गदर-2 पर सबसे अच्छा रिस्पॉन्स सिंगल स्क्रीन वालों ने दिया:अनिल शर्मा बोले- मेरी फिल्म किसी को रोजी-रोटी दे रही है, यह बड़ी बात है

सनी देओल की ‘गदर 2’ बॉक्स ऑफिस पर तहलका मचा रही है। 22 साल पहले इस फिल्म के फर्स्ट पार्ट को भी ऐसी ही सफलता मिली थी। दोनों ही फिल्मों को अनिल शर्मा ने डायरेक्ट किया है। ‘गदर 2’ की मेकिंग और अपनी अपकमिंग फिल्मों पर अनिल शर्मा ने दैनिक भास्कर से खास बात की…

आपने अपने करियर की शुरूआत ‘श्रद्धांजलि’ जैसी फिल्म से की थी, फिर एक्शन की ओर क्यों मुड़े?
वह दरअसल उन दिनों की बात थी, जब देश में VCR का दौर था। जैसे आज ओटीटी के चलते सिनेमाघर बंद हो रहे थे और ‘गदर 2’ जैसी फिल्मों ने उन्हें बचाया, ठीक वही सूरत तब थी। इंडस्ट्री खत्म हो रही थी। लोग VCR पर फिल्में देख रहे थे।

मेकर्स के सामने चुनौती थी दर्शकों को फिर से सिनेमाघरों में लाने की। तब 1987 में ‘हुकूमत’ प्लान की गई। उससे थिएटर ऐसे भरे, जैसे ‘गदर’ और ‘’गदर 2’ के वक्त भरे। ‘हुकूमत’ को मैंने तब धरम जी के साथ बतौर फैन बनाई थी, न कि डायरेक्टर के तौर पर। फैन के तौर पर जो मेरे मन में उनकी छवि थी, उसके साथ मैंने हुकूमत बनाई। वह उस जमाने की सबसे बड़ी हिट साबित हुई।

VCR वाली ऑडियंस को वापस सिनेमाघरों में एक्शन जोनर ही लाएगा, यह कैसे तय किया?
लोगों को सिनेमाघरों में ऐसे सीन चाहिए, जहां वो तालियां- सीटी बजाएं। वह एक्शन से ही हो सकता है। जैसे क्रिकेट में छक्के-चौकों पर ही तालियां पड़ती हैं, सिंगल रन पर नहीं। ठीक वही चीज सिनेमाघर वाली फिल्मों पर लागू होता है।

क्या ‘गदर-3’ कारगिल के टाइम पर सेट होगी?
कारगिल तक आते-आते तो हमारा तारा और सकीना बूढें हो जाएंगे। तो कहानी 80 के दशक के दरम्यान में हो सकती है। हालांकि, अभी हमने यह तय नहीं किया है। क्या पता इस फिल्म में हम पाकिस्तान का जिक्र करेंगे भी या नहीं। आगे के पार्ट की कहानी तो दिमाग में चल रही है। तभी हमने इस पार्ट के एंड में लिखा भी था ‘टू बी कंटीन्यू’। हमारी कोशिश रहेगी कि तीसरे पार्ट को 2 से 3 साल में ही लेकर आएं।

‘गदर 2’ को लेकर सबसे यूनीक कॉम्प्लिमेंट क्या और किससे मिला?
न सिर्फ हिंदुस्तान, बल्कि विदेशों से भी दर्शकों ने यही कहा कि बड़े दिनों बाद ऐसी फिल्म आई है, जिसे पूरा परिवार साथ देख सकता है। मैं खुद भी वैसी ही फिल्मों में यकीन रखता हूं, जिसे पूरा परिवार साथ बैठकर देख सके। दूसरा सबसे बड़ा कॉम्पलिमेंट मैं सिंगल स्क्रीन वालों का मानूंगा, जिन्होंने मुझसे कहा कि फिल्म ने उन्हें जिंदा कर दिया। मेरी फिल्म किसी की रोजी रोटी के काम आ गई, वह बड़ी बात है। सबने यह भी कहा कि यह बड़ी देसी फिल्म है, जो इंडिया में कम बन रहीं थीं।

पार्ट 2 बनने की प्रक्रिया कब शुरू हुई थी? इसे और पहले क्यों नहीं लाया गया?
दरअसल आज से दो दशक पहले तक तो सीक्वल का चलन भी नहीं था। अब जाकर यह सब शुरू हुआ है। जैसे ही चलन शुरू हुआ तो सबने बोला कि उसका पार्ट 2 तो लाना ही चाहिए। जीते बड़ा हो रहा है, तो अब पार्ट 2 में उसकी कहानी होनी चाहिए। फिल्म में जीते का लॉन्च मेरे ही बेटे ने किया था। मुझे उसे लॉन्च भी करना था। पर उन दिनों गदर 2 की कहानी मेरे पास आई नहीं थी। तो मैंने उत्कर्ष को ‘जीनियस’ से लॉन्च किया।

मैं दरअसल ‘गदर 2’ की कहानी से कोई कॉम्प्रोमाइज नहीं करना चाहता था, वरना मैं ‘जीनियस’ के बजाय ‘गदर 2’ पहले बनाता। यकीनन ‘गदर 2’ बनाने को लेकर हमारी बातें पांच साल पहले शुरू हुईं। पर फिर कोरोना और लॉकडाउन वगैरह आ गया। इसके गुजर जाने के बाद हमने फिल्म शुरू की।

इस बीच में कभी सनी देओल के साथ मिले तो क्या बातें हुईं ?
उनका भी यही कहना रहा कि शर्मा जी, जब कहानी अच्छे से पक जाएगी तब ही उसे शुरू किया जाएगा। यह पब्लिक का इमोशन है, इसे ऐसे जाया नहीं होने किया जा सकता।

‘गदर 2’ जैसी हिट के बाद कॉरपोरेट स्टूडियोज ताक में रहते हैं कि अगला पार्ट छह महीने में ही अनाउंस हो जाए?

सब चाहते तो हैं कि यह काम जल्दी हो पर हमने पहले भी ‘गदर’ को नहीं भुनाया था, अब भी हमारा वही स्टैंड है। मैं पैसे के लिए पब्लिक के इमोशंस से नहीं खेलूंगा। पैसा तो फिर आ जाएगा पर इमोशन टूटा तो नहीं आएगा। जब तक मेरे पास अच्छी कहानी नहीं होगी तब तक ‘गदर 3’ शुरू नहीं करूंगा।

बेशक ‘गदर 3’ की कहानी तो 1971 से आगे जाएगी। तारा, सकीना से आगे जाएगी। ऑडियंस ने 22 साल तक पार्ट 2 का इंतजार किया है तो ‘गदर 3’ के लिए 2 से 4 साल इंतजार कर ही लेगी।