जयंत चौधरी ने NDA में जाने की पुष्टि की:बोले- विधायकों से बातचीत के बाद फैसला लिया, दादा को भारत रत्न मिलना हमारे लिए सम्मान

राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के प्रमुख जयंत चौधरी ने सोमवार (13 फरवरी) को NDA में जाने की पुष्टि कर दी। उन्होंने कहा- मैंने पार्टी के विधायकों और कार्यकर्ताओं से बातचीत के बाद NDA में जाने का फैसला लिया। इस फैसले के पीछे कोई बड़ी प्लानिंग नहीं थी। परिस्थितियां ऐसी बनी कि हमें बहुत कम समय में ये फैसला लेना बड़ा।

जयंत चौधरी पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के पोते हैं। केंद्र सरकार ने 9 फरवरी को चरण सिंह को भारत रत्न देने की घोषणा की थी। जयंत चौधरी ने कहा- दादा को भारत रत्न मिलने से हम सभी खुश हैं। ये हमारे परिवार के लिए सम्मान की बात है। बीजेपी ने देश के किसानों, नौजवानों और गरीबों का भी सम्मानित किया है।

जयंत ने 9 फरवरी को ही I.N.D.I.A का साथ छोड़ NDA में जाने के संकेत दे दिए थे। उन्होंने कहा था- मैं किस मुंह से इनकार करूं। मोदी जी ने दिल जीत लिया। क्या अब कोई कसर बाकी है? ये बहुत बड़ा दिन है। मेरे लिए भावुक और यादगार पल है।

पश्चिमी UP में जयंत चौधरी की राजनीतिक हैसियत क्या है?
जयंत चौधरी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बड़े नेताओं में से एक हैं। 1970 के दशक से ही जयंत की पार्टी को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाटों का समर्थन मिलता आ रहा है। UP में रहने वाले 99% जाट पश्चिमी UP के 27 लोकसभा क्षेत्रों में रहते हैं।

जयंत चौधरी के दादा और पूर्व PM चौधरी चरण सिंह अपने समय के सबसे बड़े जाट नेता थे। 1969 में हुए विधानसभा चुनाव में चरण सिंह के भारतीय क्रांति दल BKD ने 402 में से 98 सीटें जीती थीं। इस दौरान पार्टी का वोट शेयर 21.29% था।

इस दौरान उन्हें पश्चिमी UP की जाट, मुस्लिम समेत सभी जातियों का भरपूर साथ मिला। यह इस बात से भी जाहिर होता है कि 1987 में उनके निधन के बाद तक के चुनावों में उनकी पार्टी का वोट शेयर 20% के करीब बना हुआ था। 1999 में चौधरी अजित सिंह ने दोबारा से राष्ट्रीय लोकदल यानी RLD के नाम से अपनी पार्टी लॉन्च की।

पिता के बाद अजीत सिंह अपने पिता चौधरी चरण सिंह के पारंपरिक वोटों को नहीं संभाल पाए और वे सिर्फ जाटों और मुस्लिमों के नेता बनकर रह गए। रही सही कसर 2013 के मुजफ्फरनगर दंगे ने पूरी कर दी। इसके चलते अजीत सिंह की रालोद (RLD) को काफी नुकसान हुआ। RLD से जाट वोट बैंक छिटक गया। हालांकि, किसान आंदोलन के समय अजित सिंह और उनके बेटे जयंत ने किसानों का समर्थन किया।

किसान आंदोलन की अगुआई जाट और मुस्लिम दोनों मिलकर कर रहे थे। एक बार फिर जाट के साथ मुस्लिमों ने जयंत पर भरोसा किया। परिणाम यह हुआ कि 2017 विधानसभा चुनाव में RLD ने एक सीट पर जीत हासिल की थी, जो 2022 में बढ़कर 8 हो गईं।