रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को उस रिपोर्ट को नकार दिया, जिसमें दावा किया गया था कि देश में खोले जा रहे नए सैनिक स्कूलों को चलाने की जिम्मेदारी उन लोगों को दी जा रही है जो भाजपा-RSS से जुड़े हैं।
ऑनलाइन मीडिया प्लेटफॉर्म ‘द रिपोर्ट्स कलेक्टिव’ ने एक रिपोर्ट में कहा था कि सरकार ने 62% नए सैनिक स्कूलों की जिम्मेदारी संघ परिवार और भाजपा नेताओं से जुड़े लोगों को दी है।
रक्षा मंत्रालय ने कहा, ‘सैनिक स्कूलों को लेकर प्रेस में कुछ आर्टिकल छपे हैं। ये दावे बेबुनियाद हैं। हमें 500 से ज्यादा एप्लिकेशन मिली थीं, जिसमें से अब तक हमने 45 स्कूलों के आवेदन को मंजूरी दी है।’
स्कूलों की योजना बहुत सोच-समझकर बनाई गई
मंत्रालय ने कहा, “नए सैनिक स्कूलों की योजना बहुत सोच-समझकर बनाई गई है। इसकी सिलेक्शन प्रोसेस बहुत सख्त है। इसका उद्देश्य पूरा हो सके, साथ ही योग्य छात्रों को जरूरी आर्थिक मदद मिल सके इसके लिए इसे संतुलित रखा गया। इसकी लगातार जांच होती है। आवेदक का राजनीतिक झुकाव या उसकी विचारधारा या किसी और चीज से सिलेक्शन प्रोसेस पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। इस प्रक्रिया का राजनीतिकरण करना या इस स्कीम के उद्देश्य को लेकर भ्रांति फैलाना गलत है।”
पहले फेज में देश में खोले जाएंगे 100 सैनिक स्कूल
पहले फेज में सरकार ने देशभर में 100 सैनिक स्कूल खोलने की स्कीम लागू की थी। इसके तहत कई NGO, राज्य सरकारों और शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रहे प्राइवेट सेक्टर से पार्टनरशिप की गई थी। मंत्रालय ने बताया कि हमें 500 से ज्यादा एप्लिकेशन मिली थीं, जिसमें से अब तक हमने 45 स्कूलों के आवेदन को मंजूरी दी है। इसमें मौजूद स्कूल और प्रस्तावित स्कूल शामिल हैं।
सालाना इंस्पेक्शन के बाद अस्थायी अप्रूवल को आगे बढ़ाया जाता है
इन स्कूलों के लिए अप्रूवल भी अस्थायी तौर पर दिया जाता है। स्कूल इंस्पेक्शन कमेटी की तरफ से सालाना इंस्पेक्शन के आधार पर इस अप्रूवल को आगे बढ़ाया जाता है। यानी इस स्कीम में किसी संस्था या व्यक्ति को स्कूल चलाते रहने की अनुमति मिलेगी या नहीं, ये तय मानकों को पूरा करने के बाद ही होगा।
ऐसी होती है सिलेक्शन प्रोसेस
अक्टूबर 2021 में केंद्र सरकार में केंद्र सरकार ने रक्षा मंत्रालय के तहत सरकारी और प्राइवेट सेक्टर के 100 स्कूलों को सैनिक स्कूलों से एफिलिएट करने को मंजूरी दी थी। स्कूलों को चुनने की प्रक्रिया के बारे में रक्षा मंत्रालय ने बताया कि एक स्कूल इवैलुएशन कमेटी बनाई गई थी। इसमें आसपास के सैनिक स्कूल या नवोदय स्कूल के प्रिंसिपल को शामिल किया गया था और डिस्ट्रिक्ट मैजिस्ट्रेट को चेयरपर्सन बनाया गया था।
मानकों के मुताबिक आवेदक स्कूल का दौरा किया गया और उसका वेरिफिकेशन किया गया। एक अप्रूवल कमेटी जिसमें सैनिक स्कूल सोसायटी का जॉइंट सेक्रेटरी अध्यक्ष पद पर रहता है, CBSE का सचिव और एक प्रख्यात शिक्षाविद् सदस्य के तौर पर शामिल होते हैं। वे ही अंतिम सिफारिशें देते हैं।