‘फर्जी कॉल’ सेंटर के टारगेट पर अमेरिकी:सोशल सिक्योरिटी नंबर और IP-सिस्टम हैक करते हैं; डर दिखाकर ठगते; 2018 में FBI से हुआ था समझौता

नोएडा फर्जी कॉल सेंटर का गढ़ बनता जा रहा है। इस तरह के कॉल सेंटर डार्क वेब के डेटा का प्रयोग करते है। एसटीएफ और नोएडा पुलिस ने कई कॉल सेंटर पकड़े जो USA के नागरिकों के साथ ठगी कर रहे थे।

दरअसल, ऐसे ठग नोएडा में जब फर्जी कॉल सेंटर खोलते हैं, तो आसपास के लोगों को अंतरराष्ट्रीय कंपनियों से अटैच बताते हैं। सेटअप भी कॉल सेंटर जैसा होता है। लेकिन, यहां मदद नहीं, बल्कि ठगी की स्क्रिप्ट लिखी जाती है।

नोएडा प्रदेश का सबसे बड़ा IT हब है। यहां एक हजार से ज्यादा कॉल सेंटर आधिकारिक तौर पर चलते है। इनमें 24 घंटे काम होता है। इनमें से अधिकतर कॉल सेंटर विदेशी कंपनियों के लिए काम करते है। नोएडा में एचसीएल, विप्रो, इंफोसिस, आर सिस्टम जैसी बड़ी कंपनियों के कॉल सेंटर भी है।

इन बड़ी कंपनियों की आड़ में ही सेक्टरों में किराए पर छोटे-छोटे कॉल सेंटर चलाए जा रहे हैं। यहां काम करने वालों को 15 से 20 दिन का अंग्रेजी ऐक्सैंट का क्रैश कोर्स कराया जाता है। ताकि, अमेरिकी नागरिकों को शक न हो।

  • तीन पॉइंट में समझें USA के नागरिकों से कैसे की जाती थी ठगी

वाइस मैसेज भेजकर ठगी
फर्जी कॉल सेंटर चलाने वाले लोग VICIDIAL सॉफ्टवेयर और एक्स-लाईट/ EYEBEAM डायलर का प्रयोग करके आईवीआर के माध्यम से डार्क वेब से अमेरिकी लोगों का डेटा लेते थे। इसके बाद इन नंबरों पर सिक्योरिटी एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट ऑफ यूएस से अपने आप को बताकर एक वाइस मैसेज भेजते थे।

इस मैसेज में अमेरिकी लोगों के सोशल सिक्योरिटी नंबर से संबंधित आपराधिक गतिविधियों में उनके लिप्त होने का कारण बताते हुए उनका अकाउंट सीज किया जा रहा है, ऐसा बता कर ठगी करते थे।

फर्जी सर्विस प्रोवाइडर बनकर ठगी
अमेरिका के नागरिकों का डेटा (जिसमें नाम, पता, फोन नंबर और सोशल सिक्योरिटी नंबर होता है) डार्क वेब लिया जाता है। इसके बाद व्हाइट पेजस वेबसाइट से इन मोबाइल नंबरों से अमेरिका के सर्विस प्रोवाइडर का पता कर लेते हैं।

फिर अपने कॉल सेंटर से मोबाइल धारक को उसी सर्विस प्रोवाइडर की तरफ से फर्जी कॉल करते हैं। धारक से उसका पिन नंबर ले लेते हैं। इसके बाद दोबारा इसी कॉल सेंटर से सर्विस प्रोवाइडर को धारक बताकर कॉल करते है। पूछने पर धारक का पिन नंबर सर्विस प्रोवाइडर को देते हैं।

विदेशी कंपनियों का प्रतिनिधि बताकर ठगी
कंप्यूटर से टीएफ एप पोर्टल के माध्यम से आईबीम साफ्टवेयर से कॉल सेंटर में लगे सिस्टम पर कॉल लैंड कराते है। उस कॉल को कॉलसेंटर पर पूर्व से एक्टिव कॉलर रिसीव करते है।

ये अपने आप को विदेशी कंपनी का प्रतिनिधि बताकर बोलते हैं आपका सिस्टम हैक और आईपी एड्रेस कंप्रोमाइजड हो गया है । इस समस्या के समाधान के लिए उनके सिस्टम को ऐनीडेस्क साफ्टवेयर से कनेक्ट कर उनके सिस्टम में आ रही असुविधा को हल करने के नाम पर चार्ज वसूलते हैं।

अब पिछले कुछ महीनों में पकड़े गए कॉल सेंटर, जिनके टारगेट पर थे अमरीकी

  • 11 जनवरी 2024 को यूपी एसटीएफ और पुलिस ने सेक्टर-58 कॉल सेंटर पकड़ा। 25 गिरफ्तार हुए। अमेरिकी नागरिकों से ठगी करते थे।
  • 20 नवंबर 2023 को नोएडा एसटीएफ यूनिट ने अमेरिकी नागरिकों के साथ ठगी करने वाले कॉल सेंटर को पकड़ा। 16 लोगों को गिरफ्तार किया गया।
  • 18 नवंबर 2023 एसटीएफ ने ग्रेनो वेस्ट की महा गुन मायवुड सोसाइटी के फ्लैट में फर्जी कॉल सेंटर का पर्दाफाश कर 24 आरोपियों को गिरफ्तार किया।
  • 16 नवंबर 2023 को फेज-1 पुलिस ने अमेरिकी नागरिकों को हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी देने का झांसा देकर ठगी करने वाले फर्जी कॉल सेंटर का खुलासा किया। पुलिस ने गिरोह में शामिल 14 लोगों को गिरफ्तार किया।
  • 11 नवंबर 2023 को पुलिस ने ऑनलाइन तकनीकी सहायता देने का झांसा देकर अमेरिका और कनाडा के नागरिकों से ठगी करने वाले गिरोह के सात आरोपियों को फॉर्म हाउस से दबोचा।
  • 24 अगस्त 2023 को पुलिस ने अमेरिकी नागरिकों को ठगने वाले कॉल सेंटर का पर्दाफाश कर 84 आरोपियों को पकड़ा।

2018 में एफबीआई के साथ हुआ था समझौता
साल 2018 में नोएडा पुलिस ने अंतरराष्ट्रीय पुलिस संगठन इंटर पोल और अमेरिकी पुलिस एजेंसी FBI के साथ एक समझौता किया था। इसके तहत दोनों एजेंसियों ने कॉल सेंटर फर्जी वाड़ा प्रकरण में मदद करने की बात कही थी।

उस दौरान एफबीआई और इंटरपोल के अधिकारी नोएडा आए थे। बतौर एक खाका तैयार किया गया। जिसके बाद कॉल सेंटर को पकड़ने में तेजी आई। दरअसल फर्जी कॉल सेंटर देश की सुरक्षा के लिए खतरा है।

पांच साल में 250 फर्जी कॉल सेंटर का आंकड़ा पार
नोएडा पुलिस ने पिछले पांच साल में शहर में चल रहे 265 फर्जी कॉल सेंटर का खुलासा किया। इसके बावजूद नोएडा फर्जी कॉल सेंटर का हब बना हुआ है। नोएडा में सबसे ज्यादा फर्जी कॉल सेंटर सेक्टर-1, 2, 3, 4, 5 ,6, 7, 10, 15, 16,18, 27, 41, 45, 49, 57, 59, 60, 62, 63, 64, 65, 67, 80, 105, 110, 1256, 126 में पकड़े गए। यहीं से सबसे ज्यादा गिरफ्तारी भी हुई। लेकिन, अक्सर देखा गया है कि जो लोग इन मामलों में पकड़े जाते है वो जमानत पर बाहर आकर दोबारा से जगह बदलकर ठगी के इस काम में इन्वाल्व हो जाते हैं।