असम में प्रवासियों की नागरिकता का डेटा पेश करे केंद्र:SC का निर्देश, अल्टीमेटम दिया; कहा- 1961-1972 तक की जानकारी 11 दिसंबर तक दें

असम में गैरकानूनी शरणार्थियों से जुड़ी सिटीजनशिप एक्ट की धारा 6A से जुड़ी 17 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने केंद्र से एक जनवरी 1966 से 25 मार्च 1971 के दौरान असम में बांग्लादेशी शरणार्थियों को दी गई नागरिकता का डेटा मांगा है।

चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय कॉन्स्टिट्यूशनल बेंच ने केंद्र और असम सरकार को 11 दिसंबर तक का अल्टीमेटम दिया है। इस बेंच में जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस एमएम सुंदरेश, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल हैं।

बेंच ने पूछा कि 1966 से 1971 के बीच फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल ऑर्डर 1964 के तहत कितने लोगों की पहचान विदेशियों के रूप में की गई? केंद्र ने अब तक कितने फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल बनाए हैं? इनमें कितने मामले लंबित हैं और कितने निपटाए गए हैं।

SC ने पूछा- असम और बंगाल से अलग व्यवहार क्यों
केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कोर्ट ने सवाल कि केंद्र ने पश्चिम बंगाल को सिटीजनशिप एक्ट की धारा 6ए के दायरे से बाहर रखते हुए असम से अलग व्यवहार क्यों किया जबकि पश्चिम बंगाल बांग्लादेश के साथ काफी बड़ी सीमा साझा करता है।

कोर्ट ने पूछा- पश्चिम बंगाल में अवैध रूप से भारत आने वाले लोगों की संख्या ज्यादा होगी। क्या हमारे पास कोई डेटा है जो दावा करे कि बंगाल में अवैध इमिग्रेशन असम की तुलना में कम थी? यह धारणा क्यों पैदा हुई कि यह समस्या असम में है, पश्चिम बंगाल में नहीं?

इस पर तुषार मेहता ने कहा- असम में यह मुद्दा इसलिए उठा क्योंकि वहां की संस्कृति बांग्लादेश से काफी अलग है। वहां प्रवासियों को पहचानने में आसानी होती थी। लेकिन बंगाल में स्थानीय लोगों और प्रवासियों का खान-पान, पहनावा, संस्कृति काफी मिलता-जुलता है, जिससे उन्हें पहचानना मुश्किल होता है।

क्या कहती है सिटीजनशिप एक्ट की धारा 6A
असम समझौते के तहत भारत आने वाले लोगों की नागरिकता से निपटने के लिए एक विशेष प्रावधान के रूप में नागरिकता अधिनियम में धारा 6ए जोड़ी गई थी। जिसमें कहा गया है कि जो लोग 1985 में बांग्लादेश समेत क्षेत्रों से 1 जनवरी 1966 या उसके बाद लेकिन 25 मार्च 1971 से पहले असम आए हैं और तब से वहां रह रहे हैं, उन्हें भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के लिए धारा 18 के तहत अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा।

नतीजतन, इस प्रावधान ने असम में बांग्लादेशी प्रवासियों को नागरिकता देने की अंतिम तारीख 25 मार्च 1971 तय कर दी।