2024 से पहले गठबंधन की अग्निपरीक्षा:बीजेपी में आए दारा सिंह और राजभर करेंगे खुद को साबित, PDA की तरफ से सुधाकर दिखाएंगे घोसी उपचुनाव में दम

5 सितंबर को घोसी उपचुनाव के लिए होने जा रहे मतदान में बीजेपी और सपा गठबंधन के लिए पहली परीक्षा होने जा रहा है। जहां बीजेपी में सुभासपा नए गठबंधन के तौर पर जुड़ी है। तो वही सपा के पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) समीकरण की भी 2024 लोकसभा चुनाव से पहले परीक्षा होगी।

जीते तो मंत्री बनना तय
सपा को छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए दारा सिंह चौहान को बीजेपी ने घोसी उपचुनाव में अपना उम्मीदवार बनाया है। 18 महीने में सपा छोड़कर दोबारा से बीजेपी में शामिल होकर घोसी उपचुनाव जीतना दारा सिंह चौहान के लिए परीक्षा होगी। दारा सिंह अगर उपचुनाव जीतते है तो उनका प्रदेश में मंत्री बनना लगभग तय है।

साथ ही, ओमप्रकाश राजभर की भी मंत्री पद पर ताजपोशी होगी। 2022 के चुनाव में बीजेपी को सबसे ज्यादा नुकसान पूर्वांचल में ही हुआ था। जिसका बड़ा कारण दारा सिंह चौहान और ओमप्रकाश राजभर का सपा के साथ जाना माना गया था। गाजीपुर जिले में बीजेपी को जहां विधानसभा की एक भी सीट नहीं मिली। वही मऊ जिले में महज एक सीट से ही संतोष करना पड़ा।

इसके साथ ही बलिया, आजमगढ़, अम्बेडकर नगर और बस्ती जिलों में बीजेपी को बड़ा नुकसान हुआ था। 2022 के विधानसभा चुनाव के 18 माह बाद दारा सिंह चौहान बीजेपी में शामिल हुए। ओमप्रकाश राजभर सपा का साथ छोड़कर एनडीए गठबंधन में शामिल हो गए हैं। अब दोनों ही नेताओं की परीक्षा घोसी उपचुनाव में होनी है। जिसका नतीजा 8 सितंबर को आएगा।

राजभर को सत्ता से नजदीकी पंसद रही है
दारा सिंह चौहान को हमेशा से सत्ता के करीब पाया गया है। यही वजह है कि कम समय में बीजेपी में दोबारा एंट्री कर ली। वहीं, ओमप्रकाश राजभर को भी सत्ता से दूर रहना रास नहीं आता है। 2017 में बीजेपी से गठबंधन के बाद पहली बार विधानसभा में 5 सीट जीतने का मौका मिला। जिसके बाद ओपी राजभर मंत्री बने।

लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी से सीट बंटवारे को लेकर हुई तकरार के बाद बीजेपी गठबंधन से बाहर हो गए। 2022 का चुनाव सपा के साथ गठबंधन में लड़ते हुए 6 सीटों पर जीत दर्ज की। लेकिन अब सपा से गठबंधन के महज 18 माह बाद राजभर ने बीजेपी के साथ एक बार फिर हाथ मिला लिया हैं।

सपा ने घोसी उपचुनाव में पार्टी के पुराने नेता और क्षत्रिय समाज से आने वाले सुधाकर सिंह पर दांव लगाया है। सुधाकर सिंह 1996 में नत्थूपुर से व परिसीमन के बाद घोसी विधानसभा क्षेत्र से 2012 में विधायक निर्वाचित हो चुके हैं। जबकि 2017 में बीजेपी के फागू चौहान व 2020 में हुए उपचुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।

सपा के लिए 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले घोसी उपचुनाव बड़ी परीक्षा होगी। अखिलेश यादव के इंडिया गठबंधन में शामिल होने व पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) गठबंधन के जरिए बीजेपी को सत्ता से बाहर करने के प्रयास में ये पहला उपचुनाव होने जा रहा है। ऐसे में अखिलेश के पीडीए गठबंधन की भी यहां परीक्षा होगी। क्योंकि घोसी विधानसभा चुनाव में कुल 4 लाख 30 हजार मतदाता हैं। जिनमें से डेढ़ लाख पिछड़े, 60 हजार अल्पसंख्यक व 70 हजार के करीब दलित मतदाता हैं।

ऐसे में पीडीए की बात करने वाले अखिलेश यादव के लिए ये बड़ी परीक्षा होगी कि कैसे वो पीडीए का वोट हासिल कर पाते हैं।

दारा सिंह चौहान 16 अगस्त को अपना नामांकन दाखिल करेंगे। नामांकन के वक़्त बीजेपी अपने गठबंधन का शक्ति प्रदर्शन भी करेगी। दारा सिंह चौहान के नामांकन के वक़्त बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी, दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक, सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर, निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉ संजय निषाद और अपना दल(एस) की ओर से कैबिनेट मंत्री आशीष पटेल मौजूद रहेंगे। गठबंधन के सभी सहयोगियों के साथ बीजेपी शक्ति प्रदर्शन करते हुए घोसी से कमल खिलाने की अपील करेगी।

दारा सिंह के विरोध में गांव में लगे पोस्टर

दारा सिंह चौहान के महज 18 महीने में ही सपा से इस्तीफा देकर दोबारा घोसी से विधानसभा चुनाव लड़ने का स्थानीय स्तर पर विरोध भी देखने को मिल रहा है। अमिला गांव में लोगो ने दारा सिंह चौहन के खिलाफ पोस्टर लगाते हुए दल बदलने का विरोध किया। स्थनीय पत्रकार राहुल सिंह का कहना हैं कि इस उपचुनाव में स्थानीय बनाम बाहरी की भी लड़ाई चल रही है।

दारा सिंह चौहान आजमगढ़ जिले के रहने वाले हैं तो सुधाकर सिंह मऊ जनपद के ही हैं। दारा के दल बदलने के जनता में थोड़ा आक्रोश है। दूसरे स्थनीय पत्रकार सूर्यकांत त्रिपाठी का कहना हैं कि दारा सिंह की शख्सियत व लंबा अनुभव उनके काम आएगा। साथ ही बीजेपी और सुभासपा का गठबंधन हैं,सुधाकर सिंह को चुनाव जीतने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ेगी।