21 रिटायर्ड जजों ने CJI को लिखी चिट्‌ठी:कहा- कुछ लोग अपने फायदे के लिए ज्यूडीशियरी पर दबाव बना रहे, न्यायपालिका को इससे बचाएं

सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट्स के 21 रिटायर्ड जजों ने CJI डीवाई चंद्रचूड़ को चिट्‌ठी लिखी है। जिसमें उन्होंने बताया है कि कुछ लोग सोचे-समझे ढंग से दबाव बनाकर, गलत सूचनाएं और सार्वजनिक रूप से अपमानित करके न्यायपालिका को कमजोर करने की कोशिशें कर रहे हैं। ये लोग ओछे राजनीतिक हित और व्यक्तिगत लाभ के लिए न्यायिक प्रणाली में जनता के विश्वास को कम कर रहे हैं।

चिट्‌ठी लिखने वाले 21 जजों में से 4 सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज हैं। जबकि बाकी 17 राज्यों के हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस या अन्य जज हैं। 14 अप्रैल को CJI को भेजे गए ओपन लेटर में जजों ने उन घटनाओं के बारे में नहीं बताया है, जिसके कारण उन्हें इसे लिखना पड़ा।

जजों ने लिखा- हम कानून के संरक्षक, हमारी ही ईमानदारी पर सवाल उठ रहे
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस (रिटायर) दीपक वर्मा, कृष्ण मुरारी, दिनेश माहेश्वरी और एमआर शाह समेत रिटायर्ड जजों ने आरोप लगाया है कि आलोचक अदालतों और जजों की ईमानदारी पर सवाल उठाने के साथ न्यायिक प्रक्रियाओं को प्रभावित करने के लिए कपटपूर्ण तरीके अपना रहे हैं।

जजों ने कहा- “इस तरह की कार्रवाइयां न केवल हमारी न्यायपालिका की पवित्रता का अपमान करती हैं, बल्कि न्याय और निष्पक्षता के सिद्धांतों के लिए सीधी चुनौती भी पेश करती हैं, जिन्हें बनाए रखने के लिए कानून के संरक्षक के रूप में न्यायाधीशों ने शपथ ली है।”

जज ने लिखा- हमें चिंता जनता को भरोसा न उठे
लेटर में जजों ने ज्यूडीशियरी से जनता का भरोसा उठने की आशंका जताई है। उन्होंने लिखा- हम विशेष रूप से गलत जानकारी से न्यायपालिका के खिलाफ जनता की भावनाओं को भड़काने वाली रणनीति को लेकर चिंतित हैं, जो न केवल अनैतिक है, बल्कि हमारे लोकतंत्र के मूलभूत सिद्धांतों के लिए नुकसानदायक भी है। किसी के विचारों से मेल खाने वाले अदालती फैसलों की चुनिंदा तौर पर प्रशंसा और जो विचारों से मेल नहीं खाते, उनकी तीखी आलोचना करने की प्रथा ज्यूडिशियल रिव्यू और कानून को कमजोर करती है।

26 मार्च को 600 वकीलों ने भी लिखी थी CJI को चिट्‌ठी
CJI चंद्रचूड़ को चिट्ठी लिखने वाले 600 से ज्यादा वकीलों ने लिखा था कि एक विशेष समूह न्यायपालिका पर दबाव डालने की कोशिश कर रहा है। यह ग्रुप न्यायिक व्यवस्था को प्रभावित कर रहा है और अपने घिसे-पिटे राजनीतिक एजेंडे के तहत उथले आरोप लगाकर अदालतों को बदनाम करने की कोशिश कर रहा है।