जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के बीच मनमोहन सरकार में गृह मंत्री रहे सुशील शिंदे अपने एक बयान को लेकर चर्चा में हैं। शिंदे ने मंगलवार को दिल्ली में कहा, ‘जब मैं देश का गृह मंत्री था, तब जम्मू-कश्मीर के लाल चौक और डल झील जाने से डरता था।’
शिंदे के बयान पर केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, ‘कांग्रेस की सरकार में देश के गृहमंत्री भी कश्मीर जाने से डरते थे। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश की सुरक्षा मजबूत हुई है। अब विपक्ष के नेता भी बिना किसी डर के जम्मू-कश्मीर में बर्फ से खेलते हैं।’
शिंदे सोमवार को दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में अपनी बुक ‘फाइव डिकेड्स ऑफ पॉलिटिक्स’ के लॉन्चिंग प्रोग्राम में बोल रहे थे। इस दौरान कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, दिग्विजय सिंह और शिक्षाविद विजय धर भी मौजूद थे। धर शिंदे के एडवाइजर भी रह चुके हैं।
जब मैं होम मिनिस्टर था, उससे पहले भी मैं उनके पास (विजय धर) जाता था और एडवाइज भी मांगता था। उन्होंने मुझे ऐसा असली एडवाइज दिया कि सुशील तू इधर-उधर मत भटक। तू लालचौक पर जाकर वहां भाषण कर, कुछ लोगों से मिल और डल लेक में घूमते चलो। वो अडवाइज से मुझे बहुत सारी पब्लिसिटी मिली। लोग सोचते थे कि एक ऐसा होम मिनिस्टर है जो बिना डर के वो जाता है, लेकिन मेरी *** थी वो किसको बताऊं।’ शिंदे के इतना कहते ही समारोह स्थल जोरदार ठहाकों से गूंज गया। इसके बाद कांग्रेस नेता ने कहा, ‘सच्ची है…लेकिन हंसाने के लिए मैंने बोला लेकिन एक्स पुलिसवाला ऐसा बोल नहीं सकता है।
शाह ने कहा था- घाटी में शांति होती थी तो CM बन जाते थे 7 सितंबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी पर हमला बोलते हुए कहा, “कश्मीर ने आतंकवाद से बहुत कुछ झेला है। कश्मीर में ऐसी सरकारें थीं जिन्होंने आतंकवाद के प्रति आंखें मूंद ली थीं। ऐसे लोग हैं जो शांति के समय यहां आकर मुख्यमंत्री बन जाते थे और जब आतंकवाद होता था तो वे दिल्ली जाकर कॉफी बार में कॉफी पीते थे।”
उमर अब्दुल्ला बोले- सरकार बनी तो धारा 370 बहाल करेंगे जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस (JKNC) के नेता उमर अब्दुल्ला ने विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद 19 अगस्त को पार्टी का घोषणा पत्र जारी किया। इस दौरान उन्होंने कहा था कि हमारी सरकार बनी तो हम जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 और 35A बहाल करेंगे।
नेशनल कॉन्फ्रेंस ने अपने घोषणापत्र में 12 गारंटियां दी हैं। जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा और साल 2000 में तत्कालीन विधानसभा द्वारा पारित स्वायत्तता प्रस्ताव का क्रियान्वयन शामिल है। साथ ही PSA खत्म कर राजनीतिक कैदियों को रिहा करने का भी वादा किया गया है। भाजपा ने घोषणा पत्र को राष्ट्र विरोधी बताया है।
कश्मीर में कुछ सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों का समर्थन कर सकती है भाजपा जम्मू-कश्मीर भाजपा अध्यक्ष रविंदर रैना ने कहा कि घाटी के कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में जमीनी हालात को देखते हुए भाजपा कुछ निर्दलीय उम्मीदवारों का समर्थन कर सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि पूरे जम्मू-कश्मीर में इस समय भाजपा की जबरदस्त लहर है। मैं विश्वास के साथ कहता हूं कि जम्मू-कश्मीर में भाजपा की सरकार बनेगी। प्रचंड बहुमत के साथ जम्मू-कश्मीर में भाजपा अपनी सरकार बनाएगी।
कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस ने चुनाव पूर्व गठबंधन किया कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) ने चुनाव पूर्व गठबंधन किया है। NC 52 सीटों पर और कांग्रेस 31 सीटों पर उम्मीदवार उतार रही है। दोनों पार्टियों ने दो सीटें छोड़ी हैं, एक घाटी में CPI (M) के लिए और दूसरी जम्मू संभाग में पैंथर्स पार्टी के लिए।
जम्मू संभाग में नगरोटा, बनिहाल, डोडा और भद्रवाह और घाटी में सोपोर की पांच सीटों पर NC और कांग्रेस दोनों ही अपने उम्मीदवार उतारेंगे, जिसे गठबंधन ‘दोस्ताना मुकाबला’ कह रहा है।
2014 में हुए थे आखिरी विधानसभा चुनाव जम्मू-कश्मीर में आखिरी बार 2014 में विधानसभा चुनाव हुए थे। तब BJP और PDP ने गठबंधन सरकार बनाई थी। 2018 में गठबंधन टूटने के बाद सरकार गिर गई थी। इसके बाद राज्य में 6 महीने तक राज्यपाल शासन (उस समय जम्मू-कश्मीर संविधान के अनुसार) रहा। इसके बाद राष्ट्रपति शासन लागू हो गया।
राष्ट्रपति शासन के बीच ही 2019 के लोकसभा चुनाव हुए, जिसमें BJP भारी बहुमत के साथ केंद्र में लौटी। इसके बाद 5 अगस्त 2019 को BJP सरकार ने आर्टिकल-370 खत्म करके राज्य को दो केंद्र-शासित प्रदेशों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में बांट दिया था। इस तरह जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव हो रहे हैं।