ध्वज इसलिए लहरा रहा है क्योंकि 1999 में भारतीय सैनिकों ने अपने शौर्य का परिचय देते हुए दुश्मनों की छाती पर अपना तिंरगा लहरा दिया था।

जंग न्यूक्लियर बॉम्ब नहीं, शौर्य से लड़ी जाती है: राजनाथ सिंह
राजनाथ सिंह ने कहा- बात चाहे कारगिल की हो, या अन्य घटनाओं की। हमारी सेना ने हमेशा बताया कि जंग न्यूक्लियर बॉम्ब से नहीं लड़ी जाती है, बल्कि शौर्य और अदम्य इच्छाशक्ति से लड़ी जाती है।

युद्ध सिर्फ सेना ही नहीं लड़ती बल्कि युद्ध दो राष्ट्रों और उनकी जनता के बीच होता है। किसी भी युद्ध में प्रत्यक्ष रूप से सेनाएं तो भाग लेती ही हैं, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से उस युद्ध में किसान से लेकर डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक व कई सारे पेशों के लोग शामिल होते हैं।