मुरादाबाद पुलिस के हत्थे चढ़ा नवजात बच्चों की चोरी करने वाला गैंग बेऔलाद पति-पत्नी के लिए बच्चे अरेंज करता था। पूछताछ में गैंग की महिला मेंबर्स ने बताया कि उनकी पहली कोशिश अस्पतालों से नवजात को चोरी करने की होती थी। लेकिन उसमें ज्यादा रिस्क होता है। इसलिए वो नवजात बच्चों की बढ़ती डिमांड को पूरा करने के लिए गरीब और जरूरतमंद गर्भवती महिलाओं को सर्च करके उनसे उनकी कोख में पल रहे बच्चे का सौदा कर लेती थीं।
SSP हेमराज मीणा ने बताया कि पकड़ा गया गैंग बच्चों की चोरी करने के साथ -साथ गरीब पेरेंट्स को लालच देकर उनके बच्चे गोद लेने के बहाने ले लेता था। मदद के नाम पर कुछ रुपए भी दे दिए जाते थे। पेरेंट्स को सपना दिखाया जाता था कि उनका बच्चा आलीशान कोठियों में पलेगा। कहा जाता था कि बच्चा तो आपका ही रहेगा और बड़ा होकर आपको भी अपने पास बुला लेगा। ऐसे में आपकी लाइफ बदल जाएगी। मुरादाबाद के बिलारी से भी नवजात की दादी को यही सपना दिखाकर बच्चा ले लिया था। बदले में गैंग ने दादी को 30 हजार रुपए दिए थे।
“वो तो बेऔलाद हैं मर जाएंगे फिर सारी प्रॉपर्टी आपकी”
नवजात बच्चों की तस्करी करने वाले गैंग में शामिल महिलाएं गरीब पेरेंट्स को समझाती थीं कि उनका बच्चा जिस नि:संतान पति-पत्नी को गोद दिया जाएगा उनका कोई करीबी रिश्तेदार भी नहीं हैं। ऐसे में बच्चा ही बड़ा होकर उनकी सारी प्रॉपर्टी का मालिक बनेगा। गैंग गरीब पेरेंट्स को इस बात का यकीन दिलाता था कि गोद लेने वाले तो एक दिन मर जाएंगे। ऐसे में उनकी सारी संपत्ति का मालिक आपका बच्चा ही हो जाएगा। फिर या तो वो पूरी दौलत लेकर आपके पास आ जाएगा या फिर आपको अपने पास बुला लेगा। ऐसे में आप करोड़ों की जायदाद के मालिक बन जाएंगे।
मुरादाबाद पुलिस ने 4 महिलाओं समेत 6 अरेस्ट किए थे
मुरादाबाद पुलिस ने शुक्रवार को नवजात बच्चों की तस्करी करने वाले एक अंतरराज्यीय गैंग पकड़ा था। गैंग के कब्जे से 7 दिन की एक बच्ची भी बरामद हुई थी। इसे दिल्ली के दंपती को 3 लाख रुपए में बेचा जाना था। गैंग में शामिल 4 महिलाओं समेत 6 लोगों को अरेस्ट किया गया था। ये गैंग नवजात बच्चों को चोरी कर बेऔलाद पति-पत्नी को मोटी रकम में बेचता था। SSP के मुताबिक, “ह्यूमन ट्रैफिकिंग करने वाला ये गैंग अभी तक 6 नवजात को बेच चुका है। गैंग ने आगरा, कोलकाता और मुंबई में बच्चे बेचे जाने की बात कबूल की है। गैंग सिर्फ नवजात बच्चों को ही चोरी करता था। ऐसा इसलिए क्योंकि, नवजात बच्चों की शक्ल तेजी से बदलती है। इससे कुछ दिन बाद ही उनकी पहचान कर पाना बेहद मुश्किल हो जाता है। इसलिए बच्चों के खरीदने वाले दंपती भी नवजात की ही डिमांड करते थे।”