झांसी का खूंखार डकैत धनसिंह ढीमर अपराध की दुनिया में फिर से एक्टिव हो गया है। 22 साल बाद अचानक उसके क्राइम की दुनिया में वापसी करने पर पुलिस हैरान है। क्योंकि उसका ढीमर गैंग किडनैपिंग और फिरौती वसूलने के लिए कुख्यात है। हाल में 16 अक्टूबर 2023 को उसने गिरोह के 4 गुर्गों के साथ मिलकर मध्यप्रदेश से दो टीचरों को किडनैप कर लिया था। लेकिन, फिरौती वसूल पाते, उससे पहले ही पुलिस जंगल में पहुंच गई। तब उनको टीचर को छोड़कर भागना पड़ा।
फिर 31 अक्टूबर को मोंठ थाना क्षेत्र में एक तांत्रिक की बेरहमी से हत्या कर दी। 15 दिन के अंदर इन दो संगीन क्राइम के बाद पुलिस ने धनसिंह को बुधवार को अरेस्ट कर लिया है। अब उसके गिरोह की सक्रियता को देखते हुए पुलिस ने भी अपने मुखबिर तंत्र को एक्टिव कर दिया है। उसके गिरोह से जुड़े पुराने सभी अपराधियों की लिस्ट तैयार की जा रही है। ताकि गिरोह पर निगरानी की जा सके।
अब तक फिरौती के लिए 12 अपहरण
धनसिंह ढीमर समथर थाना क्षेत्र के छेवटा गांव का रहने वाला है। 1990 में उसने अपराध की दुनिया में कदम रखा था। तब धनसिंह ने एक युवक की हत्या कर शव को खुर्द-बुर्द कर दिया था, यानी इतनी बेरहमी से मारा कि पहचाना न हो सके। इसके बाद उसने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। शुरुआती 5 सालों तक लूट, डकैती, मर्डर के 7 क्राइम किए। फिर उसने अपना ढीमर गैंग बना ली। ढीमर गैंग अपहरण कर व्यापारी, बिजनेसमैन, जमींदार आदि से फिरौती वसूलने लगा। अब तक उस पर फिरौती के लिए अपहरण के 12 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। कुल मुकदमे 42 दर्ज हैं। इसमें से 3 मर्डर, 12 हत्या के प्रयास के हैं।
UP और MP में था एक्टिव ढीमर गैंग
पुलिस के अनुसार, धनसिंह उत्तर प्रदेश के साथ मध्यप्रदेश में भी सक्रिय था। बॉर्डर होने के कारण वह मध्यप्रदेश से अपहरण कर लोगों को झांसी के जंगलों में रखकर फिरौती वसूलता था। वहीं, यूपी से अपहरण कर मध्यप्रदेश के जंगलों में रखकर फिरौती लेता था। उस पर झांसी, जालौन के अलावा, मध्यप्रदेश के दतिया, भिंड और निवाड़ी के विभिन्न थानों में मुकदमे दर्ज हैं।
साल 2000 में उसका सबसे ज्यादा खौफ रहा। एक साल में उसने 13 संगीन जुर्म किए। इसमें से 7 केस फिरौती के लिए अपहरण के थे। वह कई बार पकड़ा गया और जेल गया। लेकिन, जेल से छूटने के बाद वह दोबारा से गिरोह के साथ सक्रिय हो जाता था।
22 साल तक खामोश रहा धनसिंह ढीमर
बात 2001 की है। धनसिंह ढीमर के खौफ से लोग कांपने लगे थे। साल के अंत में उसकी बबीना थाना क्षेत्र में पुलिस के साथ मुठभेड़ हो गई। इसके बाद वह पकड़ा गया और जेल चला गया। जेल से छूटने के बाद वह राजनेता बनना चाहता था। हाल में ही उसने जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गया। करीब 22 साल तक धनसिंह का अपराध से वास्ता नहीं रहा, लेकिन अब पैसों की जरूरत पड़ी तो उसने फिर से रिश्तेदारों के साथ मिलकर गिरोह बना लिया और अपने पुराने रास्ते पर निकल पड़ा।