पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में मियांवाली एयरबेस पर शनिवार सुबह आतंकी हमला हुआ। हथियारों से लैस 6 आत्मघाती हमलावर एयरफोर्स के ट्रेनिंग बेस में घुस गए। जियो न्यूज के मुताबिक, पाकिस्तानी एयरफोर्स (PAF) ने 3 आतंकवादियों को मार गिराया है, जबकि बाकी 3 को घेर लिया गया है। मुठभेड़ के दौरान 3 एयरक्राफ्ट और 1 फ्यूल टैंकर को तबाह हो गए।
इस दौरान एयरबेस के पास गोलियों और धमाके की तेज आवाजें सुनाई दीं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, तहरीक-ए- जिहाद पाकिस्तान (TJP) ने हमले की जिम्मेदारी ली है। आतंकी सीढ़ी के जरिए दीवार फांदकर एयरबेस में दाखिल हुए थे।
PAF ने कहा- समय रहते हमारे सैनिकों ने एक बड़े हमले को नाकाम कर दिया। एयरबेस के अंदर और आसपास के इलाकों में फाइनल ऑपरेशन चल रहा है। पाकिस्तान सशस्त्र बल हर कीमत पर देश से आतंकवाद के खतरे को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है।
पाकिस्तान में 24 घंटों में 2 आतंकी हमले
पाकिस्तान पर 24 घंटे में 2 आतंकी हमले हुए हैं। इससे पहले शुक्रवार रात ग्वादर में सेना की 2 गाड़ियों पर आतंकी हमला हुआ था। इसमें 14 सैनिक मारे गए थे। हमले के वक्त सैनिक पसनी से ओरमारा की तरफ जा रहे थे। इसके बाद से इलाके में आतंकियों की तलाश की जा रही है।
इसके अलावा, शुक्रवार को ही खैबर पख्तूनख्वा के कई इलाकों में इंटेलिजेंस के आधार पर चलाए गए ऑपरेशन्स में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के आत्मघाती हमलावर सहित दो आतंकवादी मारे गए। जबकि दो घायल हो गए।
क्या है तहरीक-ए-जिहाद, जिसने एयरबेस पर हमले की जिम्मेदारी ली
तहरीक-ए-जिहाद एक आतंकी संगठन है, मामले के जानकार इसे एक रहस्यमयी संगठन कहते हैं। वजह ये है कि इसे लेकर बहुत ज्यादा जानकारी मौजूद नहीं है। तहरीक-ए-जिहाद पहले चमन, बोलान, स्वात के क्षेत्र कबल और लकी मरूत में हमलों की जिम्मेदारी ले चुका है।
हालांकि, कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि ये संगठन कई हमलों में शामिल नहीं था फिर भी हमले की जिम्मेदारी ले ली। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक तहरीक-ए-जिहाद को तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) से समर्थन मिलता है। TTP जिन आतंकी हमलों की जिम्मेदारी नहीं लेना चाहता है, उसे तहरीक-ए-जिहाद के सिर डाल दिया जाता है।
सितंबर में एक दिन में हुए थे 2 धमाके
इससे पहले पाकिस्तान में 28 सितंबर को 2 जगहों पर 2 ब्लास्ट हुए थे। पहला आत्मघाती हमला बलूचिस्तान के मस्तुंग शहर में एक मस्जिद के पास हुआ था। न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, इसमें एक DSP समेत 54 लोगों की मौत हो गई, जबकि 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। हमले के वक्त लोग ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के जुलूस के लिए इकट्ठा हो रहे थे।
वहीं दूसरा धमाका खैबर पख्तूनख्वा के हंगू शहर की मस्जिद में हुआ था। ये भी फिदायीन हमला था। पाकिस्तानी मीडिया ‘न्यूज इंटरनेशनल’ के मुताबिक, यहां एक पुलिस अफसर समेत 4 लोगों की मौत हुई थी।
अफगानिस्तान में तालिबानी सत्ता आने के बाद पाकिस्तान में आतंक बढ़ा
अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से पाकिस्तान में आंतकी संगठन TTP को मजबूती मिली है। आतंकवाद की फैक्ट्री कहे जाने वाले पाकिस्तान में अब तक जितने भी आतंकी संगठन हैं, उनमें तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान सबसे खतरनाक माना जाता है।
इसी संगठन ने मलाला यूसुफजई पर हमले की जिम्मेदारी ली थी। इसी ने पेशावर में सैनिक स्कूल पर हमला करके 114 बच्चों को मार दिया था।
दरअसल, पाकिस्तानी तालिबान की जड़ें जमना उसी वक्त शुरू हो गई थीं, जब 2002 में अमेरिकी कार्रवाई के बाद अफगानिस्तान से भागकर कई आतंकी पाकिस्तान के कबाइली इलाकों में छुपे थे। इन आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू हुई तो स्वात घाटी में पाकिस्तानी आर्मी की मुखालफत होने लगी। कबाइली इलाकों में कई विद्रोही गुट पनपने लगे।
ऐसे में दिसंबर 2007 को बेतुल्लाह महसूद की अगुआई में 13 गुटों ने एक तहरीक यानी अभियान में शामिल होने का फैसला किया, लिहाजा संगठन का नाम तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान रखा गया। शॉर्ट में इसे TTP या फिर पाकिस्तानी तालिबान भी कहा जाता है। यह अफगानिस्तान के तालिबान संगठन से अलग है, लेकिन इरादे करीब-करीब एक जैसे हैं। दोनों ही संगठन शरिया कानून लागू करना चाहते हैं।