विधान परिषद की शिक्षक एवं स्नातक क्षेत्र की 11 सीटों के लिए भाजपा ने जोर-शोर से तैयारी शुरू कर दी है। पार्टी में 6 सीटों पर मौजूदा सदस्यों को ही फिर से मौका देने की सहमति बन गई है। उनको चुनावी तैयारी करने के संकेत भी दे दिए हैं। वहीं, 5 सीटों पर पार्टी प्रत्याशी ढूंढने के लिए मशक्कत हो रही है।
विधान परिषद में भाजपा के 79 और सपा के 10 सदस्य हैं। भाजपा की सहयोगी अपना दल (एस), रालोद, निषाद पार्टी और सुभासपा के 1-1 सदस्य हैं। जनसत्ता दल लोकतांत्रिक से 1, शिक्षक दल (गैर राजनीतिक) से 1, निर्दलीय समूह से 2 और 2 निर्दलीय सदस्य हैं। 1 पद खाली है।
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले दिसंबर- 2026 में विधान परिषद की शिक्षक स्नातक क्षेत्र की 11 सीटों पर चुनाव होगा। इनमें से अभी 6 सीटें भाजपा के पास हैं, जबकि 3 सीटों पर सपा का कब्जा है। 1 सीट पर शिक्षक दल (गैर राजनीतिक) और 1 पर निर्दलीय काबिज है।
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि विधानसभा चुनाव से ठीक पहले विधान परिषद चुनाव होना है। इसमें शिक्षक और स्नातक वर्ग के मतदाता मतदान करेंगे। यही मतदाता हैं, जो सोच-समझकर और मौके की नजाकत को देखते हुए मतदान करते हैं। लिहाजा, इन चुनाव के परिणाम बताएंगे कि 2027 विधानसभा चुनाव में हवा का रुख किस ओर है? ऐसे में भाजपा ने मौजूदा 6 सीटों पर कब्जा बरकरार रखने के साथ सपा के कब्जे वाली 3 सीटों पर भी कब्जा जमाने के लिए रणनीति बनाई है।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, केंद्र से हरी झंडी मिलने के बाद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी और महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह ने मौजूदा 6 सदस्यों को चुनावी तैयारी करने की हरी झंडी दे दी है। इसके बाद सदस्य भी चुनावी तैयारी में जुट गए हैं।
सपा ने 3 सदस्यों को फिर मौका दिया
विधान परिषद चुनाव में सपा ने अब तक 10 प्रत्याशी घोषित किए हैं। मिर्जापुर-वाराणसी शिक्षक खंड में सपा ने मौजूदा सदस्य लाल बिहारी यादव को फिर मौका दिया है। इलाहाबाद-झांसी स्नातक खंड में मान सिंह यादव और वाराणसी-मिर्जापुर स्नातक खंड में भी मौजूदा सदस्य आशुतोष सिन्हा को फिर से टिकट दिया है।
वहीं, गोरखपुर-फैजाबाद शिक्षक खंड में कमलेश और लखनऊ स्नातक खंड में कांति सिंह को प्रत्याशी बनाया है। मेरठ-सहारनपुर स्नातक सीट पर प्रमेंद्र भाटी और आगरा-अलीगढ़ खंड से डॉ. प्रकाश चंद्र गुप्ता को प्रत्याशी बनाया है। बरेली-मुरादाबाद खंड से हाजी मोहम्मद दानिश अख्तर और आगरा खंड से शशांक यादव को मैदान में उतारा है। मेरठ-गाजियाबाद खंड से नितिन कुमार तोमर को टिकट दिया है।
बसपा ने नहीं खोले पत्ते, कांग्रेस ने 5 नाम घोषित किए
विधान परिषद चुनाव को लेकर बसपा ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। आमतौर पर बसपा इन चुनावों में प्रत्याशी नहीं लड़ाती। माना जा रहा है कि अगर चुनाव के दौरान किसी सीट विशेष पर राजनीतिक समीकरण के लिहाज से जरूरत हुई, तो बसपा प्रत्याशी खड़ा कर सकती है।
वहीं, कांग्रेस ने 5 प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। कांग्रेस ने अरविंद सिंह पटेल (वाराणसी), रघुराज सिंह पाल (आगरा), डॉ. देवमणि तिवारी (लखनऊ), विक्रांत वशिष्ठ (मेरठ-सहारनपुर), संजय राय प्रियदर्शी (वाराणसी शिक्षक MLC) को टिकट दिया है।
इंजीनियर अवनीश सिंह पटेल- लखनऊ स्नातक खंड से भाजपा ने इंजीनियर अवनीश सिंह पटेल को ही फिर से प्रत्याशी बनाने के संकेत दिए हैं। अवनीश ने नए सदस्य बनाने की तैयारी भी शुरू कर दी है। अवनीश जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह के करीबी हैं। कुर्मी समाज में मजबूत पकड़ रखते हैं। पार्टी उनके जरिए कुर्मी समाज ने नई लीडरशिप खड़ी कर रही है।
डॉ. मानवेंद्र प्रताप सिंह गुरुजी- आगरा स्नातक क्षेत्र से एमएलसी डॉ. मानवेंद्र प्रताप सिंह गुरुजी ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। वह भाजपा के ब्रज क्षेत्र में क्षेत्रीय उपाध्यक्ष भी रहे हैं। 2020 में वह पहली बार विधान परिषद सदस्य निर्वाचित हुए। वर्तमान में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय अल्पसंख्यक शिक्षा के लिए नेशनल मॉनिटरिंग कमेटी के सदस्य भी हैं।
दिनेश कुमार गोयल- मेरठ स्नातक खंड के परिषद सदस्य गाजियाबाद के रहने वाले हैं। पश्चिमी यूपी में इनके कई बड़े शिक्षण संस्थान हैं। वैश्य समाज में मजबूत पकड़ होने के साथ वित्त विहीन शिक्षकों के भी नेता हैं। पार्टी ने उन्हें 2019 में पहली बार मौका दिया था। वह कसौटी पर खरे उतरे।
हरि सिंह ढिल्लो- बरेली-मुरादाबाद शिक्षक वर्ग से परिषद सदस्य हरी सिंह ढिल्लो भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी के समधी हैं। बरेली-मुरादाबाद में सिख और जाट सिख समुदाय में अच्छी पकड़ रखने के साथ वित्त विहीन शिक्षकों के भी बड़े नेता हैं।
उमेश कुमार द्विवेदी- लखनऊ शिक्षक क्षेत्र से परिषद सदस्य उमेश कुमार द्विवेदी को भी भाजपा फिर से मौका देगी। उमेश कुमार वित्त विहीन शिक्षक वर्ग में मजबूत पकड़ रखते हैं। उनके लिए आंदोलन भी करते रहे हैं। वहीं, ब्राह्मण समाज के पक्ष में भी आवाज उठाते रहे हैं। लखनऊ शिक्षक खंड में उनकी मजबूत पकड़ है।
श्रीचंद शर्मा- मेरठ शिक्षक खंड के परिषद सदस्य श्रीचंद शर्मा ने 2019 में पहली बार चुनाव लड़कर लगातार 10 बार से परिषद सदस्य रहे। उन्होंने ओमप्रकाश शर्मा को चुनाव हराया था। श्रीचंद भी कई शिक्षण संस्थानों के प्रबंधक हैं। ब्राह्मण समाज में अच्छी पकड़ रखने के साथ वित्त विहीन शिक्षकों के भी नेता हैं।
ध्रुव कुमार त्रिपाठी के सामने मजबूत प्रत्याशी की तलाश- गोरखपुर-फैजाबाद शिक्षक खंड से परिषद सदस्य ध्रुव कुमार त्रिपाठी को सीएम योगी आदित्यनाथ का करीबी माना जाता है। 2019 में गोरक्ष पीठ के शिक्षण संस्थानों से जुड़े शिक्षकों ने ध्रुव कुमार त्रिपाठी के पक्ष में ही मतदान किया था। विराट चंद्र कौशिक ने भी दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री होते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ा था। भाजपा ने इस सीट पर प्रत्याशी घोषित नहीं किया था। लेकिन, निर्दलीय प्रत्याशी अजय सिंह को पार्टी का अघोषित समर्थन था।
सदन के अंदर भी ध्रुव कुमार त्रिपाठी समय-समय भाजपा का विरोध करते रहे हैं। ध्रुव कुमार के सामने भाजपा को मजबूत प्रत्याशी की तलाश है। सूत्रों के मुताबिक, पार्टी के वरिष्ठ नेता अजय सिंह को ही त्रिपाठी के सामने मजबूत प्रत्याशी मानते हैं। उनका मानना है कि पिछले चुनाव में भी अगर अजय सिंह को प्रत्याशी घोषित किया जाता, तो परिणाम भाजपा के पक्ष में हो सकते थे। अजय सिंह भी लंबे अर्से तक वित्त विहीन शिक्षकों के नेता रहे हैं।
वाराणसी में भी दावेदारों की तलाश
पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में 2019 में सपा ने बाजी मारी थी। वाराणसी-मिर्जापुर स्नातक खंड में आशुतोष सिन्हा और वाराणसी-मिर्जापुर शिक्षक खंड में लालबिहारी यादव चुनाव जीते थे। भाजपा ने इस बार ये दोनों सीटें जीतकर 2019 का हिसाब बराबर करने की रणनीति बनाई है। लिहाजा, दोनों सीटों पर भाजपा को मजबूत प्रत्याशियों की तलाश है। सूत्रों के मुताबिक, इन दोनों सीटों पर प्रत्याशी पीएम नरेंद्र मोदी की हरी झंडी के बाद ही तय किए जाएंगे।
अमरपाल मौर्य को सौंपी कमान
भाजपा ने विधान परिषद के शिक्षक स्नातक चुनाव की कमान प्रदेश महामंत्री एवं राज्यसभा सदस्य अमरपाल मौर्य को सौंपी है। अमरपाल के साथ प्रदेश महामंत्री संजय राय, प्रदेश उपाध्यक्ष त्रयंबक त्रिपाठी और प्रदेश मंत्री शंकर गिरी को भी टीम में शामिल किया है।