लखनऊ के संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (SGPGI) के डायरेक्टर प्रो.राधाकृष्णा धीमन को पद्मश्री अवार्ड मिलेगा। 2024 के पद्मश्री अवार्ड के लिए उन्हें पंजाब के उनके हेपेटाइटिस-सी यानी काला पीलिया के इलाज के लिए बनाए गए मॉडल के लिए दिया जा रहा है।
सवाल – पद्मश्री अवार्ड के लिए आपको चुना गया। कैसा महसूस कर रहे हैं?
जवाब – ये सिर्फ मेरा अवॉर्ड नहीं है, मेरे साथ जिन लोगों ने काम किया। वह सभी बराबर के हकदार हैं। इस लिहाज से अच्छा महसूस कर रहा हूं।
सवाल – पंजाब में हेपेटाइटिस-सी के इलाज में आपके सफल मॉडल से लोगों को फायदा मिला था। वो मॉडल क्या था?
जवाब – ये 2016 की बात है। पंजाब में हेपेटाइटिस सी यानी काला पीलिया के केस साल में करीब 10 लाख थे। PGI चंडीगढ़ में इलाज के दौरान साल भर में महज हजार से डेढ़ हजार मरीजों का इलाज हो पाता था। उस वक्त मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल थे। उन्होंने मरीजों के इलाज के लिए मुझे एक मॉडल तैयार करने के लिए कहा।
क्योंकि इस बीमारी का समय से इलाज नहीं होने पर काला पीलिया, लीवर सिरोसिस और फिर लीवर कैंसर में तब्दील हो जाता है। हालांकि, इसके लिए 3 महीने का मेडिसिन कोर्स होता है। दरअसल, इतने बड़े राज्य में फैले 10 लाख मरीजों तक इलाज मुहैया करवाना ही चुनौती थी।
मैंने 22 जिला अस्पताल और 3 मेडिकल कॉलेजों में यानी कुल 25 सेंटर पर डॉक्टरों और पैरा मेडिकल स्टॉफ को ट्रेन किया। टेली मेडिसिन के जरिए वीकली रिव्यु भी किया। इसका असर ये हुआ कि महज साल भर में 48 हजार मरीजों का उपचार हो गया। इस मॉडल का WHO, अमेरिकन और यूरोपियन संस्थानों ने भी इस माडल को स्वीकार किया। मेरे लखनऊ ट्रांसफर होने तक करीब 1 लाख लोगों का सफल इलाज हो चुका था।
सवाल -SGPGI में कोरोना पीड़ितों को लेकर आपके काम की भी सराहना हुई है, इसके बारे में थोड़ा बताइए।
जवाब – दरअसल, पंजाब मॉडल के आधार पर 2018 में तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने देशभर में नेशनल वायरल हेपेटाइटिस कंट्रोल प्रोग्राम चलाया। पंजाब में 25 सेंटर से शुरू हुए इस प्रोग्राम के देश भर में अब 800 से ज्यादा सेंटर हैं।
इसके बाद कोविड की पहली लहर आ गई। SGPGI में कोरोना पीड़ितों के इलाज के दौरान सबसे कम मौतें हुई। बेहद गंभीर अवस्था में लाए गए मरीजों को भी ठीक करके वापस घर भेजा गया। इस दौरान 51 मेडिकल कॉलेजों को भी सपोर्ट किया गया। वहां डॉक्टरों और मेडिकल स्टॉफ का भी ट्रेनिंग दी गई। ये कोरोना ट्रीटमेंट का एक बेस्ट मॉडल बनकर सामने आया। कोविड का सबसे अच्छा मैनेजमेंट यही पर हुआ।
सवाल – आपका ऑर्गन डोनेशन का मॉडल क्या था?
जवाब – PGI चंडीगढ़ में इसकी शुरुआत की गई। इसके बाद महज 2 से 3 साल के भीतर ही चंडीगढ़ ऑर्गन डोनेशन के मामले में पूरे देश में दूसरे नंबर पर आ गया था। एक साल के भीतर 47 ब्रेन डेड पेशेंट से ऑर्गन फेलियर मरीजों के लिए ऑर्गन डोनेट किए गए थे।
सवाल – आगे के लिए क्या तैयारी हैं? SGPGI के लिए क्या लक्ष्य निर्धारित किया है?
जवाब – हम एक विजन के तहत काम कर रहे हैं। अभी 558 बेड का इमरजेंसी मेडिसिन और रीनल ट्रांसप्लांट सेंटर की शुरुआत हुई है। अब बच्चों के लिए 573 बेड का एडवांस पीडियाट्रिक सेंटर, 24 सुपर स्पेशलिटी होंगी। 6 यूनिट होगी। इसके लिए कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद फंड भी जारी हो गया है।
इसके बाद 60 मिलियन डॉलर यानी 500 करोड़ के प्रोजेक्ट की भी मंजूरी मिली है। 3 फेज में इसे पूरा किया जाना है। पहला फेज शुरू हो गया है। इसके अलावा एडवांस डायबीटिक सेंटर की भी अगले महीने शुरुआत हो रही है। इसके अलावा 3 से 4 नए विभाग भी शुरू किए गए। कुल मिलाकर बेहतरीन चिकित्सकीय सुविधा मुहैया कराना ही मकसद है।