22वें लॉ कमीशन की आज बड़ी बैठक होने जा रही है। इस बैठक में तीन कानूनों पर चर्चा होगी और आयोग अपना रुख स्पष्ट करेगा। बैठक का पहला मुद्दा वन नेशन-वन इलेक्शन है। जिस पर लॉ कमीशन अपनी फाइनल रिपोर्ट तैयार करेगा।
वहीं दूसरा मुद्दा पॉस्को कानून से जुड़ा है। इस अधिनियम के तहत यौन संबंधों में सहमति की न्यूनतम उम्र 18 से घटाकर 16 की जाए या नहीं, इस पर चर्चा होगी। तीसरा मुद्दा ऑनलाइन FIR दाखिल करने के प्रावधान से जुड़ा है।
यह बैठक जस्टिस ऋतुराज अवस्थी की अध्यक्षता में होगी। मुद्दों पर सिफारिशों को अंतिम रूप देने के बाद, लॉ कमीशन अपनी रिपोर्ट कानून और न्याय मंत्रालय को भेजेगा।
केंद्र सरकार ने वन नेशन – वन इलेक्शन के लिए 8 सदस्यीय एक कमेटी बनाई है। जिसके अध्यक्ष पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद हैं। 23 सितंबर को कमेटी की पहली बैठक दिल्ली के जोधपुर ऑफिसर्स हॉस्टल में हुई थी। इसमें फैसला लिया गया कि एक साथ चुनाव के मुद्दे पर मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों के विचार लिए जाएंगे। इस मुद्दे पर सुझाव देने के लिए लॉ कमीशन को भी बुलाया जाएगा।
इसके मायने क्या हैं
भारत में फिलहाल राज्यों के विधानसभा और देश के लोकसभा चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं। वन नेशन वन इलेक्शन का मतलब है कि पूरे देश में एक साथ ही लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव हों। यानी मतदाता लोकसभा और राज्य के विधानसभाओं के सदस्यों को चुनने के लिए एक ही दिन, एक ही समय पर या चरणबद्ध तरीके से अपना वोट डालेंगे।
2. POCSO कानून में उम्र घटाने पर विचार
लॉ कमीशन इस बैठक में पॉक्सो कानून के तहत उम्र घटाने पर भी विचार करेगी। कमीशन यह तय करेगा कि सहमति से यौन संबंध बनाने की उम्र 18 से 16 साल की जाए या नहीं। हालांकि सूत्रों की मानें तो विधि आयोग का वर्तमान में विचार है कि ऐसा नहीं किया जा सकता है, हालांकि, आयोग इस संबंध में कुछ अपवादों पर चर्चा करेगा।
इसके मायने क्या हैं
पाक्सो अधिनियम, 2012 के तहत 18 साल से कम उम्र के बच्चे का यौन शोषण करने पर पॉक्सो एक्ट लगता है। लड़कियों के केस में अगर यह सहमति से भी हुआ है, तो भी आरोपी पर पॉक्सो की धारा लगती है। लॉ कमीशन इस कानून के तहत सहमति से संबंध बनाने की उम्र 16 करने पर चर्चा करेगी।
3. ऑनलाइन FIR दाखिल करने के प्रावधान
घर बैठे पुलिस में शिकायत करने की सुविधा फिलहाल उपलब्ध है। किसी भी स्टेट पुलिस की वेबसाइट पर जाकर ई एफआईआर या ऑनलाइन FIR दर्ज कराई जा सकती है। हालांकि लॉ कमीशन ऑनलाइन FIR दाखिल करने के प्रावधानों पर एक बार फिर से विचार-विमर्श करेगी।
इसके मायने क्या हैं
लॉ कमीशन अगर ऑनलाइन FIR दाखिल करने के प्रावधानों पर कुछ और फैसले लेती है तो इसका असर शिकायतकर्ता पर पड़ेगा।