देश की संसद में विजिटर्स गैलरी से कूदने वाले दो युवकों में एक युवक लखनऊ का रहने वाला है। दोनों युवकों के पकड़े जाने के बाद सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठने शुरू हो चुके हैं। केंद्र सरकार के अलावा राज्य सरकारों ने भी विधानसभा और प्रमुख स्थलों पर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी है।
संसद में सुरक्षा व्यवस्था में चूक जैसा एक मामला कभी यूपी विधानसभा में भी सामने आया था। वह तारीख 12 जुलाई 2017 थी। विधानसभा सत्र का समय था। सदन के अंदर साफ-सफाई के दौरान एक विस्फोटक पदार्थ मिलने की बात सामने आई थी। जिसका नाम PETM बताया गया। फिलहाल लंबी चली जांच, आगरा, हैदराबाद फोरेंसिक लैब और सुरक्षा एजेंसियों ने PETM पाउडर होने से इनकार कर दिया था।
अब जानते हैं यूपी विधानसभा के अंदर मिलने वाले PETM पाउडर पर फॉरेंसिक अफसर की बयानबाजी सबसे बड़ी अफ़वाह कैसे बन गई थी।
2017 में विधान सभा में मिला था पाउडर
यह बात तो साल 2017 की है। 12 जुलाई को सत्र के दौरान सदन के अंदर साफ-सफाई के समय यह पदार्थ मिला था। इसकी मात्रा 150 ग्राम बताई गई थी। यह पदार्थ सीट 80 पर मिला था। जहां समाजवादी पार्टी के तत्कालीन विधायक और पूर्व मंत्री मनोज कुमार पांडे बैठते हैं। कन्नौज के तत्कालीन विधायक अनिल कुमार दोहरे उनके ठीक बगल वाली सीट पर बैठते हैं। उन्होंने कहा था, “हां, मैंने अपना बयान दर्ज करा दिया है। मैंने उन्हें बताया है कि वह पदार्थ सीट पर पड़ा था।”
एक्सपायरी किट से कर दी थी जांच, अफसर हुए थे निलंबित
यूपी विधानसभा में संदिग्ध पाउडर को विस्फोटक (PETN) बताने वाले लखनऊ फॉरेंसिक लैब के तत्कालीन निदेशक डॉ. एसबी उपाध्याय के खिलाफ शासन ने कार्रवाई की थी। इसके बाद एसबी उपाध्याय को बर्खास्त कर दिया गया था। जांच में इस बात का पता चला कि मार्च 2016 में एक्सपायरी किट से संदिग्ध पाउडर की जांच की गई थी। लखनऊ लैब की रिपोर्ट के आधार पर सीएम ने विधानसभा में संदिग्ध पाउडर को विस्फोटक बता दिया था।
विधानसभा में संदिग्ध पाउडर को विस्फोटक होने की पुष्टि के बाद आशंका लगाई जाने लगी कि इस संदिग्ध पाउडर की जांच एक्सपायरी किट से हुई थी। लिहाजा इसकी जांच कराई गई और इस बात पर मुहर लग गई कि संदिग्ध पाउडर की जांच एक्सपायरी किट से हुई थी।
अब आपको PETN के बारे में बताते हैं…
प्रश्न. PETN क्या है?
जवाब. पेंटाएरीथ्रीटोल ट्राइनाइट्रेट यानी PETN बेहद पावरफुल प्लास्टिक एक्सप्लोसिव है। ये व्हाइट पाउडर या शीट के रूप में होता है। इसके क्रिस्टल ट्रांसपैरेंट होते हैं। यह इट्रोग्लिसरीन एक्सप्लोसिव की फैमिली से ताल्लुक रखता है।
प्रश्न. यह कैसे काम करता है?
जवाब. इसमें अपने आप ब्लास्ट नहीं होता। इसे आग लगाकर भी ब्लास्ट नहीं किया जा सकता। इसे किसी डेटोनेटर से ही ब्लास्ट किया जा सकता है। PETN में ब्लास्ट से 4230 डिग्री सेल्सियस टेम्परेचर पैदा होता है। PETN को शॉकवेब से भी ब्लास्ट किया जा सकता है। बता दें कि शॉकवेब उस वेब को कहा जाता है, जो साउंड की स्पीड (करीब 340 मीटर/सेकेंड) से तेज होती है।
प्रश्न. आतंकियों की पहली पसंद क्यों?
जवाब. यह ब्लैक मार्केट में आसानी से मिलता है, इसे एक जगह से दूसरी जगह लाना-ले जाना सुरक्षित होता है। इसे किसी कंटेनर या इलेक्ट्रॉनिक इक्यूपमेंट्स में आसानी से छिपा कर रखा जा सकता है। इसकी वजह से सिक्योरिटी चेकिंग के दौरान मेटल डिटेक्टर से इसकी मौजूदगी का पता लगाना बेहद मुश्किल है।
इसमें कोई गंध नहीं होती। इसलिए डॉग स्क्वायड भी इसका असानी से पता नहीं लगा पाती। इसे बाजार में मिलने वाले कैमिकल्स से भी बनाया जा सकता है। हालांकि, यह इतना आसान नहीं है।
प्रश्न. कितना खतरनाक है?
जवाब. इसकी सिर्फ 100 ग्राम मात्रा ही एक कार में ब्लास्ट करने के लिए काफी है।
प्रश्न.खतरनाक है फिर क्यों बनाया जाता है?
जवाब. कानूनी तौर पर इसका इस्तेमाल मिलिट्री और माइनिंग इंडस्ट्री में किया जाता है। RDX के साथ इसे मिलाकर SEMTEX नाम का एक्सप्लोसिव बनता है।
प्रश्न. इसका पता लगाने का क्या कोई दूसरा तरीका है?
जवाब. गार्डियन की रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ एयरपोर्ट्स पर PETN की जांच के लिए खास इंतजाम किए गए हैं। इसके लिए पैसेंजर्स के कपड़ों को ऊपर से पोंछकर नमूना लिया जाता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि, गारंटी नहीं दी जा सकती कि इस तरीके से PETN की मौजूदगी का पता लगाया ही जा सके।
प्रश्न. सबसे पहली बार किसने बनाया?
जवाब. एक्सप्लोसिव बनाने वाली जर्मन कंपनी रीनिश्क-वेस्टफैलिश्क स्प्रेंग्स्टॉफ ने पहली बार PETN बनाया था। उसने इसे 1894 में पेटेंट कराया। पहले वर्ल्ड वॉर के बाद इसका कॉमर्शियल इस्तेमाल शुरू हुआ।
प्रश्न. कब-कब इस्तेमाल हुआ?
2001: शू बॉम्बर के नाम से मशहूर टेररिस्ट रिचर्ड रीड ने मियामी से जाने वाले अमेरिकन एयरलाइंस जेट पर इसका इस्तेमाल किया था। हालांकि, वह नाकाम रहा।
2009: अलकायदा मेंबर उमर फारुख अब्दुलमुतल्लब ने नॉर्थवेस्ट जाने वाली एक फ्लाइट में PETN के इस्तेमाल की कोशिश की, लेकिन नाकाम रहा। वो अपने अंडरवियर में एक्सप्लोसिव छिपाकर ले गया था और पकड़ा गया।
2010: इस साल अक्टूबर महीने में यमन से अमेरिका जाने वाले एक कार्गो प्लेन में PETN मिला था।
2010: इसी साल अलकायदा के आतंकी अब्दुल्ला हसन अल-असीरी ने सऊदी अरब के डिप्टी इंटीरियर मिनिस्टर की हत्या की कोशिश की। वह अपनी बॉडी में पीटीएन छिपाकर लाया था।
1983: वेनेजुएला के टेरेरिस्ट कार्लाेस द जैकाल ने बर्लिन के कल्चर सेंटर मैसन डि फ्रांस में ब्लास्ट किया।
प्रश्न. भारत में कब इस्तेमाल हुआ?
जवाब. 7 सितंबर 2011 को दिल्ली हाईकोर्ट में हुए ब्लास्ट में PETN का इस्तेमाल किया गया था। इस ब्लास्ट में 17 लोग मारे गए थे और 76 लोग घायल हुए थे। इन्वेस्टिगेशन में सामने आया कि ब्लास्ट में PETN की काफी कम मात्रा इस्तेमाल की गई थी, लेकिन उसने काफी बड़ा नुकसान किया।