हिंडन नदी की बाढ़ में करीब 2 हजार मकान डूब गए हैं। दस गांवों के करीब 7000 लोगों का जन जीवन बाढ़ से प्रभावित है। अब जैसे-जैसे पानी उतर रहा है, बर्बादी के निशान दिखाई देने लगे हैं। घरों में कई-कई फीट तक मलबा भर गया है। कई दिनों से बिजली नहीं है। पीने को साफ पानी भी लोगों को नसीब नहीं हो पा रहा है।
तीन हजार से अधिक लोगों ने राहत शिविर और स्कूलों में अपने परिवार के साथ शरण ली है। उन्हें रह रहकर घर की चिंता सता रही है। डर है कि कहीं उनके मकानों को अवैध घोषित करके तोड़ न दिए जाए। दैनिक भास्कर की टीम ने तीन राहत शिविरों में जाकर वहां के हालत का जायजा लिया। वहां मौजूद लोगों ने बातचीत में अपना दर्द साझा किया।
सुभाष बोले- पानी में सब कुछ बह गया, सरकार से मदद चाहिए
चोटपुर कॉलोनी के रहने वाले सुभाष कहते हैं, “बच्चों का पेट काट-काट कर थोड़ा धन जमा किया। उस पैसे से किसी तरह जमीन खरीदी। जीवन भर की पूंजी लगाकर मकान बनाया। कॉलोनी काटने वाले ने नाला बताकर जमीन बेची, जिला प्रशासन इसे नदी बता रहा है।
हमारी रजिस्ट्री भी हुई। 22 जुलाई को अचानक से इतना पानी आया कि किसी तरह जान बचाकर बाहर आ पाए। लेकिन सामान इसी में रह गया। पानी में सब बर्बाद हो गया। मकानों की नींव तक बह गई। सरकार से हमें मदद चाहिए।”
बंटी बोला- बाढ़ के कारण घर और नौकरी दोनों खो दिया
बंटी कहते हैं, “बाढ़ ने मेरा सब कुछ बर्बाद कर दिया। खाने पीने का इंतजाम तो प्राधिकरण कर रही है। लेकिन कब तक करेगी। पानी अब उतरने लगा है। इस बाढ़ ने हमारी नौकरी तक ले ली। किसी तरह गुजारा हो रहा है। शासन की ओर से मुआवजा भी नहीं दिया गया। घर में रखा बेड, टीवी, फ्रिज सब कुछ खराब हो गया। जो बचा था वो पानी में बह गया। अब तो बस सरकार से उम्मीद है।”
राज कपूर बोले- कभी नहीं सोचा था ऐसा मंजर देखने को मिलेगा
राजकपूर कहते हैं, “यहां 15 साल पहले कॉलोनी बनाकर बेची गई थी। उस समय हमने पाई-पाई जुटाकर जमीन खरीदी थी। बाद में वहां पर घर बनवाया। बीते दिनों आई बाढ़ से घर में पानी घुस गया है। हमने कभी नहीं सोचा था कि ऐसा मंजर देखने को मिलेगा। आज पूरा परिवार स्कूल में रुका हुआ है। अब तो बस इंतजार है कि कब पानी उतरे और हम सही सलामत अपने घर पहुंच सके।”
रोटी और रोजगार की भी चिंता
दिनेश कहते हैं, “मैंने दिन रात मेहनत मजदूरी करके हिंडन नदी किनारे घर बनाया था। बाढ़ के पानी के तेज बहाव मेरा घर बह गया। उसमें से केवल कुछ कपड़े ही निकाल पाए थे। मेरा एक छोटा सा बेटा है, वह एक निजी स्कूल में पढ़ रहा है। आगे का जीवन काटना अब मुश्किल होगा।”
10 से ज्यादा गांव बाढ़ से हैं प्रभावित
हिंडन नदी में आई बाढ़ के कारण 10 से ज्यादा गांव प्रभावित हैं। इनमें छिजारसी, बहलोलपुर, हैबतपुर, चोटपुर, यूसूफपुर, सुथियाना कुलेसरा और शहदरा गांव शामिल हैं। 22 जुलाई को आई बाढ़ में ये सभी गांव डूब गए थे। अब यहां पर धीरे-धीरे पानी उतरने लगा है। गलियां अब कीचड़ में बदल गई हैं। यहां पैदल चलना तक दूभर है।
डेंगू, मलेरिया, त्वचा रोग और आई फ्लू का बढ़ा खतरा
चोटपुर कॉलोनी, बहोलपुर, हाजीपुर, छिजारसी, कुलेसरा पुश्ता और मोमनाथन इलाके में गंदा पानी घुस आया था। पानी उतरने के बाद से यहां चारों तरफ कीचड़ भर गया है। इसके चलते यहां पर डेंगू, मलेरिया, त्वचा रोग, वायरल फीवर, सांस और आई फ्लू जैसी संक्रामक बीमारियां बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।
डॉक्टरों की टीम अब राहत कैंप में पहुंचकर लोगों के स्वास्थ्य की जांच कर रही है। डॉक्टरों ने बताया कि बाढ़ प्रभावित लोगों में सबसे ज्यादा बच्चे और बजुर्ग बीमार हो रहे हैं। इन इलाकों में बने मकानों में पानी रुक गया है। इसे निकालने तक के संसाधन नहीं है। जल्द ही इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो हालात और भी ज्यादा बिगड़ सकते हैं।
वहीं नोएडा प्राधिकरण के कर्मचारी करन ने बताया कि यहां प्राधिकरण की ओर से करीब 10 शेल्टर होम बनाए गए हैं। इसमें रहने वाले लोगों को सुबह का नास्ता और दो टाइम का खाना मुफ्त दिया जा रहा है। लोगों को फ्री में दवाएं दी जा रही हैं। उनका हेल्थ चेक-अप भी किया जा रहा है।