कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) के जमीन घोटाले मामले में केस चलेगा। राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने 3 याचिकाओं के आधार पर उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दी है।
इससे पहले 26 जुलाई को एडवोकेट एक्टिविस्ट टी जे अब्राहम की याचिका पर राज्यपाल थावरचंद ने कारण बताओ नोटिस जारी किया था, जिसमें 7 दिन के भीतर मुख्यमंत्री से जवाब मांगा था कि उनके खिलाफ मुकदमा क्यों नहीं चलाया जाना चाहिए।
कर्नाटक सरकार ने 1 अगस्त को राज्यपाल को मुख्यमंत्री को कारण बताओ नोटिस वापस लेने की सलाह दी थी और राज्यपाल कार्यालय की शक्तियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया था।
MUDA घोटाले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और नौ अन्य के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई है। आरोप है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, उनकी पत्नी और रिश्तेदारों ने MUDA अधिकारियों के साथ मिलकर 50:50 साइट वितरण योजना के तहत महंगी साइट्स को धोखाधड़ी से हासिल करने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार किए हैं।
क्या है 50:50 अनुपात भूमि आवंटन योजना
ये योजना कर्नाटक में पिछली भाजपा और वर्तमान कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान लागू की गई थी। भूमि आवंटन में विवाद इस कारण सुर्खियों में है क्योंकि कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया की पत्नी 2021 में MUDA की इस स्कीम में एक लाभार्थी थीं।
दरअसल इस स्कीम के तहत, मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) किसी भूमि पर आवासीय लेआउट विकसित करने के लिए भूमि अधिग्रहण कर सकेगी। अधिग्रहण के बदले लैंड ओनर्स को 50% जमीन किसी विकसित लोकेशन पर दिया जाएगा। लेकिन इस स्कीम पर बढ़ते विवाद के चलते 2023 में शहरी विकास मंत्री बैराठी सुरेश ने वापस ले लिया था।
कब और क्या आरोप लगे?
केंद्र में भाजपा की सहयोगी जनता दल सेक्युलर के नेता और केंद्रीय मंत्री कुमारस्वामी ने दावा किया है कि मैसूर में वैकल्पिक भूमि आवंटन योजना को लेकर विवाद कांग्रेस पार्टी में सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार के बीच सीएम पद के लिए खींचतान का परिणाम है।
भूमि आवंटन घोटाले का खुलासा एक RTI एक्टिविस्ट ने करते हुए कहा कि, पिछले चार वर्षों में 50:50 योजना के रूप में जानी जाने वाली योजना के तहत 6,000 से अधिक साइटें आवंटित की गई हैं।
इस योजना के तहत, जिन लैंड ओनर्स की भूमि MUDA द्वारा अधिग्रहित की गई है, उन्हें मुआवजे के रूप में अधिक मूल्य की वैकल्पिक साइटें आवंटित की गई हैं। ऐसे आरोप हैं कि मैसूर में जिन लोगों की जमीन नहीं गई, उन्हें भी इस योजना के तहत अधिक मूल्य की वैकल्पिक साइटें दी गईं।
घोटाले की जांच की मांग की गई
5 जुलाई को एक्टिविस्ट कुरुबरा शांथकुमार ने गवर्नर को चिट्ठी लिखते हुए कहा कि- मैसूर के डिप्टी कमिश्नर ने MUDA को 8 फरवरी 2023 से 9 नवंबर 2023 के बीच 17 पत्र लिखे हैं और 27 नवंबर को शहरी विकास प्राधिकरण, कर्नाटक सरकार को 50:50 अनुपात घोटाले और MUDA कमिश्नर के खिलाफ जांच के लिए लिखा था। इसके बावजूद, MUDA के कमिश्नर ने कानून के डर के बिना हजारों साइटों को आवंटित किया। ऐसे में अब इस कथित घोटाले को लेकर भाजपा मौजूदा कर्नाटक सरकार पर हमलावर है।