उत्तर प्रदेश में मानसून सक्रिय है। कुछ क्षेत्रों में हल्की तो कुछ इलाकों में भारी बारिश का दौर जारी है। 19 अगस्त तक 53 जिलों में सामान्य से कम बारिश दर्ज की गई है। वहीं 22 जिलों में सामान्य और सामान्य से अधिक बारिश हुई है। मौसम विभाग ने 23 अगस्त तक का पूर्वानुमान जारी किया है। प्रदेश के ज्यादातर जिलों में तेज बारिश की संभावना है। अभी तक हुई बारिश की बात की जाए तो पूरे प्रदेश में सामान्य से 10% कम बारिश हुई है।
3-4 दिन में कमजोर हो जाएगा मानसून
BHU के मौसम वैज्ञानिक मनोज श्रीवास्तव ने बताया- प्रदेश में अब तक 460.3 MM बारिश हुई है। जो कि औसत से सिर्फ 10% कम है। आगे 2 से 3 दिन अच्छी बारिश के संकेत हैं। इसके बाद मानसून कमजोर पड़ सकता है।
मानसून ट्रफ लाइन खिसककर फिर से मध्य प्रदेश की ओर से गुजर रही है, इसलिए बारिश अब यूपी के दक्षिण में हो रही है। इस हफ्ते के बाद बारिश में कमी आएगी।
पूर्वी उत्तर प्रदेश के 42 जिलों में से 36 में औसत से कम बारिश
मौसम विभाग के मुताबिक पूर्वी यूपी के 42 जिलों में से 36 जिलों में अब तक औसत से 12 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई है। इन जिलों में सबसे कम बारिश फतेहपुर में हुई। यहां औसत से 61 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई है। कम बारिश वाले जिलों में कानपुर देहात, कानपुर शहर, लखनऊ, प्रयागराज, गोरखपुर, जौनपुर सहित अन्य जिले हैं।
कानपुर देहात में जहां औसत से 43 फीसदी कम बारिश हुई है, वहीं कानपुर शहर में औसत से 36 फीसदी कम, लखनऊ में औसत से 9 फीसदी कम, प्रयागराज में 23 फीसदी कम और गोरखपुर में 7 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक बारिश बलरामपुर जिले में हुई है। यहां अब तक औसत से 65 फीसदी ज्यादा बारिश हो चुकी है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 33 में से 22 जिलों में औसत से कम बारिश
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुल 33 जिलों में से 22 जिलों में अब तक औसत से कम बारिश हुई है। इसमें भी सबसे कम बारिश शामली में दर्ज की गई है। यहां अब तक औसत से 80 फीसदी कम बारिश हुई है। इस क्षेत्र में सबसे अधिक बारिश वाला जिला है औरैया। यहां अब तक औसत से 98 फीसदी अधिक बारिश हुई है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कम बारिश वाले जिलों में गौतमबुद्ध नगर, अमरोहा, हापुड़, अलीगढ़ सहित कई जिले हैं।
75 में से 53 जिलों में औसत से कम बारिश
मानसून सीजन का दो महीने से अधिक समय बीत चुका है। अब तक हुई बारिश के आंकड़ों को देखें तो यूपी के 75 में से 53 जिलों में बारिश का औसत माइनस में है। इसमें भी सबसे कम बारिश शामली जिले में हुई है।
यहां 365 मिलीमीटर बरसात होनी चाहिए थी, लेकिन 19 अगस्त तक सिर्फ 78.5 मिलीमीटर बारिश हुई है। उत्तर प्रदेश में अब तक औसत 513 मिलीमीटर बरसात होनी चाहिए, लेकिन 460 मिलीमीटर बारिश हुई है। मौसम वैज्ञानिकों की माने तो अगर एक बार फिर टर्फ में शिफ्टिंग होती है तो कमी की भरपाई हो सकती है।
यूपी में बदलता मानसून का पैटर्न; 5 साल में 2022 में सबसे कम बारिश
IMD के आंकड़े बताते हैं- 2001 से यूपी में सामान्य मानसून की बारिश नहीं हो रही। साल दर साल इसमें कमी आ रही। यूपी में सामान्य बारिश तब मानी जाती है, जब यह 823 से 860 मिलीमीटर के बीच हो।
5 साल के आंकड़ों को देखने पर साफ हो जाता है कि कैसे प्रदेश में मानसून की बारिश में कमी आई। इस कमी का सीधा असर यहां के ग्राउंड वाटर लेवल पर पड़ा है। इन 5 साल में सबसे कम बारिश 2022 में हुई। यह नॉर्मल से करीब 36% तक कम थी।
IMD के मुताबिक, 2019 में जून से सितंबर के बीच प्रदेश के ज्यादातर जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई थी। अलीगढ़, हापुड़, इटावा, बागपत, संभल, अमरोहा, बदांयू जैसे जिलों में 60 से 80 फीसदी तक कम बारिश हुई थी।
प्रदेश में अब तक 35 जिले बाढ़ से प्रभावित, 17 की मौत
उत्तर प्रदेश में अब तक 35 जिले बाढ़ से प्रभावित हो चुके हैं। 16 अगस्त को शासन की ओर से जारी सूची में 13 जिले बाढ़ से प्रभावित हैं। प्रदेश में बाढ़ की चपेट में आने से अब तक17 लोगों की मौत हो चुकी है। 2434 मकान क्षतिग्रस्त हो चुके हैं।
बाढ़ प्रभावित कई इलाकों से ऐसी तस्वीरें भी आईं जहां लोग अपने घरों के खिड़की और दरवाजें निकाल कर ले गए है। प्रदेश में गंगा, घाघरा, शारदा, गण्डक, और कुआनों नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। गंगा नदी में बढ़ रहे जलस्तर से फर्रुखाबाद, वाराणसी, कानपुर, हापुड़ और बिजनौर जिले प्रभावित हैं।
वाराणसी में अब तक कुल 40 घाट गंगा नदी में समा चुके हैं। इसी तरह घाघरा नदी में बाढ़ की वजह से गोंडा, आजमगढ़, बलिया, बस्ती और सीतापुर जिले में लोग प्रभावित हुए हैं। शारदा नदी में बढ़े पानी की वजह से लखीमपुर खीरी में हालत सबसे ज्यादा खराब है। यहां करीब 250 गावों में पानी भर गया है।