मणिपुर में इंटरनेट आज से शुरू:3 मई से बैन लगा था; CM बीरेन सिंह बोले- राज्य के हालात सुधरे इसलिए हटाया जा रहा

मणिपुर में 3 मई से चल रही जातीय हिंसा के बाद राज्य में लगा इंटरनेट बैन शनिवार 23 सितंबर को हटा दिया जाएगा। यह बात CM एन बीरेन सिंह ने कही। इसके पहले 25 जुलाई को ब्रॉडबैंड सेवाएं सशर्त बहाल की गई थीं।

बीरेन सिंह ने मीडिया से चर्चा के दौरान कहा कि सरकार ने फेक न्यूज और हेट स्पीच को फैलने से रोकने के लिए इंटरनेट बैन किया था। हालात सुधरने के बाद इंटरनेट सर्विस बहाल की जा रही है।

पिछले दो महीनों में स्थिति में सुधार हुआ है और संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा बलों की तैनाती के साथ गोलीबारी की घटनाओं में कमी आई है।

उन्होंने यह दावा भी किया कि मौजूदा स्थिति पिछली सरकारों की अनियोजित नीतियों का नतीजा है, न कि किसी हालिया फैसले का तत्काल परिणाम है।

सुरक्षा बलों पर आरोप, बॉर्डर सिक्योरिटी में चूके
मुख्यमंत्री ने मीडिया से कहा कि हमने केंद्रीय गृह मंत्रालय से राज्य में फ्री मूवमेंट एग्रीमेंट को भी खत्म करने की अपील की है। इस एग्रीमेंट के तहत भारत और म्यांमार के बॉर्डर के करीब रहने वाले लोग बिना किसी दस्तावेज के दोनों देशों की सीमा में 16 किमी अंदर तक जा सकते हैं

उन्होंने सुरक्षा बलों पर आरोप लगाया, ‘सुरक्षा बलों ने सीमा की ठीक से सुरक्षा नहीं की है। जीरो पॉइंट पर तैनात होने के बजाय वे भारतीय सीमा से 14-15 किमी अंदर तैनात मिले। हालांकि, सरकार अवैध अप्रवासियों से निपटना जारी रखेगी। भारत-म्यांमार की 60 किमी लंबी बॉर्डर पर बाड़ भी लगाई जाएगी।’

राज्य सरकार का आदेश- 15 दिन में हथियार सरेंडर करें
मणिपुर सरकार ने शुक्रवार 22 सितंबर को एक आदेश जारी किया जिसमें कहा कि सभी आदिवासी संगठनों से जुड़े सभी ग्रुप 15 दिनों के भीतर हथियार सरेंडर कर दें। राज्य सरकार 15 दिन बाद हथियार बरामद करने के लिए बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चलाएगी।

ऐसे में जिस व्यक्ति के पास हथियार बरामद होंगे उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। गौरतलब है कि उग्रवादियों ने पूरे राज्य से 5,668 हथियार लूटे थे। सुरक्षा बलों ने अब तक 1,329 हथियार बरामद कर लिए हैं।

मणिपुर में पिछले दिनों हुईं घटनाएं…

  • तेंगनौपाल में हिंसा, 2 की मौत, 50 घायल: 8 सितंबर को तेंगनौपाल जिले के पैलेल में ​​​​​​फायरिंग की दो अलग-अलग घटनाएं हुईं। इसमें दो लोगों की मौत हो गई, 50 घायल हुए थे। घायलों में सेना का एक मेजर भी शामिल है। पैलेल के मोलनोई गांव में हथियारबंद लोगों और सुरक्षा बलों के बीच गोलीबारी हुई। इसमें की मौत हो गई।
  • कांगपोकपी में फायरिंग में 3 लोगों की मौत: मणिपुर के कांगपोकपी में 12 सितंबर को फायरिंग में 3 लोगों की मौत हो गई थी। अज्ञात हमलावरों ने कांगगुई इलाके में इरेंग और करम वैफेई गांव के बीच सुबह करीब 8.20 बजे ग्रामीणों पर अंधाधुंध फायरिंग की, जिसमें 3 की मौत हो गई थी।
  • खुनिंगथेक गांव में छुट्टी पर आए सेना के जवान की हत्या: 17 सितंबर को सेना के एक जवान का शव मिला। तीन हथियारबंद बदमाशों ने छुट्टी पर आए सिपाही को उसके घर से अगवा किया। फिर सिर में गोली मारकर उसकी हत्या कर दी। मृतक जवान की पहचान सेर्टो थांगथांग कोम के रूप में हुई है।

मणिपुर में अब तक 175 की मौत, 1100 घायल
मणिपुर में पिछले 4 महीने से चल रही जातीय हिंसा में अब तक 175 लोग मारे गए हैं। 1100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। और हजारों विस्थापित हुए हैं। इतना ही नहीं 5172 आगजनी के केस सामने आए, जिनमें 4786 घरों और 386 धार्मिक स्थलों को जलाने और तोड़फोड़ करने की घटनाएं शामिल हैं।

4 पॉइंट्स में जानिए क्या है मणिपुर हिंसा की वजह…

मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।

कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।

मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।

नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।

सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।

हरियाणा के 2 IPS अफसर मणिपुर हिंसा की जांच करेंगे। जांच के लिए हरियाणा के IPS सुरिंदर पाल सिंह और सुनील कुमार को विशेष जांच दल (SIT) का प्रभारी नियुक्त किया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने उत्तर प्रदेश (UP), हरियाणा, असम और त्रिपुरा की राज्य सरकारों से कहा था कि वे इसके लिए 2-2 एसपी स्तर के अधिकारियों को CBI में तैनाती करें।

मणिपुर की स्पेशल NIA कोर्ट ने 22 सितंबर को अत्याधुनिक हथियार रखने और पुलिस की वर्दी पहनने के आरोप में गिरफ्तार पांच आरोपियों को जमानत दे दी। आरोपियों को जमानत शर्तों के साथ 50 हजार रुपए का पर्सनल बॉन्ड भरने के बाद मिली है। कोर्ट ने कहा कि सभी आरोपियों को हर 15 दिन में जांच अधिकारी के सामने पेश होंगे और कोर्ट की अनुमति के बिना राज्य नहीं छोड़ेंगे।