नौकरी की गारंटी माने जाने वाले कोर्स का गिरता क्रेज:यूपी में पॉलिटेक्निक बंद होने के कगार पर, 2 लाख सीट खाली; 19% ही हुआ एडमिशन

अगर हमें नौजवानों को रोजगार देना हैं तो उन्हें टेक्निकल एजुकेशन देना पड़ेगा, स्किल डेवलपमेंट करना पड़ेगा, इंजीनियरिंग के कॉलेजों में शिक्षा देनी पड़ेगी, डिग्री इंजीनियरिंग करना पड़ेगा, डिप्लोमा इंजीनियरिंग करना पड़ेगा, सर्टिफिकेट कोर्स करना पड़ेगा… डिप्लोमा इंजीनियरिंग की अहमियत पर जोर देते हुए पीएम मोदी ने ये बातें 12 अगस्त 2015 को कही थी। लेकिन, उत्तर प्रदेश के पॉलिटेक्निक संस्थान प्रधानमंत्री के इस मूलमंत्र को भूल चुके हैं। कुछ यही कारण हैं कि इन संस्थानों में दाखिले के लिए छात्र तक ढूंढे नहीं मिल रहे।

पॉलिटेक्निक संस्थानों में प्रवेश प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी 2 लाख 46 हजार 441 सीट के सापेक्ष महज 46 हजार 864 सीट पर ही एडमिशन हो सके हैं। यानी प्रदेश के पॉलिटेक्निक संस्थानों की करीब 2 लाख सीट खाली रह गई है।

6 राउंड काउंसिलिंग के बाद महज 19% अभ्यर्थियों ने ही दाखिला कराया है। यही कारण है कि अब पॉलिटेक्निक संस्थान ताला बंदी की कगार पर पहुंच चुके हैं।

हैरानी की बात ये है कि ऐसे गंभीर हालात में भी प्राविधिक शिक्षा विभाग लुका छिपी के खेल में जुटा है। काउंसिलिंग के बाद भी पोर्टल पर सीटों का ब्योरा तक उपलब्ध नहीं है। वहीं जिम्मेदार अफसर इस मामले में पूरी तरह से चुप्पी साधकर कुर्सी बचाने में जुटे हैं।

दरअसल संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद इस बार इंजीनियरिंग और फॉर्मेसी की अलग-अलग काउंसिलिंग करा रहा है। मेन कोर्स यानी इंजीनियरिंग की काउंसिलिंग 6 राउंड की पूरी हो चुकी है। अभी तक कुल 46 हजार अभ्यर्थियों ने ही इसमें फीस जमाकर अपने डॉक्यूमेंट का वेरिफिकेशन कराया है। यह पॉलिटेक्निक में इंजीनियरिंग की कुल सीटों का मात्र 19% है। जबकि प्रदेश के प्राविधिक शिक्षा मंत्री सदन में इस सत्र में सभी सीटों पर दाखिला कराने की बात कहते हैं।

यहां 50% से कम हुए दाखिले
पॉलिटेक्निक संस्थानों की कम होती लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि निजी पॉलिटेक्निक संस्थान ही नहीं, सरकारी पॉलिटेक्निक संस्थानों में भी 50% से कम दाखिले हुए हैं। इन संस्थानों की एक लंबी फेहरिस्त है। वहीं एडेड संस्थानों के हालात तो और बिगड़े हैं। यहां 20% से कम दाखिले वाले संस्थान भी हैं।

इससे भी बदतर हालात एडेड संस्थानों के हैं। यहां कानपुर और मेरठ के संस्थानों में 20% से कम प्रवेश हुआ है। कुल 19 एडेड पॉलिटेक्निक संस्थानों की 9 हजार 880 सीट में 5 हजार 645 पर ही एडमिशन हुए। जबकि 4 हजार 335 सीट खाली हैं। यानी महज 56% सीट पर दाखिला हुआ।

लखनऊ के पॉलिटेक्निक संस्थानों की प्रवेश स्थिति
कभी प्रदेश के टॉप संस्थानों में शामिल लखनऊ के सरकारी पॉलिटेक्निक संस्थानों के प्रति भी स्टूडेंट्स का रवैया ठंडा ही रहा। एक दौर में यहां पहले 2 राउंड में ही सभी सीट भर जाया करती थी। इस बार 3 राउंड मेन काउंसिलिंग के बाद 2 राउंड की स्पेशल काउंसिलिंग और फिर एक्स्ट्रा काउंसिलिंग कराने के बाद भी सीट फुल नही हुई। सूबे का टॉप पॉलिटेक्निक में शुमार लखनऊ का गवर्नमेंट गर्ल्स पॉलिटेक्निक तक में बमुश्किल 50% तक ही दाखिला हो सका।