मिथक तोड़ती टीम इंडिया:12 साल बाद सेमीफाइनल जीता, विराट की नॉकआउट में पहली सेंचुरी; 5 गेंदबाजों के 13+ विकेट

वर्ल्डकप में पहली बार लगातार 10वीं जीत पहली बार सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड काे शिकस्त सेमी में लगातार दो हार के बाद जीत… और इससे पहले कई मिथकों का अंत, जैसे न्यूजीलैंड से न जीत पाने का मिथक।

ये टीका है टीम इंडिया के माथे पर। आखिरकार हरा ही दिया, वो भी 70 रन से। वानखेड़े में बुधवार को खेले गए वर्ल्डकप के पहले सेमीफाइनल का पहला हिस्सा विराट का रहा। उन्होंने 117 रन बनाए। शतक 50वां, यानी सचिन से एक आगे। दूसरा हिस्सा शमी के नाम, 7 विकेट जो लिए। लेकिन आर्किटेक्ट तो रोहित ही रहे।

रोहित पूरे टूर्नामेंट में हरावल दस्ते की तरह खेल रहे हैं। न अपना 50 देख रहे, न 100, बस बुनियाद तैयार कर दे रहे। ताकि घुड़सवार दस्ता आए तो अपना कौतुक दिखा जाए। इस मैच में भी रोहित ने यही किया। 29 गेंद में 47 रन।

बाकी श्रेयस का 105 रन और शुभमन के 80 रनों के बूते टोटल 397 रन का तो कर ही दिया था, जो किसी भी टीम के पेशानी पर पसीना ला ही दे। वैसे ये किसी नॉकआउट मैच बोर्ड पर टंगा सबसे बड़ा नंबर भी था।

टीम मिथक तोड़ रही, क्योंकि खिलाड़ियों ने बैरियर तोड़े…

1. रोहित टी-20 की कसर वनडे में पूरी कर रहे
2022 के टी-20 वर्ल्ड कप में रोहित शर्मा ने बतौर कप्तान पहली बार टीम इंडिया की कमान संभाली। रोहित दबाव में दिखे और 6 मैचों में 106 के बेहद खराब स्ट्राइक रेट से 116 रन ही बना सके। टीम भी सेमीफाइनल में इंग्लैंड से हार गई।

रोहित ने इस बैरियर को वनडे वर्ल्ड कप में तोड़ा। शुरुआती 10 ओवर में वह 133.08 के स्ट्राइक रेट से 354 रन बना चुके हैं। उनके नाम सबसे ज्यादा 21 छक्के और 42 चौके हैं। उन्हीं की तेज शुरुआत टीम इंडिया के बड़े स्कोर की नींव रख रही है।

2. डेंगू ने शुभमन का कॉन्फिडेंस तोड़ा, अब 4 ही मैचों में 3 फिफ्टी लगा दीं
ICC वनडे रैकिंग के नंबर-1 बैटर शुभमन गिल वर्ल्ड कप शुरू होने से पहले ही डेंगू का शिकार हो गए। ऑस्ट्रेलिया और अफगानिस्तान के खिलाफ मैच नहीं खेल सके। वापसी की तो 5 से 6 किलो वजन घट चुका था और अगले 4 मैचों में एक ही फिफ्टी लगा सके। डर था कि कहीं उनका फॉर्म टीम को न ले डूबे।

शुभमन ने 2 नवंबर को श्रीलंका के खिलाफ फॉर्म पाया और 92 रन की पारी खेल दी। अगली 3 पारियों में उन्होंने 23, 51 और 80* रन बना दिए। सभी मैचों में उन्होंने कप्तान रोहित के साथ भारत को तेज शुरुआत दिलाई।

3. कोहली को भी मिली डर के आगे जीत
विराट कोहली सेमीफाइनल मैच से पहले कभी वनडे वर्ल्ड कप के नॉकआउट मैचों में एक भी फिफ्टी तक नहीं जमा पाए थे। वर्ल्ड कप के 6 नॉकआउट मैचों में उनके नाम महज 65 रन थे। इस बार सीन बदल गया।

वे इस वर्ल्ड कप में तीन शतक जमा चुके हैं। इससे पहले वह 3 वर्ल्ड खेलकर सिर्फ 2 शतक जमा पाए थे। कोहली ने सभी ICC टूर्नामेंट के नॉकआउट में पहली बार ही शतक लगाया।

4. श्रेयस अय्यर ने नंबर-4 की गुत्थी सुलझा दी
इस वर्ल्ड कप से पहले भारत के सामने एक और बड़ी समस्या थी। टीम के पास नंबर-4 पर अच्छा प्रदर्शन करने वाला बल्लेबाज नहीं था। श्रेयस अय्यर ने इसे भी सुलझा दिया है। अय्यर ने सेमीफाइनल में 70 गेंदों पर 105 रन बनाए। इस टूर्नामेंट में यह उनका लगातार दूसरा शतक रहा।

श्रेयस 10 मैचों में 526 रन बना चुके हैं। इसी के साथ वह नंबर-4 की पोजिशन पर एक वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले भारतीय खिलाड़ी बन गए। वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़ने से वह महज 25 रन दूर हैं।

5. केएल राहुल ने विकेटकीपिंग का शक दूर किया, रिव्यू में कप्तान का सहारा बने
विकेटकीपर केएल राहुल इसी साल मई में IPL के दौरान इंजर्ड हो गए। लग रहा था कि वह वापसी नहीं कर पाएंगे लेकिन उन्होंने तेजी से रिकवरी कीऔर एशिया कप में ही वापसी कर दिखाई। वर्ल्ड कप से पहले उनकी विकेटकीपिंग भी सवालों के घेरे में थीं।

राहुल ने सभी सवालों को दूर किया और पहले ही मैच में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 97 रन की नॉटआउट पारी खेलकर टीम को जीत दिला दी। नीदरलैंड के खिलाफ 62 गेंद पर सेंचुरी लगाकर वर्ल्ड कप में सबसे तेज शतक लगाने वाले भारतीय भी बने। उनकी बैटिंग कम आई, लेकिन जब भी आई खुद को साबित किया।

विकेटकीपिंग में 15 कैच पकड़े और एक स्टंपिंग की, जो टूर्नामेंट में सेकेंड बेस्ट है। DRS में फंसने पर हर बार कप्तान रोहित की कन्फ्यूजन दूर करते हैं, सेमीफाइनल में भी 2 अहम मौकों पर रोहित को खराब रिव्यू लेने से रोका।

6. जड्डू की बॉलिंग पर कॉन्फिडेंस नहीं था, अब तीनों डिपार्टमेंट में बेस्ट
रवींद्र जडेजा ने भी इंजरी से रिकवर होने के बाद इसी साल जनवरी में वापसी की। उनकी बैटिंग तो ठीक हो रही थी लेकिन बॉलिंग कमजोर पक्ष लग रही थी। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले ही मैच में 40 रन देकर 3 विकेट लिए और टीम की कन्फ्यूजन दूर कर दी। न्यूजीलैंड और साउथ अफ्रीका के खिलाफ लीग स्टेज में जरूरी रन भी बनाए।

11 से 40 ओवर के बीच उन्होंने महज 4.30 की इकोनॉमी से रन खर्चे और 12 विकेट भी अपने नाम किए। फील्डिंग में तो जडेजा वर्ल्ड क्लास हैं ही, न्यूजीलैंड के खिलाफ सेमीफाइनल में भी उन्होंने 3 अहम कैच पकड़कर इस बात को साबित कर दिया।