वर्ल्ड कप में यूपी का दम:24 साल तक नहीं रहा कोई प्लेयर, निखिल चोपड़ा पहला चेहरा; अब तक 8 प्लेयर्स को मिली जगह

क्रिकेट वर्ल्ड कप-2023 अब कल की बात हो गई। रविवार को वर्ल्ड कप फाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 6 विकेट से शिकस्त दी। वर्ल्ड कप के 48 साल के इतिहास में चौथी बार भारत ने फाइनल खेला। पूरे टूर्नामेंट में यूपी के मोहम्मद शमी, कुलदीप यादव और सूर्य कुमार यादव ने शानदार प्रदर्शन किया। यूपी के इन प्लेयर्स से फाइनल में भी जबरदस्त उम्मीदें थीं। हालांकि, यह अपना करिश्मा नहीं दिखा पाए। मात खा गए।

अब बात वर्ल्ड कप में यूपी कनेक्शन की। अब तक 12 वर्ल्ड कप हुए। पहली बार 1975 में खेला गया। शुरुआती 6 वर्ल्ड कप (1975, 1979, 1983, 1987, 1992 और 1996) में प्रदेश के किसी खिलाड़ी को वर्ल्ड कप टीम में जगह नहीं मिली। मगर, 1999 में वर्ल्ड कप टीम में यूपी के खिलाड़ी ने पहली बार जगह बनाई। वह खिलाड़ी थे निखिल चोपड़ा।

इसके बाद वर्ल्ड कप में यूपी के खिलाड़ी नजर आने लगे। अब तक वर्ल्ड कप टीम में यूपी के 8 खिलाड़ी खेल चुके हैं। एक नाम है प्रवीण कुमार का, जिन्हें टीम में तो जगह मिली थी, लेकिन चोटिल होने के चलते वह एक भी मैच नहीं खेल पाए।

1999: टीम इंडिया के मुश्किल वक्त में निखिल चोपड़ा की एंट्री
1999 में इंग्लैंड में हुए वर्ल्ड कप में निखिल चोपड़ा को एक ऑफ स्पिनर के तौर पर रखा गया। निखिल ठीक-ठाक बल्लेबाजी भी कर लेते थे। हालांकि, वर्ल्ड कप में उन्हें खेलने का मौका संयोग से मिला। दरअसल, केन्या के खिलाफ मैच से ठीक पहले ही वेंकटेश प्रसाद और अनिल कुंबले इंजर्ड हो गए।

इसके बाद निखिल को खेलने के मौका मिला। निखिल ने बल्लेबाजी में तो कोई कमाल नहीं किया। मगर, उन्होंने गेंदबाजी किफायती की। 10 ओवर में सिर्फ 30 रन दिए और 2 ओवर मेडन फेंके। इसके साथ ही केन्या के ओपनर बल्लेबाज केनेडी आटियेनो का विकेट चटकाया।

1999 का वर्ल्ड कप सचिन की 140 रन की शानदार पारी के लिए भी याद किया जाता है, जो उन्होंने अपने पिता को समर्पित की थी। यूपी के लिए यह इसलिए खास रहा कि निखिल चोपड़ा यूपी की वर्ल्ड कप टीम में पहली एंट्री थी।

हालांकि, अगले मैच में वेंकटेश प्रसाद और अनिल कुंबले फिट हो गए। उनकी टीम में वापसी हुई। इस वजह से निखिल चोपड़ा को प्लेइंग-11 से बाहर रहना पड़ा। उन्होंने 1999 वर्ल्ड कप में केवल एक ही मैच खेला। इसके बाद 2000 में भारत एशिया कप में हार गया। तब निखिल को टीम से बाहर कर दिया गया। इसके बाद उनकी टीम में वापसी नहीं हुई।

2003: 1 मैच में सबसे ज्यादा कैच का रिकॉर्ड कैफ के नाम
निखिल चोपड़ा के बाद यूपी से भारत के लिए वर्ल्ड कप खेलने वाले दूसरे खिलाड़ी मोहम्मद कैफ बने। 2003 के विश्व कप में कैफ ने मिडिल ऑर्डर में बल्लेबाजी की थी। इसके साथ ही कवर पर जबरदस्त फील्डिंग की थी। उनके नाम किसी वर्ल्ड कप के एक मैच में सबसे ज्यादा कैच पकड़ने का रिकॉर्ड भी है।

कैफ ने 10 मार्च 2003 को श्रीलंका के खिलाफ ये कारनामा किया था। उन्होंने फाइनल समेत सभी 11 मैच खेले थे। हालांकि, बैट से उन्होंने वर्ल्ड कप में कोई खास कमाल नहीं दिखाया। उन्हें 10 मैचों में बल्लेबाजी करने का मौका मिला। मगर वह सिर्फ 182 रन बना पाए। इसमें एक फिफ्टी यानी 68 रनों की पारी शामिल थी। फाइनल मैच में वो अपना खाता भी नहीं खोल पाए और जीरो पर आउट हुए थे।

2007: वर्ल्ड कप में यूपी से एक भी खिलाड़ी नहीं
इसके बाद 2007 के वर्ल्ड कप में यूपी के ओर से टीम इंडिया में किसी खिलाड़ी को मौका नहीं मिला। मगर, इसके बाद के 4 वर्ल्ड कप यानी 2011, 2015, 2019 और 2023 में टीम इंडिया के प्लेइंग-11 में खेलने वाले खिलाड़ियों में यूपी के खिलाड़ियों का दबदबा रहा। 2011 के वर्ल्ड कप में 2 जबकि 2015, 2019 और 2023 के वर्ल्ड कप में यूपी से 3-3 खिलाड़ियों को मौका मिला।

2011 का विश्वकप भी भारत में हुआ और इंडिया ने 28 साल बार वर्ल्ड कप जीता। इस वर्ल्ड कप के लिए जब टीम का चयन हुआ, तो टीम में यूपी से 3 खिलाड़ियों को रखा गया था। पीयूष चावला, सुरेश रैना और प्रवीण कुमार। हालांकि वर्ल्ड कप शुरू होने से पहले ही प्रवीण कुमार चोटिल हो गए। इसके बाद उनकी जगह एस श्रीसंत को टीम में जगह दी गई थी।

2011: वर्ल्ड कप में फेल रहे पीयूष चावला
2011 के वर्ल्ड कप में यूपी के दो खिलाड़ियों को जगह मिली थी। पीयूष चावला और सुरेश रैना। 2011 के वर्ल्ड कप में पहला मैच इंग्लैंड के खिलाफ खेला था। इसमें पीयूष को बैटिंग भी मिली, लेकिन वह केवल दो रन बना पाए और आउट हो गए। गेंदबाजी में भी महंगे साबित हुए। 10 ओवर में 71 रन दिए और जोनाथन ट्रट और टीम ब्रेसनेन का विकेट लिया। इंग्लैंड के साथ ये मैच टाई रहा था।

इसके बाद पीयूष को आयरलैंड के खिलाफ भी खेलने के मौका मिला। मगर कोई कमाल नहीं दिखा सके। आयरलैंड के खिलाफ 8 ओवर फेंके। इसमें 56 रन दिए। यही नहीं, उन्हें कोई विकेट भी नहीं मिला। दो मैचों में फेल रहने के बाद भी उन्हें नीदरलैंड के खिलाफ फिर मौका दिया गया।

नीदरलैंड के खिलाफ पीयूष ने 10 ओवर फेंके। 47 रन देकर 2 विकेट लिए। 3 मैचों में लगातार साधारण गेंदबाजी के बाद पीयूष चावल को पूरे वर्ल्डकप में फिर मौका नहीं मिला। उनकी जगह पर रविचंद्रन अश्विन को खिलाया गया।

2011: सुरेश रैना ने अहम मैच में खेली बेहतरीन पारी
2011 के वर्ल्ड कप टीम में यूपी के सुरेश रैना भी थे। उन्होंने बड़े मैचों में टीम के लिए बेहतरीन प्रदर्शन किया। क्वॉटर फाइनल में ऑस्ट्रेलिया और सेमी-फाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ बेहतरीन पारी खेली। उस वक्त ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उनकी पारी खूब चर्चा हुई थी।​​​ ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 187 रन पर आउट हो गई थी। इसके बाद रैना ने 28 गेंदों पर 34 रनों की तेज पारी खेली और युवराज सिंह का पूरा साथ दिया।

इसकी बदौलत भारत ने 5 विकेट से इस मैच में जीत दर्ज की और सेमीफाइनल में पहुंचा।सेमीफाइनल में भी रैना ने तेज पारी खेली। सेमीफाइनल में धोनी और सचिन के आउट होने के बाद जब टीम इंडिया की पारी को फिनिश करने का वक्त आया, तो उन्होंने 39 गेंदों पर 36 रन बनाए। लेकिन इस वर्ल्ड कप के शुरुआती मैचों में उन्हें प्लेइंग-11 में जगह नहीं दी गई थी। पहले 5 मैचों में यूसुफ पठान का परफॉर्मेंस खराब होने पर उन्हें जगह मिली थी।

2015: वर्ल्ड कप टीम में 3 खिलाड़ियों को मौका
इसके बाद सुरेश रैना 2015 के वर्ल्डकप में भी खेले। उनके अलावा, यूपी से भुवनेश्वर कुमार और मोहम्मद शमी भी टीम इंडिया में शामिल हुए। सुरेश रैना ने दोनों वर्ल्ड कप में कुल 9 मैचों में 358 रन बनाए, जिसमें 2 बार 50 और एक बार शतक बनाया। उन्होंने बॉलिंग करते हुए दो विकेट भी लिए थे।

मोहम्मद शमी ने 2015 के वर्ल्ड कप में 17 विकेट लिए और उनकी इकोनॉमी केवल 4.81 की रही। शमी ने पाकिस्तान के खिलाफ 35 रन देकर 4 विकेट लिए। 2015 के वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा विकेट लेने वालों में शमी चौथे नंबर पर थे।

मगर, इन सबके बीच कुछ सालों तक भारत की तेज गेंदबाजी की धुरी रहे भुवनेश्वर कुमार भी टीम इंडिया में थे। 2015 के वर्ल्ड कप में उन्होंने केवल एक मैच खेला था। UAE के खिलाफ खेले गए इस मैच में उन्होंने 30 रन देकर एक विकेट लिया। इस वर्ल्ड कप नॉकआउट में भारत को ऑस्ट्रेलिया ने हराकर बाहर का रास्ता दिखाया था।