सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) की चीफ माधबी पुरी बुच कांग्रेस के निशाने पर हैं। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर माधवी पर SEBI से जुड़े होने के दौरान ICICI बैंक समेत 3 जगहों से सैलरी लेने का आरोप लगाया।
खेड़ा ने कहा, ‘माधबी पुरी बुच 5 अप्रैल, 2017 से 4 अक्टूबर, 2021 तक SEBI में पूर्णकालिक सदस्य थीं। फिर 2 मार्च, 2022 को माधबी पुरी बुच SEBI की चेयरपर्सन बनीं। SEBI की चेयरपर्सन को नियुक्त करने वाली कैबिनेट में PM मोदी और अमित शाह शामिल हैं।’
उधर, ICICI ने आरोपों को नकार दिया और कहा, ‘बैंक से रिटायर होने के बाद माधवी को कोई सैलरी या एम्प्लॉई स्टॉक ऑप्शन नहीं दिया गया। उन्होंने सिर्फ रिटायरमेंटल बेनिफिट्स लिए।’
कांग्रेस ने कहा- बुच में थोड़ी भी शर्म होगी तो उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए
खेड़ा ने दावा किया कि माधबी पुरी बुच SEBI की पूर्णकालिक सदस्य होते हुए रेगुलर इनकम ICICI बैंक से ले रही थीं, जो कि 16.80 करोड़ रुपए था। वे ICICI प्रूडेंशियल, ESOP और ESOP का TDS भी ICICI बैंक से ले रही थीं।
खेड़ा ने कहा- हम माधवी पुरी से जानना चाहते हैं कि आप SEBI की पूर्णकालिक सदस्य होने के बाद भी अपना वेतन ICICI से क्यों ले रही थीं? यह सीधे-सीधे SEBI के सेक्शन-54 का उल्लंघन है। अगर माधबी पुरी बुच में थोड़ी भी शर्म होगी तो उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।
माधबी बुच मार्केट की रेगुलेटर हैं, SEBI की चेयरपर्सन हैं, तब भी वे ICICI बैंक से वेतन कैसे ले सकती हैं? 2017-2024 के बीच इन्होंने ICICI प्रूडेंशियल से 22,41,000 रुपए क्यों लिए? आखिर वह ICICI को क्या सेवाएं दे रही थीं?
एस्सेल ग्रुप के चेयरमैन ने भी माधबी बुच पर लगाए आरोप
एस्सेल ग्रुप के चेयरमैन डॉ. सुभाष चंद्रा ने सेबी चीफ माधबी पुरी बुच पर गंभीर आरोप लगाए हैं। 2 सितंबर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में डॉक्टर सुभाष चंद्रा ने कहा कि उन्होंने साल 2019 में कहा था कि कुछ लोग हमारे ग्रुप को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं। वोमाधबी पुरी बुच हैं।
उन्होंने कहा कि जी एंटरटेनमेंट और सोनी डील टूटने के पीछे भी माधबी पुरी बुच ही जिम्मेदार हैं। डील टूटने से रिटेल शेयरहोल्डर्स को बड़ा नुकसान हुआ है। नुकसान की पूरी जिम्मेदारी भी माधबी बुच की है।
हिंडनबर्ग का दावा- अडाणी ग्रुप से जुड़ी ऑफशोर कंपनी में SEBI चीफ की हिस्सेदारी
अमेरिकी कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने शनिवार (19 अगस्त) की रात 9:57 बजे एक रिपोर्ट जारी की। इसमें दावा किया गया है कि SEBI चीफ माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की अडाणी ग्रुप से जुड़ी ऑफशोर कंपनी में हिस्सेदारी है। व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों के आधार पर हिंडनबर्ग ने दावा किया कि बुच और उनके पति की मॉरीशस की ऑफशोर कंपनी ‘ग्लोबल डायनामिक अपॉर्च्युनिटी फंड’ में हिस्सेदारी है।
हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया है कि ‘ग्लोबल डायनामिक अपॉर्च्युनिटी फंड’ में कथित तौर पर अडाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडाणी के भाई विनोद अडाणी ने अरबों डॉलर निवेश किए हैं। इस पैसे का इस्तेमाल अडाणी ग्रुप के शेयरों के दामों में तेजी लाने के लिए किया गया था।
माधबी बुच ने आरोपों से इनकार किया था
माधवी बुच ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में अपने ऊपर लगे आरोपों को निराधार और चरित्र हनन का प्रयास बताया। SEBI चेयरपर्सन ने सभी फाइनेंशियल रिकॉर्ड डिक्लेयर करने की इच्छा व्यक्त की है। अपने पति धवल बुच के साथ एक जॉइंट स्टेटमेंट में उन्होंने कहा, ‘हमारा जीवन और फाइनेंसेस एक खुली किताब है।
‘व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों के आधार पर हिंडनबर्ग ने दावा किया है कि बुच और उनके पति की मॉरीशस की ऑफशोर कंपनी ‘ग्लोबल डायनामिक अपॉर्च्युनिटी फंड’ में हिस्सेदारी है।
हिंडनबर्ग रिसर्च पिछले साल अडाणी ग्रुप पर वित्तीय अनियमितता के आरोप लगाकर चर्चा में आई थी। इस बार हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया है कि ‘ग्लोबल डायनामिक अपॉर्च्युनिटी फंड’ में कथित तौर पर अडाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडाणी के भाई विनोद अडाणी ने अरबों डॉलर निवेश किए हैं। इस पैसे का इस्तेमाल अडाणी ग्रुप के शेयरों के दामों में तेजी लाने के लिए किया गया था।
जानिए SEBI और हिंडनबर्ग रिपोर्ट में इससे जुड़ा विवाद
SEBI यानी सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया, भारत सरकार की संस्था है। शेयर मार्केट के निवेशकों की सुरक्षा के लिए साल 1992 में इसकी स्थापना हुई थी। जनवरी 2023 में हिंडनबर्ग ने गौतम अडाणी पर अपने ग्रुप के शेयरों की कीमतें बढ़ाने के लिए ऑफशोर फंड का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था। अडाणी ने आरोपों से इनकार किया, लेकिन मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। SEBI को मामले की जांच सौंपी गई थी।