‘ज्ञानवापी में बड़ा हिंदू मंदिर था…तहखाने में मूर्तियां मिलीं’:ASI सर्वे रिपोर्ट में हुआ खुलासा; औरंगजेब के काल में तोड़ने के साक्ष्य मिले

ज्ञानवापी की ASI सर्वे की रिपोर्ट गुरुवार देर रात सार्वजनिक हो गई। इस रिपोर्ट के मुताबिक परिसर के अंदर भगवान विष्णु, गणेश और शिवलिंग की मूर्ति मिली है। पूरे परिसर को मंदिर के स्ट्रक्चर पर खड़ा बताते हुए 34 साक्ष्य का जिक्र किया गया है। मस्जिद परिसर के अंदर ‘महामुक्ति मंडप’ नाम का एक शिलापट भी मिला है।

ASI ने रिपोर्ट में लिखा कि ज्ञानवापी में एक बड़ा हिंदू मंदिर मौजूद था। 17वीं शताब्दी में जब औरंगजेब का शासन था। उस वक्त ज्ञानवापी स्ट्रक्चर को तोड़ा गया। कुछ हिस्सों को मॉडिफाई किया गया। मूलरूप को प्लास्टर और चूने से छिपाया गया। 839 पेज की रिपोर्ट में ASI ने परिसर के प्रमुख स्थानों का जिक्र किया।

मस्जिद के तहखाने में मंदिर का स्तंभ

4 भाषाओं में लिखावट, शिव के तीन नाम मिले
ज्ञानवापी की दीवारों, शिलापटों पर 4 भाषाओं का जिक्र मिला। इसमें देवनागरी, कन्नड़, तेलुगु, और ग्रंथ भाषाएं हैं। इसके अलावा, भगवान शिव के 3 नाम भी मिले हैं। यह जनार्दन, रुद्र और ओमेश्वर हैं। सारे पिलर पहले मंदिर के थे, जिन्हें मॉडिफाई कर दोबारा इस्तेमाल किया गया।

पशु पक्षियों की आकृतियां और धार्मिक नक्काशी
परिसर के मौजूदा स्ट्रक्चर में सजाए गए मेहराबों के निचले सिरों पर उकेरी गई जानवरों की आकृतियां विकृत कर दी गई हैं। गुंबद के अंदरूनी हिस्से को ज्यामितीय डिजाइन से सजाया है। मंदिर के केंद्रीय कक्ष का मुख्य प्रवेश द्वार पश्चिम से था। इस द्वार को जानवरों और पक्षियों की नक्काशी और एक सजावटी तोरण से सजाया था।

पश्चिमी दीवार को मंदिर का हिस्सा बताया
रिपोर्ट में बताया कि कन्नारथा, प्रतिरथा और नागर शैली में बनी पश्चिमी दीवार के अध्ययन से पता चलता है कि यह हिंदू मंदिर का हिस्सा है। यह दीवार 5 हजार साल पहले नागर शैली में बनी है। दीवार के नीचे 1 हजार साल पुराने अवशेष मिले हैं। यही नहीं, परिसर में एक शिलालेख का टूटा हिस्सा मिला है। जिसका मूल पत्थर ASI म्यूजियम में हैं। यह शिलालेख 1966 का है। इस पर महामुक्ति मंडप लिखा है। औरंगजेब शासन (1792-93) के दौरान स्थल का मूल तत्व क्षतिग्रस्त किया गया।

खंभे पर दीपस्थल और घंटियों की आकृतियां
रिपोर्ट में ASI ने बताया कि परिसर के सारे खंभे 1669 यानी 17वीं सदी से पहले के हैं। यह मंदिर के प्रतीत होते हैं। इसमें हिंदुओं के प्रतीक चिन्ह बने हैं। ज्ञानवापी की पश्चिमी दीवार पुराने मंदिर के पत्थरों (मलबे) से बनी है। इस दीवार से जुड़े केंद्रीय कक्ष में बदलाव नहीं हुआ। यानी, अपरिवर्तित है। जबकि बाहर के दो कक्षों को मॉडिफाई किया गया।

ज्ञानवापी चबूतरे के पूर्वी भाग में तहखाने को बनाते समय पुराने स्ट्रक्चर (मंदिर) के खंभों का इस्तेमाल किया गया। एक खंभा (स्तंभ) ऐसा मिला, जिसे घंटियों से सजाया गया है। उसमें चारों तरफ दीपक रखने की जगह बनी है।

हिंदू पक्ष बोला- रिपोर्ट से हमारा दावा साबित हुआ
ASI ने कहा कि ज्ञानवापी के तहखाना S-1 में दो मीटर चौड़ा कुआं है। इसे कवर किया गया है। मंदिर में एक बड़ा केंद्रीय कक्ष और उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम में एक कक्ष था। उत्तर की ओर तीन कक्ष के अवशेष हैं। दक्षिण और पश्चिम में कक्ष अभी मौजूद हैं, लेकिन पूर्व में कक्ष के अवशेष और इसके आगे के विस्तार का भौतिक रूप से पता नहीं लगाया जा सका।

हिंदू पक्ष के अधिवक्ता सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने बताया कि सर्वे रिपोर्ट से साफ हो गया कि आदि विश्वेश्वर का मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई है। अयोध्या की तरह बनारस में भी मंदिर को तोड़कर उसके पिलर और अवशेष पर मस्जिद बनाई गई।

मुस्लिम पक्ष का बयान- रिपोर्ट पढ़कर जवाब देंगे
ASI सर्वे रिपोर्ट पर शुक्रवार को मुस्लिम पक्ष यानी अंजुमन इंतजामिया कमेटी ने सवाल खड़े किए। इंतजामिया कमेटी के संयुक्त सचिव एसएम यासीन ने कहा कि यह एक रिपोर्ट है। फैसला नहीं। 839 पन्ने की रिपोर्ट के अध्ययन में समय लगेगा। एक्सपर्ट्स से राय ली जाएगी फिर आगे विचार किया जाएगा। उन्होंने यह भी दावा किया कि यह मस्जिद 804-42 हिजरी के समय जौनपुर के एक रईस मुसलमान ने बनवाया था। अकबर बादशाह से करीब 150 साल पहले से मुसलमान यहां नमाज पढ़ रहे हैं।

24 जुलाई को ज्ञानवापी में उतरी ASI की टीम
ज्ञानवापी परिसर में एएसआई सर्वे की याचिका पर जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश ने 23 जुलाई 2023 को आदेश दिया था। हिंदू और मुस्लिम पक्ष की मौजूदगी में अदालत ने रडार तकनीक एएसआई से सर्वे कराने का आवेदन मंजूर किया था। साथ ही, एएसआई के निदेशक को सर्वे कराने के लिए आदेश दिया था।

अदालत ने कहा था कि किसी तरह की क्षति पहुंचाए बगैर वैज्ञानिक तरीके से सर्वे कराया जाए। 24 जुलाई को ASI टीम ने सील वजूखाने को छोड़कर संपूर्ण परिसर के सर्वे शुरू किया और लगभग 84 दिन चले सर्वे के बाद सीलबंद रिपोर्ट अदालत में दाखिल की।

इससे पहले मामला हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट गया। 24 जुलाई का सर्वे स्थगित होकर दोबारा चार अगस्त 2023 से सर्वे शुरू हुआ, जो दो नवंबर तक पूरा हो सका। 18 दिसंबर 2023 को सर्वे रिपोर्ट अदालत में दाखिल की गई थी। इसके बाद से ही हिंदू पक्ष रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग कर रहा था।

​​​36 दिनों तक तीन हिस्सों में तैयार हुई रिपोर्ट

  • पहली कॉपी ऊपरी हिस्सों में दिखने वाली आकृतियों की है, जिसमें स्थलीय बनावट, काल और समय आदि का डिटेल है।
  • दूसरी कॉपी में जमीन के अंदर की GPR सर्वे की डिटेल को शामिल किया है। इसमें तरंगों के जरिए ग्राफ बनाया और उसके नीचे मौजूद अवशेषों का एक्स-रे किया गया। उसकी रिपोर्ट डिजिटल और ग्राफिक्स में तैयार की गई है।
  • तीसरी कॉपी में वीडियो-फोटोग्राफी को स्थान के साथ मार्क किया है। ज्ञानवापी में तीन स्तर पर तैयार रिपोर्ट को दिनों के अनुसार, PPT स्लाइड में तैयार किया गया है और उस दिन की प्रगति को अलग से उल्लिखित भी किया है।