9 सितंबर की शाम अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, ब्रिटेन के PM ऋषि सुनक समेत 170 मेहमान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की डिनर पार्टी में शामिल होने वाले हैं। भारत मंडपम में होने वाली डिनर पार्टी में विदेशी मेहमान क्या खाएंगे, डाइनिंग टेबल और कमरा कैसे सजाया जाएगा, इस तरह की डिनर पार्टियों को लेकर क्या प्रोटोकॉल होते हैं?
सबसे पहले 69 साल पहले का डिनर डिप्लोमेसी से जुड़ा किस्सा पढ़ें…
1954 की बात है। चीन और रूस के बीच सीमा विवाद को लेकर तनाव की स्थिति बनी हुई थी। इसी समय चीन के राष्ट्रपति माओत्से तुंग ने दोनों देशों के रिश्ते सुधारने के लिए सोवियत रूस के एक डेलिगेशन को खाने पर बुलाया।
इस डिनर पार्टी के दौरान टेबल पर एक सेंटरपीस रखा गया था, जिसमें ड्रैगन एक बाघ से लड़ रहा था। इस सेंटरपीस में बाघ को बेहद कमजोर दिखाया गया था। इसे देख नाराज होकर सोवियत रूस का डेलिगेशन बिना खाए वापस अपने देश लौट गया।
दोनों देशों के बीच संबंध सही होने के बजाय और खराब हो गए। दरअसल, ड्रैगन को चीन और बाघ को सोवियत रूस का सिंबल माना जाता है। टेबल पर रखे सेंटरपीस में टाइगर को कमजोर दिखाकर चीन ने सोवियत रूस को कमजोर दिखाने की कोशिश की थी।
इंटरनेशनल पॉलिटिक्स का यह किस्सा ये जाहिर करता है कि विदेशी मेहमानों की डिनर पार्टी में टेबल पर बिछा कपड़ा हो, या खाने का मेनू; कमरे की सजावट हो, या मेहमानों की लिस्ट, हर छोटी बात की कैसे खास अहमियत होती है।
सवाल 1: राष्ट्रध्यक्षों के डिनर की पूरी तैयारी कैसे होती है?
जवाब: किसी देश के राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री जब विदेशी मेहमानों के लिए डिनर पार्टी या भोज का आयोजन करते हैं तो वह बहुत ज्यादा औपचारिक होता है। अगर भारत के राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री होस्ट हैं तो आयोजन का स्थान उनकी तरफ से पहले ही तय हो जाता है। उदाहरण के लिए राष्ट्रपति इस भोज को राष्ट्रपति भवन या देश के किसी दूसरी जगह पर आयोजित कर सकते हैं।
वेन्यू तय होने के बाद अशोक की लाट से बने इनविटेशन कार्ड विदेशी मेहमानों को भेजे जाते हैं। मेहमान इस कार्ड को एक्सेप्ट करने के बाद जवाब भेजते हैं कि वह इस कार्यक्रम में शामिल होंगे। हालांकि, काफी हद तक ये सब कुछ दोनों देशों के अधिकारी पहले ही तय कर लेते हैं।
सवाल 2: विदेशी मेहमानों को क्या खिलाया जाएगा ये मेनू कौन तय करता है?
जवाब: विदेशी मेहमानों को क्या खिलाना है, इस पर आखिरी फैसला तो आयोजन के होस्ट, यानी राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री ही लेते हैं। इस सवाल का जवाब देते हुए मुझे इंदिरा गांधी याद आती हैं।
उनके बारे में विदेश विभाग के कई बड़े अधिकारी कहा करते हैं कि प्रधानमंत्री रहते हुए वह शौक से विदेशी मेहमानों को भोज पर आमंत्रित करती थीं। इस दौरान मेहमानों के खाने के मेनू तय करने में इंदिरा गांधी घंटों लगाती थीं।
डिनर पार्टी का आयोजन करने वाले मेजबान PM या राष्ट्रपति विदेशी मेहमान के मेनू तैयार करते वक्त दो तरह की बातें सोच सकते हैं…
1. मैं विदेशी मेहमान की थाली में देशी खाना सर्व करके अपनी संस्कृति और मूल्यों को प्रमोट करूंगा।
2. चाहे जैसे भी हो मेहमान की खातिर तवज्जोह में कोई कमी नहीं रहनी चाहिए।
विदेशी मेहमान का मेनू तैयार करने से पहले प्रोटोकॉल ऑफिसर मेहमानों के दफ्तर से पता करते हैं कि उनकी डाइटरी हैबिट्स क्या हैं, उनके कोई मेडिकल इश्यूज तो नहीं है या उनको सबसे ज्यादा क्या खाना पसंद है। इसके बाद अतिथि देवो भव: के विचार से ऐसा मेनू तैयार किया जाता है, जिसे मेहमान दिल से पसंद करें और खाने के बाद उन्हें खुशी हो।