10 साल तक चल नहीं पाई…दौड़ी तो ओलिंपिक मेडल:दोनों पैर जुड़े थे, 10 साल बेड पर सबकुछ, पढ़िए प्रीति के संघर्ष की कहानी

बहन पैदा हुई तो उसके दोनों पैर जुड़े थे। 10 साल बिस्तर पर गुजारे। पैरों पर खड़ा होना शुरू किया तो मन दौड़ने को करता। लेकिन पैर इतने नाजुक की जब दौड़ती तब गिर जाती। आज पेरिस पैरालिंपिक में T-35 रेस में उसने देश को 2 ब्रॉन्ज मेडल दिलाया तो खुशी का ठिकाना न रहा।

ये कहना है पैरा प्लेयर प्रीति पाल की बहन नेहा का। प्रीति ने रविवार को 200 मीटर और शुक्रवार को 100 मीटर रेस में ब्रांज मेडल जीता। 200 मीटर में 30.01 सेकेंड और 100 में 14.21 सेकेंड का समय निकाला। PM नरेंद्र मोदी ने फोन करके प्रीति से बात की।

इस दौरान पीएम ने पूछा- कैसा लग रहा है? जवाब में प्रीति ने कहा- मेरा सपना था कि अपने देश का तिरंगा, दूसरे देश में लहराना है। यह सपना पूरा हो गया। मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि मेरा सपना पूरा हो गया है। पीएम ने पूछा- घर पर बात हुई या नहीं? प्रीति ने कहा- मेरे घर वाले रो रहे हैं। सभी उत्साहित है। मुझे यहां पूरा सपोर्ट मिल रहा है। सभी खुश हैं।

अब पढ़िए प्रीति के संघर्षों की कहानी…

प्रीति पाल उत्तर प्रदेश के मेरठ के कसेरू बक्सर गांव की रहने वाली हैं। मेडल जीतने के बाद प्रीति के घर भीड़ का आना-जाना शुरू हो गया है। जन प्रतिनिधियों भी पहुंच रहे हैं। गांव में उत्साह का माहौल और दिवाली जैसी रौनक है। प्रीति ने रविवार को जब दूसरा मेडल जीता तो लोग खुशी से झूम उठे। कसेरू बक्सर और आस-पास के कई गांवों में भी आतिशबाजी की गई। इस बीच दैनिक भास्कर की टीम भी कसेरू बक्सर गांव पहुंची। प्रीति के घर वालों से बात की।

’10 साल तक कभी उसे चलते नहीं देखा’
प्रीति की बहन नेहा ने बताया- हम लोग मुजफ्फरनगर के रहने वाले हैं। पापा का नाम अनिल कुमार है, वो किसान हैं। कुछ सालों से मेरठ में आकर बस गए। दादा, दादी के अलावा घर में पापा अनिल पाल, मम्मी बालेश, बड़ी बहन नेहा, प्रीति, छोटा भाई अनिकेत, विवेक हैं। प्रीति को छोड़कर तीनों भाई, बहन जॉब करते हैं।

मेरी छोटी बहन प्रीति, वो आम बच्चों से एकदम अलग थी। जब मैंने पहली बार उस नन्हीं बच्ची को गोद में उठाया तो देखा उसके दोनों पैर जुड़े थे। कहूं तो उसके पंजे, घुटने, जांघें दो थी, लेकिन वो एक पैर था। मुझे लगा ये कुछ रोमांचक है, लेकिन समय के साथ पता चला कि मेरी बहन के शरीर में कमी है। वो सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित है। 10 साल तक उसे मैंने कभी पैरों पर चलते नहीं देखा।

‘दोनों पैरों में 10 साल तक प्लास्टर बंधा रहा’
नेहा ने बताया- प्रीति चल नहीं पाती थी। उसका हर तरह का इलाज कराया। डॉक्टरों ने उसके पैरों को अलग किया, उसके दोनों पैरों में 10 साल तक प्लास्टर बंधा रहा। वो पूरी तरह बिस्तर पर थी। बिस्तर से उठ नहीं पाती थी, उसका हर काम बेड पर हम लोग करते।

थोड़े दिन बाद प्लास्टर हटा तो उसने धीरे-धीरे चलना शुरू किया। उसे लोहे के जूते, कैलीपर्स पहनाए गए। फिर भी उसके पैरों में मजबूती नहीं थी। वो चलते-चलते गिर जाती थी। लेकिन उसने कभी हार नहीं मानी।

12 साल की उम्र से दौड़ने लगी
नेहा ने बताया- प्रीति ने अपने पैरों पर खड़ा होना शुरू किया तो अक्सर उसका मन दौड़ने का करता। वो नाजुक पैरों से अक्सर दौड़ती और गिर जाती। उसने अपनी पढ़ाई भी शुरू की और पढ़ाई के साथ खेलों में बढ़ी।

टीवी पर उसने दिव्यांग खिलाड़ियों के वीडियो देखे। तभी उसने ठान लिया कि वो अपनी जिंदगी बेकार नहीं जाने देगी। कुछ नहीं कर सकती लेकिन खिलाड़ी बनेगी। खेलों में उसे दौड़ना पसंद था इसलिए उसने यह चुना।

20 KM ट्रायसाइकिल चलाकर जाती
प्रीति जब स्पोर्ट्स में उतरी तो प्रैक्टिस के लिए कैलाश प्रकाश स्टेडियम जाती, सुबह जाकर रात तक फील्ड से लौटती। कई बार ऑटो नहीं मिलता तो पापा उसे लेने जाते। कुछ दिन बाद प्रीति के कहने पर पापा ने उसे एक टाई साइकिल दिलाई। इसके बाद घर से स्टेडियम रोज 20 km का सफर प्रीति ट्राई साइकिल पर तय करती थी।

सेरेब्रल पाल्सी एक ऐसी बीमारी है, जिसमें दिमाग और शरीर मांसपेशियों के बीच सही से संवाद नहीं हो पाता है। इस बीमारी में व्यक्ति किसी भी चीज पर रिएक्ट करने में अधिक समय लेता है।

सूर्य ग्रहण में गोबर में दबाते थे आधा शरीर
प्रीति की दादी ने बताया- हम भारतीय संस्कृति से जुड़े हैं। एक बार किसी ने मुझे बताया कि जिसके पैर खराब हों। उसका आधा शरीर सूर्य ग्रहण के समय गोबर में दबाने से पैरों में जान लौट आती है। मैंने वैसा ही किया। जब सूर्य ग्रहण होता तो पूरे दिन प्रीति का कमर तक शरीर गोबर के ढेर में दबा देती। घर के दूसरे बच्चे आसपास खड़े होकर हंसते थे।

प्रीति ने वीडियो कॉल पर की बात, CM योगी ने दी बधाई
प्रीति को मेडल मिलने पर CM योगी आदित्यनाथ ने सोशल मीडिया पर बधाई दी है। प्रीति ने पदक जीतने के बाद सबसे पहले अपनी फैमिली को वीडियो कॉल किया। इस दौरान दैनिक भास्कर से बातचीत में प्रीति ने कहा- सोचा नहीं था ये पदक जीत पाऊंगी। सभी का धन्यवाद देती हूं। मेरठ आकर सभी से मिलूंगी। वहीं एक साथ बर्थडे मनाऊंगी।

पड़ोसी बोले- DJ बजाकर स्वागत करेंगे
प्रीति पाल को गिरते उठते, संभलते उनके परिवार और पड़ोसियों सभी ने देखा है। प्रीति के घरवालों के साथ पड़ोसी भी इस जीत पर नाज कर रहे हैं। पड़ोसी रचना, नेहा, कुसुम और ईशा ने एक दूसरे को मिठाई खिलाई। उन्होंने कहा- प्रीति आएगी तो डीजे, ढोल बजाकर कॉलोनी में उसका स्वागत करेंगे। हमने उसकी मेहनत देखी है, वो ये सफलता रिजर्व करती है।

जैनब खातून ने दी खेलों की प्रेरणा
प्रीति को खेलों की प्रेरणा और शुरुआती अभ्यास मेरठ की ही पैरा खिलाड़ी जैनब खातून ने दिया। इसके बाद प्रीति ने कोच गजेंद्र सिंह, गौरव त्यागी से भी ट्रेनिंग ली। बहन नेहा कहती हैं कि प्रीति ने जब खेलना शुरू किया तो बहुत मुश्किल था।

वो चल भी नहीं पाती थी तो दौड़ना तो दूर की बात थी। लेकिन उसने हौसला नहीं छोड़ा। इस घर के सभी लोगों ने उसका पूरा साथ दिया। मेहनत के दम पर उसने स्टेट में पहला गोल्ड मेडल जीता। इसके बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा।