मालदीव के रक्षा मंत्री घासन मौमून ने स्वीकार किया है कि मालदीव की सेना भारत से मिले विमानों को ऑपरेट करने में सक्षम नहीं है। रक्षा मंत्री मौमून ने राष्ट्रपति कार्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में यह जानकारी दी। रक्षा मंत्री मौमून ने कहा कि मालदीव नेशनल डिफेंस फोर्स (MNDF) के पास ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं है जो भारत से मिले 2 हेलिकॉप्टर और 1 डोर्नियर एयरक्रॉफ्ट उड़ा सके।
इस बीच, राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जु की भारतीय सैनिकों को देश से निकालने वाली डेडलाइन से पहले ही भारत अपने सभी सैनिकों को वापस बुला चुका है। अब विमानों को ऑपरेट करने वाले सैनिकों की जगह सिविलियन भारतीयों ने ली है।
‘ट्रेनिंग पूरी नहीं कर पाए मालदीव सैनिक’
घासन मौमून ने भारतीय सैनिकों के मालदीव छोड़ने वाले सवाल का जवाब देते हुए कहा, “भारतीय विमानों को चलाने में सक्षम पायलट मालदीव की सेना के पास नहीं है। कुछ सैनिकों ने पिछले समझौतों के तहत उन्हें उड़ाने की ट्रेनिंग शुरू कर दी थी, लेकिन वे ट्रेनिंग के अलग- अलग चरणों को पार नहीं कर सके और ट्रेनिंग पूरी नहीं कर पाए। इसलिए, इस समय हमारी सेना में कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं है जिसके पास दो हेलिकॉप्टर और डोर्नियर को उड़ाने के लिए लाइसेंस हो या वो पूरी तरह से ऑपरेट कर सके।”
वही, घासन के बयान के उलट जब मुइज्जु विपक्ष में थे, तो वे भारतीय सैनिकों को लेकर पिछली सरकार की आलोचना करते थे। मुइज्जू और उनकी पार्टी का दावा था कि मालदीव की सेना के पास ट्रेन्ड पायलट हैं, फिर भी सरकार भारतीय सैनिकों को मालदीव में बुला रही है।
ट्रेनिंग देने के लिए आए थे भारतीय सैनिक
दरसअल, भारतीय सैनिक पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद, अब्दुल्ला यामीन और इब्राहिम मोहम्मद सोलिह के कार्यकाल में मालदीव गए थे। इन सैनिकों का काम मालदीव की सेना को ट्रेनिंग देना था। हालांकि, मालदीव के सैनिक ट्रेनिंग पूरी नहीं कर पाएं। इसी के चलते अब समझौते के तहत भारत के सिविलियन्स अब मालदीव के पायलट्स को ट्रेनिंग भी देंगे।
मालदीव में क्या कर रहे थे भारतीय सैनिक
मालदीव में करीब 88 भारतीय सैनिक थे। ये दो हेलिकॉप्टर और एक एयरक्राफ्ट का ऑपरेशन संभालते थे। आमतौर पर इनका इस्तेमाल रेस्क्यू या सरकारी कामों में किया जाता है। मालदीव में इंडियन हेलिकॉप्टर और एयरक्राफ्ट मानवीय सहायता और मेडिकल इमरजेंसी में वहां के लोगों की मदद करते रहें थे। अब इनके ऑपरेशन को संभालने के लिए नागरिकों के टेक्निकल स्टाफ को भेजा गया है।
भारत ने मालदीव को 2010 और 2013 में दो हेलिकॉप्टर और 2020 में एक छोटा विमान तोहफे के तौर पर दिया था। इस पर मालदीव में काफी हंगामा हुआ। मुइज्जू के नेतृत्व में विपक्ष ने तत्कालीन राष्ट्रपति सोलिह पर ‘इंडिया फर्स्ट’ नीति अपनाने का आरोप लगाया था।
मुइज्जु का चुनावी कैंपेन था इंडिया आउट कैंपेन
पिछले साल मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने अपने चुनावी कैंपेन में भारतीय सैनिकों को देश से निकालने का मुद्दा बनाया था। उन्होंने इसे इंडिया आउट कैंपेन नाम दिया था। चुनावों में जीत के बाद मालदीव ने देश छोड़ने के लिए भारतीय सैनिकों के सामने 10 मई की डेडलाइन रखी थी। हालांकि, इससे पहले ही भारतीय सैनिक मालदीव से लौट गए।