गर्दन तक पानी में लोग ढूंढ रहे घर का सामान:बांध टूटा, 10 हजार लोग प्रभावित, बोले-चूड़ा खाकर रह रहे, राहत कैंप में होती मुर्गा पार्टी

भागलपुर के नवगछिया में 10 किलोमीटर लंबे बांध का 200 फीट हिस्सा गंगा नदी की तेज बहाव में बह गया। इससे 6 गांवों के करीब 2 हजार परिवार और 10 हजार लोग प्रभावित हैं।

स्थिति यह है कि 10 हजार लोग भूखे-प्यासे पानी के बीच दिन-रात गुजारने को मजबूर हैं। मंगलवार को 200 फीट का हिस्सा बहने के बाद बुधवार को जिला प्रशासन की टीम पहुंची। बांध को रिपेयर करने का काम शुरू है।

गुरुवार को भास्कर रिपोर्टर भी बांध के कटाव से प्रभावित लोगों का जायजा लेने पहुंचा। कई परिवारों से बात की। सबकी अपनी कहानी है।.

राखी बांधने गई बहन, लौटी तो पानी में डूबा घर देखा

भास्कर की टीम ग्राउंड पर पहुंची तो हमें नीतू देवी मिलीं। वो कहती हैं कि ‘सोमवार को भाई को राखी बांधने सियामापुर गांव गई थी। मंगलवार को सूचना मिली कि बांध टूट गया है। घर में पानी घुस गया है। भागी-भागी लौटी तो फूस का घर बह गया था।

2 दिन से चूड़ा-दालमोट, चूड़ा-चीनी खाकर गुजारा कर रहे हैं। हमारे 2 बच्चे हैं। हमारे पास अब खाने के लिए कुछ नहीं है।

नेता लोगों को जब जरूरत होती है, तब वोट मांगने आते हैं। अभी कोई नहीं आएगा। हम लोगों को सरकार की ओर से खाने के लिए कुछ मिलना चाहिए।’

गंगा मां की महिमा है, जब-जहां चाहेगी, जमीन काट देगी

दीप नारायण यादव कहते हैं कि ‘आधे घंटे में सब कुछ खत्म हो गया। पानी बढ़ने पर बांध में धीरे-धीरे कटना शुरू हुआ और फिर 200 फीट टूट गया। बांध टूटने की वजह से हमारे घर में 4 फीट पानी है।

उन्होंने विभागीय लापरवाही बताते हुए कहा कि विभाग सचेत रहती तो बांध नहीं टूटता। गंगा की महिमा है। जब चाहेगी, जहां चाहेगी, वहां काट देगी।

हमारे 3 बेटे हैं। पहले सब साथ में रहते थे। बाढ़ की वजह से सब लोग इधर-उधर रह रहे हैं। स्थिति यह है कि ना खाने का कोई सामान है और ना बनाने का कोई उपाय।’

आगे बढ़ने से पहले बता दें कि 2008 में विस्थापित हुए वो लोग हैं, जिन्हें सरकार ने बांध के आसपास की जमीन का पर्चा दिया था। इनकी संख्या कुल विस्थापितों की 20% है।

हालांकि यह लोग सरकार की दी गई जमीन पर इसलिए नहीं बसे, क्योंकि वो घर बनाने लायक नहीं थी। सभी ने बांध पर ही फूस के घर बनाकर रहना शुरू कर दिया। अब एक बार फिर इनके घर बांध के कटाव की वजह से बह गए हैं।

2008 में इस बांध को बनवाने में सरकार ने 44 करोड़ रुपए खर्च किए थे। पिछले साल ही 2 करोड़ रुपए से कटावरोधी कार्य हुआ था। इस साल भी 15 करोड़ के फंड से काम चल ही रहा था कि बांध टूट गया।

प्रशासन की ओर से राहत कैंप भी लगाया गया है। लेकिन राहत कैंप में अधिकारियों का उठना-बैठना है। जल संसाधन विभाग के कर्मियों के लिए यहां खाना बन रहा है।

राहत कैंप बना, वहां हो रही मुर्गा पार्टी

बांध पर ही रह रही सरोजिनी देवी कहती हैं कि ‘सरकार को हमें जो सुविधाएं देनी चाहिए, कुछ नहीं मिल रहा। हमारे बच्चे 3 दिन से भूखे हैं। इस बार जो लोग वोट मांगने आएंगे तो उन्हें झाड़ू से मारेंगे।

आगे बताती हैं कि यहां पर जिला प्रशासन ने राहत कैंप खोला है। लेकिन उसमें पुलिस और टीम के लोग मुर्गा पार्टी करते हैं।’

अब उनकी बात जो गर्दन भर पानी में खोज रहे घर के सामान

इसी बांध के पास बादल कुमार मिले। वो गर्दन भर पानी में घुस कर अपने डूबे हुए घर के सामान तलाशने की कोशिश कर रहे हैं।

कहते हैं कि ‘घर में 10-12 लोग हैं। सभी मजदूरी करते हैं। अब स्थिति बहुत खराब है। घर पानी में बह गया है। अब जो कुछ बचा हुआ है, उसे खोजने की कोशिश कर रहे हैं।

कुछ लोगों के लिए लाखों लोगों को परेशानी में नहीं डाल सकते

जिलाधिकारी नवल किशोर चौधरी ने कहा कि ‘बांध पर जो लोग रह रहे हैं उन्हें पहले से जमीन मुहैया कराई गई है। लोगों ने जबरन बांध को अतिक्रमित कर रखा है। हम कुछ लोगों के लिए लाखों लोगों को परेशानी में नहीं डाल सकते हैं। जहां कट हुआ है, लगातार रीस्टोरेशन का कार्य चल रहा है।

ईस्माइलपुर प्रखंड के बिंद टोली अवस्थित तटबंध के स्पर संख्या- 7 और 8 के बीच बुद्धू चक के विस्थापित ग्रामीणों के लिए 20 अगस्त से ही बचाव कार्य व बाढ़ राहत शिविर लगाया गया है। एसडीआरएफ बेगूसराय सहित कई टीम लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने में लगी है।

वहीं, पूर्व मंत्री अश्विनी चौबे ने कहा कि हादसा कैसे हुआ। इसकी जांच होनी चाइए।’