हाथरस कांड को आज 3 साल पूरे हो चुके हैं…जब ये घटना हुई थी तब इसकी आग प्रदेश सहित पूरे देश में फैली थी। बड़ी-बड़ी पार्टियों के नेताओं ने ट्विट किया था। पीड़ित परिवार को सहारा देने का वादा किया था, न्याय दिलाने के लिए आखिरी तक खड़े रहने के लिए कहा था…
लेकिन आज की डेट में ये परिवार अकेला ही लड़ रहा है। न कोई साथ देने वाला है और न कोई हाल पूछने वाला। उनकी बेटी को जो न्याय मिला वो उससे भी संतुष्ट नहीं हैं। परिवार से किए गए वादे सरकार ने पूरे नहीं किए। आज भी परिवार अपने ही घर मैं कैदियों की तरह रह रहा है…
CRPF के जवानों की एक टीम घर के बाहर ही बैठी रहती है। घर के अंदर किसी से भी मिलना हो तो पहले उनको बताना पड़ता है। वो लोग डॉयरी में सब कुछ नोट करते हैं। उसके बाद सामने बैठकर बात करने के लिए बोलते हैं। अब तो पीड़ित परिवार की फोटो और वीडियो बनाने पर भी रोक लगा दी गई है।
घटना के 3 आरोपी जेल से बाहर आ चुके हैं…
वहीं इस कांड में कोर्ट की ओर से फैसला आ चुका है। जिसमें तीन आरोपियों को अलीगढ़ जेल से दोष साबित न होने पर रिहा कर दिया गया है। 6 महीने पहले रवि, लवकुश और रामू अब जेल से बाहर आ चुके हैं लेकिन वो लोग आज तक गांव लौटकर नहीं आए हैं। वो अपने किसी रिश्तेदार के यहां रह रहे हैं। वहीं गांव के संदीप को गैर इरादतन हत्या का दोषी माना गया। वो अभी जेल में बंद है।
“मेरी बहन तो मर गई लेकिन उसको न्याय न मिला”
पीड़िता के भाई का कहना है, मेरी बहन तो मर गई लेकिन उसको न्याय न दिला पाने का दुख हमेशा रहेगा। उसके आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया है। जो हमारे लिए किसी सजा से कम नहीं है। भाई ने हमें रोज होने वाली दिक्कतों और गांव वालों के ताने के बारे में भी बताया। साथ ही उसने ये भी बताया कि कैसे उसको रोजगार देने से मना किया गया और उसके आगे अब परिवार का पालन करने का संकट खड़ा हुआ है।
भाई की बात पढ़ने से पहले एक नजर पूरे मामले पर-
20 सितंबर साल 2020, इस दिन हाथरस में एक दलित युवती के साथ गैंगरेप की वारदात सामने आती है। युवती परिवार वालों को घायल हालत में एक खेत में मिलती है। घटना का आरोप दूसरी जाति के युवकों पर लगता है। जिसके बाद घटना पर राजनीति तेज हो जाती है। पुलिस पहले युवती के बताए जाने पर गांव के संदीप को गिरफ्तार करती है।
बाद में युवती के बयान के आधार पर 26 सितंबर को लवकुश सिंह, रामू और रवि सिंह को भी आरोपी बनाया गया था। कार्रवाई के बीच 29 सितंबर 2020 को युवती की दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल में मौत हो जाती है। जिसके बाद ये मामला तूल पकड़ने लगता है।
CBI कर रही थी हाथरस कांड की जांच
घटना के फोटो-वीडियो सामने आने के बाद जगह-जगह विरोध प्रदर्शन होने लगते हैं। मामला बढ़ता है तो प्रदेश सरकार एसपी और सीओ सहित पांच पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर देती है। इसके बाद 11 अक्टूबर को मामले की जांच CBI को सौंप दी जाती है।
CBI ने इस मामले में 104 लोगों को गवाह बनाया। इनमें से 35 लोगों की गवाही हुई थी। 67 दिन की जांच के बाद CBI ने 18 दिसंबर 2020 को चारों आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की थी। जिसके बाद मामले में सुनवाई शुरू होती है लेकिन सबूतों के अभाव के कारण 3 आरोपियों को बरी कर दिया जाता है।
“अब तो हम लोगों का कोई हाल पूछने तक नहीं आता”
घटना के समय सरकार ने कहा था, परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी मिलेगी, सरकारी आवास दिया जाएगा। 25 लाख की आर्थिक मदद दी जाएगी। लेकिन पैसों के सिवा आज तक हमें कुछ नहीं मिला। अब तो हम लोगों का कोई हाल पूछने तक नहीं आता है।
नौकरी देने के नाम पर कोर्ट में ये कहा गया है कि मेरी तो शादी हो चुकी है। मेरा खुद का परिवार है, ऐसे में मुझे सरकारी नौकरी नहीं मिल सकती। वकील के हिसाब से, एक अविवाहित बहन के विवाहित भाई को नौकरी कैसे मिल सकती है?